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09 July 2016

13 तरीके मैप सेट करने का !

पिछले पोस्ट में हमने सर्विस प्रोटेक्टर के उपयोग के बारे में जानकारी हासिल की इस पोस्ट में हम मैप सेट करना क्या होता है और मैप सेट करने का क्या तरीका है !

मैप सेटिंग क्या होता है ?(Map setting kya hota hai) सर्वे मैप  को ज़मींन पर इस प्रकार रखें जिससे की मैप पर खिंची गई  नार्थ रेखाएं ट्रू नार्थ की सिद्ध में आ जाएँ तो उसे मैप सेट करना कहा जाता है या दुसरे शब्दों में इस प्रकार से भी कह सकते है मैप  का उत्तर ज़मींन की उत्तर मिला कर रखने को ही मैप सेटिंग करना कहा जाता है! मैप सेटिंग करने को कभी कभी ओरिएन्तिन्ग एक मैप भी कहा जाता है जब की ओरिएन्तिन्ग और मैप सेटिंग एकही चीज़ है !

मैप सेट करने के तरीके(Maip set karne ka tarika) : जैसे की परिभाषा में स्पस्ट है की मैप के उत्तर और ज़मीन की उत्तर को मिलकर रखने से माप सेटिंग हो जाता है इस लिए हमे जो दो बातो को मालूम करना होता हो मैप सेट करने के लिए ओ है मैप का उत्तर और ज़मीन का उत्तर !अगर इन दोनों को हम मालूम कर लिए तो मैप को हम आसानी से सेट कर सकते है ! मैप सेट करने का विधि



  • कंपास के ज़रिये(Compass ki jariye map set karna)
  1. मैग्नेटिक नार्थ रेखा बनाकर(Magnetic north ki rekha banakar) : मैपो में दी गयी सुचना के अधार पर मैग्नेटिक वेरिएशन का हिसाब लगते है. अब किसी भी ट्रू नार्थ रेखा के किसी भी बिंदु से मैग्नेटिक नार्थ रेखा खींचते है  और कंपास को पुरा खोलकर ढक्कन के शीर्षक की और रखते हुए मैग्नेटिक नार्थ रेखा इस प्रकार रखते है की टोंग नौच और रिंग नौच रेखा के ठीक ऊपर रहे ! फिर कंपास को बिना हिलाए मैप  को इतना दाहिने या बाएँ घुमाते है  की कंपास की सुई का रुख लुब्बेर नौच की ओर हो जाये ! कंपास की सुई मैग्नेटिक रेखा की ओर इशारा करती! मैप की मैग्नेटिक नार्थ रेखा की और ज़मीनी मैग्नेटिक रेखा की और इशारा करेगी ! मैप का एक प्रकार का उत्तर उसी ज़मीनी उत्तर की ओर होगा तो शेष  दोनों उत्तर भी अपने नाम की उत्तर के तरफ ही होंगे ! मैप की ट्रू ज़मीन की ट्रू नार्थ रेखा की तरफ होगी इस प्रकार से मैप सेट होन कहा जायेगा !
  2. ट्रू नार्थ रेखा से(True north ki rekha se) : मैप पर दी गयी मैग्नेटिक वेरिएशन की दिग्रिओं को कंपास पर सेट कर लेते है ! यदि वेरिएशन  पूर्व में है तो नार्थ की अंतर की दिग्रिओं में कोमप्स की मिल्लेडवेन पर लिखे अंक 36 के अंक दाहिने यदि वेरिएशन पश्चिम में है तो अंतर की दिग्रिओं को 36 अंक के बाएँ ओर सेटिंग करते है ! फिर कंपास को पूरा खोलकर किसी भी रेखा पर इस प्रकार रखते है की लीड मैप के शीर्षक की ओर रहे और नोज रिंग नोज रेखा के ठीक ऊपर हो ! आब मैप को कंपास सहित इतना दाहिने या बाएँ घुमाते है की डायरेक्शन मार्क की सिद्ध में आ जाये अब मैप सेट हो गया !
  3.  ग्रिड नार्थ रेखा से(Grid north rekha se) : मैप में दी गयी सुचना के आधार पर हम ग्रिड और मैग्नेटिक नार्थ के बिच का अंतर ज्ञात करते है . अदि अंतर पूरब में है तो नार्थ के अन्तर  के दिग्रियो को कंपास की मिल्लेडवेन पर लिखे 36 अंक के दाहिने और यदि अंतर पश्चिम का है तो 36 के अंक के बाएँ ओर सेट करते है ! फिर कंपास को पूरा खोल कर लीड मैप के शीर्षक की  ओर रखते हुए किसी भी ग्रिड रेखा पर इस प्रकार रखते है की टोंग नौच और रिंग नौच ग्रिड रेखा के ठीक ऊपर हो ! अब मैप को कम्पस सहित इतना दाहिने या बाएँ घुमाएँ की कंपास की सुई ठीक डायरेक्शन मार्क की सिद्ध में आ जाये ! इस प्रकार मैप सेट हो गया !   
  4. जामिनी निशान की डिग्रिया पढ़ कर(jameeni nishan ki digri padh kar) : जब अपनी पोजीशन मालूम हो तो इस विधि में अपनी पोजीशन से किसी ऐसे ज़मीनी निशान का बेअरिंग पढ़ते है जो मैप पर भी होता है. मैप पर अपनी पोजीशन से वह तक एक सीधी रेखा खीचते है ! अब पढ़े गए बेअरिंग को कंपास पर सेट करते है ! कंपास को पूरा खोलकर रेखा के ऊपर इस प्रकार से रखते है क रिंग नोज अपनी पोजीशन में रहें और तोंग नोज और रिंग नोज खिची हुई रेखा ठीक ऊपर हो. आप मैप को कंपास सहित इतना दाहिने या बाएँ घुमाते है की सुई डायरेक्शन मार्क की सिद्ध में आ जाये बी मैप सेट हो गया है !अगर अपनी पोजीशन मालूम न होतो  ऐसे स्थिति में मैप  के ऊपर दो ऐसे निशान चुनते है जो ज़मीन पर भी हो . इन दोनों निशानों को एक सीधी रेखा से मिलकर उनमे एक  ज़मीनी निशान के पास आते है और वह से दूसरी निशान की कंपास के सहायता से बेअरिंग पढ़ते है ! इस बेअरिंग को कंपास पर सेट करते है कंपास को पूरा खोलकर मैप पर खिची रेखा पर विधि पूर्वक इस प्रकार रखते है की रिंग नोज उस निशान की ओर रहे जहाँ से दुसरे स्थान का बेअरिंग पढ़ा गया है अब बाएँ घुमाते हैकि कंपास की सुई डायरेक्शन मार्क की सिद्ध में आ जाये इस प्रकार मैप सेट हो गया !

