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18 मार्च 2021

नक्शा के ऊपर उत्तर दिशा कैसे ज्ञात करे

पिछले पोस्ट में मैंने अपने एक पाठक की मैप रीडिंग का सवाल का जवाब दिया था जिसका विषय था मैग्नेटिक बेअरिंग को ग्रिड बेअरिंग में बदना आज मै फिर  एक और पाठक ने  सम्बंधित सवाल पूछा   नक्शा के ऊपर उत्तर दिशा कैसे  ज्ञात करे या पता लगाये (Naksha me disha ka pta kaise lagaye) !

इसे  भी पढ़े :सर्विस प्रिज्मैटिक लिक्विड कम्पास mk-iii के 20 पार्ट्स और उनके काम

जैसे की  मैंने  आपने पिछले ब्लॉग पोस्ट्स में जमीन पर उत्तर दिशा कैसे ज्ञात करे उसके बारे में बहुत से पोस्ट लिखा है!जैसे की  जमीन के ऊपर दिशा का ज्ञान हम बहुत से तरीके है जिस्सके सहायता से हम उत्तर दिशा ज्ञात कर सकते है जैसे  कंपास, सूरज, मंदिर , मस्जिद , यदि लेकिन इस बार जो सवाल आया है उसमे पूछा गया है की मैप  के ऊपर दिशा का ज्ञात कैसे करे(How to find north on map?) !

Naksha me Disha ka pta kaise lagaye
मैप के उत्तर  दिशा कैसे ज्ञात करना हो तो सबसे पहले मैप के ऊपर देखे उसके ऊपर उत्तर दिशा की एरो मार्क दिया होता है  जिसके द्वारा उत्तर बताया गया होता है और अगर एरो मार्क नहीं दिया गया हो तो यह हमेशा समझे की मैप को अगर सीधा पकड़ा जाए तो उसका  ऊपर का भाग उत्तर दिशा को इंगित करता है और एक बार उत्तर दिशा प्राप्त होगया तो उसके सहायता से बाकि सभी दिशा को हम आसानी से जान सकते है !
यानी एक बार उत्तर दिशा मालुम पड गया तो आप उत्तर की तरफ मुह कर के खड़ा  हो जाए और आप को दाहिने हाथ के तरफ पूर्व और बाए हाथ की तरफ पश्चिम दिशा होगा  तथा मैप का निचला हिस्सा दक्षिण दिशा होता है ! यानि दुसरे शब्दों में कहे तो नक्शा में उत्तर दिशा नक्शा के  उपरी भाग होता है और दक्षिण दिशा निचे के भाग में होता है और उसी तरह से दाहिने साइड में पूर्व तथा बाये हाथ के साइड में पश्चिम दिशा होता है !

इसे  भी पढ़े :अपना खुद का लोकेशन मैप पे जानना और नार्थ पता करने के तरीके

इस प्रकार से यहाँमैप के ऊपर उत्तर दिशा प्राप्त करने  सम्बंधित ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुई !उम्मीद है कि यह आप लोगों को लिए उपयोगी साबित होगा। अगर यह मेरा ब्लॉक ब्लॉक पोस्ट आपको पसंद आया हो तो मेरे ब्लॉक को शेयर और सब्सक्राइब करें और अगर कोई सुझाव मेरे ब्लॉक पोस्ट के बारे में हो तो नीचे के कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें इस ब्लॉग को सब्सक्राइब और फेसबुक पर लाइक करें और हम लोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करें।
इन्हे भी पढ़े :
  1. मैप रीडिंग की अवाश्काताये तथा मैप का परिभाषा
  2. 15 जरुरी पॉइंट्स मैप को सही पढने के लिए
  3. मैप कितने प्रकार के होते है ?
  4. कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका
  5. कंटूर रेखाए क्या है ? एक मैप की विश्वसनीयता और कमिया किन किन बाते पे निर्भर करती है ?
  6. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  7. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
  8. कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका
  9. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  10. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
  11. सर्विस प्रोटेक्टर का उपयोग और सर्विस प्रोटेक्टर से बेक बेअरिंग पढने का तरीका

12 मार्च 2021

मैग्नेटिक बेअरिंग को ग्रिड बेअरिंग में बदना

 मैप रीडिंग के पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने टोपोग्राफिकल फॉर्म के बारे में जानकारी प्राप्त किये और उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज एक एन सी सी के छात्र द्वारा ग्रिड बेअरिंग को मैग्नेटिक बेअरिंग में कैसे बदले है के बरे में पूछे गए सवाल का जवाब देने के लिए यह पोस्ट लिख रहा हु !