  • उत्तर पता करने के साधनों द्वारा(Uttar pta karne ke sadhano se map ke set karna)

  1. किसी भी तरीके से ज़मींन  पर नार्थ  रेखा  ज़मीन पर खिंच लेते है . फिर मैप के हिस्से दाहिने बाएँ  किनारे ट्रू नार्थ रेखा के साथ साथ या ऊपर रखकर मैप सेटिंग करते है 
  2. मैप पर अंतर रेखा खीचकर : यह मैप पर अंतर रेखा खीचने की तीन अवस्था है 

  • बारह बजे(barah baje) : दोपहर के समय यदि हम एक आलपिन को मैप पर किसी भी देश्न्तर रेखा पर गाड देते है तो आलपिन की छाया उस देशांतर रेखा पर उसी समय पड़ेगी जब की माप सेट हो ! मैप को सेट करने के लिए उस समय तक दाहिने या बाएँ घुमाते है जबतक  की आलपिन की छाया देशांतर रेखा पर न पड़ने लगे और मैप की शीर्षक छाया पड़ने की दिशा में आ जाये ! इस प्रकार मैप सेट हो जायेगा !
  • बारह बजने से पहले(Barah aje se pahle) : इस अवस्था में हम ये देखते है  की स्थानीय बारह बजें में कितने घंटो की देर है ! देर के इस अंतर को 15 डिग्री सूर्य के साये की प्रति घंटा घुमने की चाल से गुना करके 360 डिग्री में से घटाने पर वह बेअरिंग निकल अत है इस पर उस समय सूर्य की छाया पड़ रही होगी !
  • बारह  बजने के बाद(Barah baje ke bad) : इस अवस्था में यह देखते है की बारह बजकर कितने घंटे हो गए है ! घंटो के उस अंतर को 15 डिग्री से गुना करके गुणनफल को 360 डिग्री में जोड़कर वह बेअरिंग निकाल लेते है जिस पर उस समय सूर्य की  छाया पडता  रहेगा ! जिस डिग्री की संख्या 360 डिग्री से अधिक नहीं है अतः 15  से गुना किया गुणनफल 360  डिग्री से अधिक नहीं आती है तो वह गुणनफल के ऊपर ही उस समय सूर्य की छाया पड रही होगी 