जैसे की हम जानते है कन्वर्शन और बेअरिंग यानि बेअरिंग को कन्वर्ट करने की जरुरत बहुत पड़ती है जब हम मैप रीडिंग की ट्रेनिंग लेते है इसीलिए यह बहुत ही जरुरी है की ओ चाहे एन सी सी के छात्र हो या यूनिफार्म फाॅर्स के जवान सभी को कन्वर्शन ऑफ़ बेअरिंग जिसमे की ग्रिड बेअरिंग  को  मैग्नेटिक बेअरिंग या ट्रू नोठे , मैग्नेटिक नार्थ या ग्रिड नार्थ को आपस में बदली करने जरुर आना चाहिए नहीं तो इसके बिना आप मैप को सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर सकते है !

जैसे की सवाल है की ग्रिड बेअरिंग को मैग्नेटिक बेअरिंग में कैसे बदली करते है तो इसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए कुछ जरुरी बेअरिंग के बारे में जानकारी होनी चैये जैसे की :

  • ट्रू नार्थ  किसे कहते है(True north kise kahte hai/ What is true north?) : ध्रुव तारे के सहायता से ज्ञात किया हुवा नार्थ को ट्रू नार्थ कहते है ! तथा ट्रू नार्थ की ओर खिची गई रेखायो को ट्रू नार्थ की रेखाए कहते है ! सर्वे मैप पर ये रेखाए दक्षिण से उत्तर की ओर काले रंग से खिंची जाती है !
  • ग्रिड नार्थ किसे कहते है(Grid north kise kahte hai/ What is Grid north?) : सर्वे मैपो पर बैगनी रंग से दक्षिण से उत्तर की खिंची गई रेखाए जिस उत्तर की ओर इशारा करती है वह ग्रिड नर्थ कहलाता है !
  • मैग्नेटिक नार्थ किसे कहते है(MAgnetic north kise kahte hai/ What is Magnetic north?) ?: कंपास की सुई अर्थात मैग्नेटिक सुई जिस उत्तर की ओर इशारा करता है उसे मैग्नेटिक नोएथ कहते है ! सर्वे मैप पर मैग्नेटिक नार्थ को दिखने के लिए कोई रेखा नहीं होती है !
  • मैग्नेटिक वेरिएशन किसे कहते है (Magnetic variation kise kahte hai/ What is magnetic variation?)?: किसी स्थान पर जब ट्रू नार्थ और मैग्नेटिक नार्थ की रेखाए आपस में मिलती है तो उस स्थान पर इन दोनों के बीच की कोणात्मक दुरी को मैग्नेटिक वेरिएशन कहते है !
  • एंगल ऑफ़ कन्वर्जेन्स किसे कहते है(Angle of convergence kise kahte hai / What is angle of convergence?):किसी स्थान पर  जब ट्रू नार्थ और ग्रिड नार्थ की रेखाए आपस में मिलती है तो उस स्थान पर इन दोनों नार्थ रेखाओ के बीच की कोणात्मक दुरी को एंगल ऑफ़ कन्वर्जेन्स कहते है !
  • लोकल वेरिएशन किसे कहते है (Local variation kise kahte hai? /What is local variation?)?:किसी स्थान पर मिलते समय ग्रिड नार्थ और मैग्नेटिक नार्थ रेखाओ के बीचजो कोणात्मक दुरी बनती है उसे लोकल वेरिएशन कहते है ! 
जैसे की हम हम जानते हैं कि मैप पर एंगल आफ कन्वर्जेंस तथा मैग्नेटिक वेरिएशन संबंधी जानकारी तो दी जाती है परंतु ग्रिड नार्थ  रेखा और मैग्नेटिक नॉर्थ रेखा का अंतर नहीं दिया जाता है। इसका ज्ञान वास्तविक उत्तर यानी ट्रू नॉर्थ की स्थिति से हिसाब लगाकर ही कर सकते हैं। 

मैग्नेटिक बेयरिंग कंपास से तथा ग्रिड बेअरिंग  सर्विस प्रोटेक्टर से नापी जाती है। परंतु ट्जारू बेअरिंग नने के लिए हमें अन्य किसी बेयरिंग को उस में बदलना पड़ता है!