पृथ्वी की आकृतियो की सहायता से(Prithvi ki aakritio ke sahayata  se map set karna) : प्राकृतिक और बनावती आकृतिओं की मदद से सेटिंग कर सकते है !
  • जब अपनी पोजीशन ज्ञात हो(Jab apni position gyat ho)  : यह भी हम दो बिधिओ में सेट कर सकते है 
  1. अपनी पोजीशन से उस अक्रितियो की और जो मैप और ज़मीन दोनों पर होती है , मैप पर एक रेखा खींचते है ! फिर फूट रूल का इस रेखा पर एक तरफ से एस रेखा पर मैप को उस समय तक दाहिने बाएँ घुमंते है जब तक की इस प्रकार रखे फूट रूल का रुख ज़मीन पर चुनी हुई आकृति की ओर न हो जाये ! इस प्रकार मैप सेट मन जायेगा !
  2. इस विधि में हम मैप को किसी गाते पर लगते है और मैप पर अपनी पोजीशन और उस निशान जो ज़मीन पर भी होता है  आलपिन गाड देते है फिर घुटने के बल बैठ कर अपनी पोजीशन और निशान पर गाड़ी हुई आलपिन के ऊपर से ज़मीन के निशान मैप  पर गाड़ी हुई अल्पिनो की सिद्ध में आ जाता है तो मैप सेट मन जायेगा !
जब अपनी पोजीशन ज्ञात न हो(Jab apni position gyat na ho) : इस विधि में मैप सेट करने की निम्न विधिया है 

जरुर पढ़े: मैप रीडिंग और मैप रीडिंग का महत्व
  1. आस पास के लम्बे पड़े निशानों से :  नजदीक किसी सड़क , नदी , रेलवे लाइन या नाहर आदि में से किसी एक के पास से जाकर मैप के उस निशान को ज़मीं पर उसके फलावो के समान्तर किसी प्रमुख स्थान पर  रख कर किया जाता है ! इस विधि से मैप सेट  करने के लिए वह स्थान अच्छे  रहते है जहाँ चौराहा- तिराहा हो और ऐसे प्रसिद्ध निसान हो जो मैप से करने में मदद करते हो !
  2. एक और एक ज़मीनी निशान से : यदि  एक सिद्ध में दो या अधिक निशान मैप और ज़मीन दोनों पर मिल जाये तो इन दोनों या अधिक निशानों को मिलाने वाली कल्पित रेखा को मैप पर उन्ही निशानों को मिलनी वाली रेखा की सिद्ध में करने से भी मैप सेट हो जाता है !
  3. बिपरीत दिशा के ज़मीनी निशानों से : अलग अलग दिशाओं में ज़मीन पर के निशान मैप पर भी मिल जाये तो मैप पर इन निशानों को जोड़ते हुए एक सरल रेखा खींचते है ! फिर इस रेखा से मिलाते है ! जब मैप और ज़मीन की रेखाएं एक सिद्ध में आ जाती है तो उसे मैप सेट करना कहते है !
  4. विखरे ज़मीनी निशानों से : यह ज़मीन और मैप  पर कुछ निशान बिखरे हुए मिल  जाएँ तो अलग अलग दिशा में से चार प्रसिद्ध निशान छाट कर मैप को ज़मीन पर रख कर यह देखा जाये की मैप पर दिया हुए येह्सब निशान ज़मीन की निसान की ओर है ! जब मैप के सभी निशान का रुख ज़मीनि निशानों की और हो जाता है तो इसे मैप को सेट होना कहते है 

इस प्रकार से हम बहुत से बिधियो के सहारे एक मैप को सेट कर सकते है ! उम्मीद है की ये पोस्ट आपको पसंद आया होगा अगर कोई सजेसन हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे 

इन्हें भी  पढ़े: 
  1. मैप रीडिंग की अवाश्काताये तथा मैप का परिभाषा
  2. 15 जरुरी पॉइंट्स मैप को सही पढने के लिए
  3. मैप कितने प्रकार के होते है ?
  4. कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका
  5. कंटूर रेखाए क्या है ? एक मैप की विश्वसनीयता और कमिया किन किन बाते पे निर्भर करती है ?
  6. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  7. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
  8. कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका
  9. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  10. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
  11. लैटर बम को पहचानने का तरीका
  12. फील्ड फोर्टीफिकेसान ,उसके प्रकार और ध्यान में रखनेवाली मुख्या बाते
  13. 4 स्टेप्स में तेज चल और थम की करवाई
  14. फूट ड्रिल -धीरे चल और थम
  15. खुली लाइन और निकट लाइन चल

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