 जमीन पर काम करते समय कंपास या मैग्नेटिक बेयरिंग से काम चल जाता है तथा मैप  पर काम करते समय सर्विस प्रोटेक्टर द्वारा ली गईग्रिड बेअरिंग  से काम चल जाता है !परंतु जमीन से मैप और मैप से जमीन पर की कार्रवाई में मैग्नेटिक बेयरिंग को ग्रिड बेअरिंग  और ग्रिड बेअरिंग को मैग्नेटिक बेअरिंग  में बदलना अवश्य होता है 
मैप पर मैग्नेटिक नार्थ और  ग्रिड नार्थ  का अंतर  नहीं लिखा होता है! इसे मैग्नेटिक वेरिएशन तथा एंगलऑफ़ कन्वर्जेन्स की मदद से  मालूम करते हैं!


बेयरिंग के रूम रूपांतरण की विधि:-एक बेअरिंग को  किसी दूसरी दूसरी बेरिंग या बेअरिंगो  में परिवर्तन करने से पहले निम्न बातों को ध्यान में रखना पड़ता है:-
  • सभी बेयरिंग की एक रेखा कोई एक नार्थ लाइन होती है। 
  • सभी बेअरिंगो  को घड़ी के सुलटे रुख  डिग्री ,मिनटों  और सेकंडो में नापा जाता है। परंतु पृथ्वी के स्थान सदैव एक ही स्थान पर रहते हैं। उनके बेरिंग में अंतर केवल इसलिए होता है कि इन स्थानों की नॉर्थ रेखा एक स्थान पर ना होकर एक दूसरे से थोड़ा पूर्व या पश्चिम में हटकर होती है। इनके पूर्व या पश्चिम में होने से बेअरिंगो  पर प्रभाव पड़ता है! उसे जानने की विधि यह है कि यदि किसी बेयरिंग की नॉर्थ रेखा दूसरे बेयरिंग की नार्थ  रेखा से पश्चिम में है तो उस बेयरिंग दूसरी बेरिंग में उतना ही अधिक होगी जितनी डिग्री पश्चिम में उसकी नाथ रेखा है। यदि किसी स्थान की नॉर्थ रेखा के पूर्व में है तो उसकी बेयरिंग दूसरी बेरिंग से उतना ही डिग्री कम होगी कितना डिग्री उसकी देखा पूर्व में है!
  • मैप  के ऊपर एंगल ऑफ़ कन्वर्जेन्स और मैग्नेटिक वेरिएशन दिया हुवा रहता है और उसी के मदद से हम ग्रिड बेअरिंग को मैग्नेटिक बेअरिंग तथा मैग्नेटिक बेअरिंग को ग्रिड बेअरिंग में बदलते है ! उदाहण के लिए 
1. मैग्नेटिक बेअरिंग को ग्रिड बेअरिंग में बदना(Magnetic bearing ko grid bearing me badlna. Convergence of magnetic bearing to grid bearing)) : यदि मैप का लोकल वेरिएशन 1 डिग्री 30 मिनट पश्चिम है ! यदि कम्पस से यानि किसी स्थान के मैग्नेटिक बेअरिंग 230 डिग्री है तो उस स्थान का ग्रिड बेअरिंग कितनी होगी ?

मैग्नेटिक बेअरिंग को ग्रिड बेअरिंग में बदलना
उत्तर:-  चुकी मैग्नेटिक नार्थ , ग्रिड नार्थ के 1 डिग्री 30 मिनट पश्चिम में है ! इसलिए ग्रिड बेअरिंग भे मैग्नेटिक बारिन से 1 डिग्री 30 मिनट कम अर्थात 230 डिग्री  - 1 डिग्री 30 मिनट = २२८ डिग्री 30 मिनट होगी ! यदि मैग्नेटिक नार्थ ग्रिड नार्थ से 1 दिगी 30 मिनट पूर्व का होता तो ग्रिड बेअरिंग 1 डिग्री 30 मिनट अधिक अर्थात 230 डिग्री  + 1 डिग्री 30  मिनट = 231 डिग्री 30 मिनट होता !


2. ग्रिड बेअरिंग को मैग्नेटिक बेअरिंग में बदलना(Grid bearing ko Magnetic bearing me badlna. Convergence of grid bearing to magnetic bearing) :यदि मैप पर लोकल वेरिएशन 1 डिग्री 38 मिनट पश्चिम यानि ग्रिड नार्थ से मैग्नेटिक नार्थ पश्चिम में है ! तो उस मैप पर सर्विस प्रोटेक्टर से ग्रिड बेअरिंग 290 डिग्री नापा गया है मैग्नेटिक बेअरिंग कितना  होगा ! यानि ग्रिड बेअरिंग को मैग्बेनेटिक बेअरिंग में बदलना है !

ग्रिड  बेअरिंग को मैग्नेटिक  बेअरिंग में बदलना
उत्तर :- चुकी मैग्नेटिक नार्थ ग्रिड नार्थ से 1 डिग्री 38 मिनट पश्चिम में है ! अतः स्पस्ट है की मैग्नेटिक बेअरिंग ग्रिड बेअरिंग से 1 डिग्री 38 मिनट अधिक होगी अर्थात 290 डिग्री + 1 डिग्री 38 मिनट = 288 डिग्री 22 मिनट !




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इन्हे भी पढ़े :
  1. मैप रीडिंग की अवाश्काताये तथा मैप का परिभाषा
  2. 15 जरुरी पॉइंट्स मैप को सही पढने के लिए
  3. मैप कितने प्रकार के होते है ?
  4. कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका
  5. कंटूर रेखाए क्या है ? एक मैप की विश्वसनीयता और कमिया किन किन बाते पे निर्भर करती है ?
  6. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  7. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
  8. कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका
  9. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  10. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
  11. सर्विस प्रोटेक्टर का उपयोग और सर्विस प्रोटेक्टर से बेक बेअरिंग पढने का तरीका


11 जनवरी 2021

टोपोग्राफिकल फॉर्म्स | टेकरी क्या होता है ?| NCC कैडेट के लिए भी उपयोगी

 पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने कुछ टोपोग्राफिकल टर्म्स जैसे सैडल क्या होता है और उसे मैप पे कैसे दिखाया जाता है उसके बारे में जेकरि शेयर की और आज के इस पोस्ट में हम उसी शृंखला को आगे बढ़ाते हुए  हुए जानेगे की टेकरी और डिवाइड क्या होता है और उसे मैप पर कैसे दिखया जाता है ! 

इस  ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने के बाद आप निम्न टोपोग्राफिकल फॉर्म के बारे में पूरी तरह से वाकिफ हो जायेगे ! जो की निचे दी हुई है :

1. टेकरी या नॉल क्या होता है और उसे मैप पर कैसे दिखाया जाता है ?

2. डिवाइड क्या होता है ?

3. जल विभाजक या वाटर शेड क्या होता है ?

4. जल प्रवाह मार्ग या वाटर सोर्स क्या होता है ?

5. डिफायल क्या होता है ?

इसे  भी पढ़े :अपना खुद का लोकेशन मैप पे जानना और नार्थ पता करने के तरीके

 टेकरी या नोल (Knoll): वह अकेली पहाड़ी नोल कहलाती है जिसका किसी पहाड़ी सिलसिले से कोई सम्बन्ध नहीं होता है ! इसकी कंटूर रेखाए गोल होती है और ऊंचाई कम होने से आमतौर पर एक ही कंटूर से दिखाई जाती है ! इस मैप के ऊपर निम्न तरीके से दिखाया जाता है :

Tekari 
2.   डिवाइड(Divide):-लंबी और ऊंची पर्वत श्रेणी कि उस  ऊँची उठी  पीठ को डिवाइड कहते हैं जहां से पानी दो अलग-अलग दिशाओं को बहने लगता है।

 जल विभाजक या वाटर सेड(Water Shed):-जब किसी पर्वत श्रेणी का ऊंचा भाग जो जल प्रवाहो को अलग करें उसे जल विभाजक या वाटर सेड कहते हैं। यह जरूरी नहीं कि वाटर शेड के लिए पर्वतीय श्रृंखला का सबसे ऊंचा भाग हो। इसे मैप पर निम्न प्रकार से दिखाते है !

Water Shed 

4. जल प्रवाह मार्ग या वाटर कोर्स(Water Course):-किसी इलाके में सबसे नीची जगह जल प्रवाह मार्ग कहलाती है जहां से होकर उस इलाके का पानी बहता  है। यह  सुखा भी हो सकता है और पानी से भरा भी हो सकता है!

 5. डिफायल(Defile) : किसी रास्ते के उस तंग भाग को डिफायल कहते है जिससे पार  होने के लिए सेना को अपनी फॉरमेशन छोटी करनी पड़े. डिफायल कुदरती वह बनावटी दोनों होती है:-
  • कुदरती पहाड़ियों के तंग रास्ते या दर्रा घने जंगल आदि  
  • बनावटी पूल सुरंग आदि

इस प्रकार से टोपोग्राफिकल फॉर्म जैसे टेकरी , डिवाइड आदि  से सम्बंधित या ब्लॉक पोस्ट समाप्त हुआ और उम्मीद है कि यह आप लोगों को लिए उपयोगी साबित होगा। अगर यह मेरा ब्लॉक ब्लॉक पोस्ट आपको पसंद आया हो तो मेरे ब्लॉक को शेयर और सब्सक्राइब करें और अगर कोई सुझाव मेरे ब्लॉक पोस्ट के बारे में हो तो नीचे के कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें इस ब्लॉग को सब्सक्राइब और फेसबुक पर लाइक करें और हम लोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करें।

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  1. मैप रीडिंग की अवाश्काताये तथा मैप का परिभाषा
  2. 15 जरुरी पॉइंट्स मैप को सही पढने के लिए
  3. मैप कितने प्रकार के होते है ?
  4. कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका
  5. कंटूर रेखाए क्या है ? एक मैप की विश्वसनीयता और कमिया किन किन बाते पे निर्भर करती है ?
  6. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  7. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
  8. कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका
  9. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  10. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
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03 जनवरी 2021

सैंडल किसे कहते हैं और मैप पर कैसे दिखाते हैं?Saddle kise kahte hai aur use map par kaise dikhya jata hai?

पिछले ब्लॉक पोस्ट में हमने रिज किसे कहते हैं और उसे मैप पर कैसे दिखाया जाता है उसके बारे में जानकारी प्राप्त की और अब हम आज के इस ब्लॉग पोस्ट में टोपोग्राफिकल फॉर्म जैसे पास सैंडल, क्रेस्ट, माउंड,  पठार, ड्यून किसे कहते हैं तथा उसे मैप पर कैसे दिखाया जाता है के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप निम्नलिखित टोपोग्राफिकल फॉर्म तथा उसे मैप के ऊपर दिखाने की विधि के बारे में अच्छी जानकारी प्राप्त करेंगे ;
  1. दर्रा या पास किसे कहते हैं और उसे मैप पर कैसे दिखाया जाता है(Darra ya Pass kise kahte hai)?
  2.  सैंडल किसे कहते हैं और उसे मैप पर कैसे दिखाया जाता है (Saddle kise kahte hai)?
  3. क्रेस्ट किसे कहते हैं और उसे मैप पर कैसे दिखाया जाता है(Crest kise kahte hai)?
  4. पठार किसे कहते हैं और उसे मैप पर किस विधि से दिखाया जाता है?
  5. माउंड  किसे कहते हैं और उसका क्या उपयोग होता है(Mount kise kahte hai)?
  6. ट्यून किसे कहते हैं और यह कहां पाया जाता है(Dyune kise kahte hai)?
1. दर्रा या पास किसे कहते हैं और मैप पर कैसे दिखाते हैं? किसी पर्वतमाला की दो चोटियों के बीच जो नीचे और तंग जगह होती है उसे पास या दर्रा कहते हैं। इस जगह से पहाड़ के दूसरी ओर जाया जा सकता है। दर्रा पहाड़ की दो चोटियों को अलग अलग करता है। इसी प्रकार इसके कंटूर भी खींचे जाते हैं। इससे मैप के ऊपर निम्न प्रकार से दिखाया जाता है।

Pass (दर्रा )
2. सैंडल किसे कहते हैं और मैप पर कैसे दिखाते हैं? लगभग दो समान ऊंचाई वाली दो पहाड़ियों के बीच में या एक पर्वत की दो चोटियों के बीच में दबे हुए फोड़े समतल से भाग को सैंडल या कॉल कहते हैं। दूर से देखने पर या यह घोड़े की काठी की तरह दिखाई देता है। सैंडल का आकार दर्रा से मिलता जुलता रहता है इनमें एक पर किया है कि सैंडल दर्रा से ज्यादा चौड़ा और कम दबा हुआ होता है। इसे मैप पर निम्न प्रकार से दिखाया जाता है।


३. क्रेस्ट  किसे कहते हैं और उसे मैप पर कैसे दिखाया जाता है? लंबी और दूर तक फैली हुई पर्वत श्रृंखलाओं की चोटियों को मिलाने वाली कल्पनिक रेखा को क्रस्ट कहते हैं। जहां पहाड़ की खड़ी ढलान समाप्त होकर जब गोल चोटी शुरू होती है उसे श्रृंग या क्रश कहते हैं। मैप पर छोटी से छोटी गोल कार कंटूर रेखा जिसके भीतर दूसरी रेखा ना हो श्री या कैसे बनाती है। क्रेस्ट को मैप के ऊपर निम्न प्रकार से दर्शाया जाता है।


4. पठार या प्लेटो किसे कहते हैं और उसे मैप पर कैसे दिखाया जाता है? पहाड़ के ऊपर बने समतल भाग को पठार कहते हैं। इस पर खेती बाड़ी की जा सकती है। मैप पर इस भाग में कंटूर रेखाएं नहीं होती है इसके चारों तरफ छोटी-छोटी पहाड़ियां होती है।

5. माउंट किसे कहते हैं और इसका क्या उपयोग मैप रीडिंग में किया जा सकता है? मैदानी भाग में उभरा हुआ वह अकेला सा टीला माउंट कहलाता है जिस पर खड़े होकर चारों ओर का इलाका दिखाई देता है। मैप रीडिंग में माउंट का उपयोग एरिया ऑब्जर्वेशन करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर मैप के ऊपर माउंट को रिलेटिव हाइट से दिखाया जाता है।
6. ड्यून किसे कहते हैं और यह कहां पाया जाता है? रेतीले इलाके में हवा द्वारा वह मिट्टी या रेट उड़ने से बनने वाले टीले ड्यूल कहलाते हैं। यह हवा के बहाव से बनते बिगड़ते रहते हैं और पहाड़ी के समान दिखाई देते हैं उनकी स्थित स्थाई नहीं होता है इसीलिए इन्हें मैप पर नहीं दिखाया जा सकता।


इस प्रकार से टोपोग्राफिकल फॉर्म जैसे सैंडल माउंट ड्यूल दर्रा से संबंधित या ब्लॉक पोस्ट समाप्त हुआ और उम्मीद है कि यह आप लोगों को लिए उपयोगी साबित होगा। अगर यह मेरा ब्लॉक ब्लॉक पोस्ट आपको पसंद आया हो तो मेरे ब्लॉक को शेयर और सब्सक्राइब करें और अगर कोई सुझाव मेरे ब्लॉक पोस्ट के बारे में हो तो नीचे के कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें इस ब्लॉग को सब्सक्राइब और फेसबुक पर लाइक करें और हम लोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करें।

इन्हें  भी  पढ़े :
  1. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  2. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
  3. कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका
  4. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  5. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
  6. सर्विस प्रोटेक्टर का उपयोग और सर्विस प्रोटेक्टर से बेक बेअरिंग पढने का तरीका
  7. 13 तरीके मैप सेट करने का !
  8. 5 तरीका मैप पे ऊपर खुद का पोजीशन को पता करने का
  9. 5 तरीको से मैप टू ग्राउंड और ग्राउंड टू माप जाने
  10. मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा मैप रीडिंग के महत्व

01 जनवरी 2021

रिज किसे कहते हैं और उसे मैप पर कैसे दिखाया जाता है ?What is ridge, spur, re-entrant and basin

पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने कोनिकल हिल और उसे मैप पे कैसा दिखया जाता है उसके बारे में जानकारी प्राप्त की और अब आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हम टोपोग्राफिकल फॉर्म के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे और आज जिन टोपोग्राफिकल फॉर्म के बारे में इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानकारी प्राप्त करेंगे को निम्नलिखित है
  1. रिज  किसे कहते हैं और मैप पर कैसे उसे कैसे दिखते है(What is ridge ) ?
  2.  स्पर  पर किसे कहते हैं और मैप पर कैसे उसे कैसे दिखते है ?(What is spur ) 
  3. रीएंट्रेंट किसे कहते हैं और मैप पर कैसे उसे कैसे दिखते है ? (What is re -entrant  ) 
  4. बेसिन किसे कहते हैं औऔर मैप पर कैसे उसे कैसे दिखते है ?(What is Basin ) 

ऊपर बताए गए चार  टोपोग्राफिकल फॉर्म के बारे में हम डिटेल से इस ब्लॉग पोस्ट में जानकारी प्राप्त करेंगे:
1 . रिज किसे कहते हैं और उसे मैप पर कैसे दिखाया जाता है:- किसी ऊंचे पहाड़ी का सिकुड़ा हुआ लंबाई और लगभग समान ऊंचाई वाली पर्वतीय पहाड़ी की श्रेणी को रीच कहते हैं !जहां दोनों ओर को  उस पहाड़ी की ढलान शुरू हो जाता है। रिच को दिखाने वाली कंटूर लाइन लंबाई और क्रम से होती है !
यानी दूसरे शब्दों में कहें तो वह उस  सिकुड़ी हुई पहाड़ी जिसकी लंबाई लगभग समान हो और उसकी ढलान दोनों तरफ शुरू हो एक समान तो उस पहाड़ी को जो ढलान है उसको हम रिज कहते  हैं उसे मैप पर निम्न लिखित तरीके से दिखाया जाता है!

2. स्पर किसे कहते हैं और उसे मैप पर कैसे दिखाया जाता है: जिस प्रकार से हमारे शरीर से बाहे  नीचे की ओर निकलती  है उसी प्रकार से पहाड़ी इलाकों में पहाड़ का कुछ भाग नीचे मैदान की ओर बढ़ता चला जाता है। पहाड़ का वह भाग जो बाजू की तरह  जमीन के साथ निकला हुआ चला जाता है उसे स्पर  या पर्वत स्कंध कहते हैं!स्पर  की कंटूर V  आकार की होती है और V  की नोक मैदान की ओर रहती है। स्पर  को मैप पर कंटूर की सहायता से निम्न प्रकार से दिखाएं जाता है!


3. रीएंट्रेंट किसे कहते हैं और उसे मैप पर कैसे दिखाया जाता है: दो पर्वत स्कंध या स्पर   के बीच दबे हुए भाग को रीएंट्रेंट कहते हैं! इसका मोड पहाड़ी की ऊंचाई की ओर  कम होता चला जाता है! रीएंट्रेंट से आमतौर पर नाले निकलते हैं। इसे कंटूर के सहायता से मैप के ऊपर निम्न प्रकार से दिखाया जाता है।

Re-entrant Kise kahte hai aur use map par kaise dikhaya jata hai ?
Re -Entrant 

4. बेसिन किसे कहते हैं और उसे मैप पर कैसे दिखाया जाता है: बेसिन का दो मतलब होता है:

  • पहाड़ों से घिरे हुए उस भाग को बेसिन कहते हैं जो समतल या लगभग समतल होता है।
  • नदिया नदी की सीखा सिखाओ द्वारा जिस इलाके की सिंचाई होती है उसे नदी का बेसिंग कहते हैं।
बेसिन को कंटूर की सहायता से मैप पर निम्न प्रकार से दिखाया जाता है।
Basin Kise kahte hai aur use map par kaise dikhaya jata hai ?
Basin 

इस प्रकार से टोपोग्राफिकल फॉर्म पार्ट- 2 का एक छोटा सा ब्लॉक पोस्ट यहां समाप्त हुआ। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको पसंद आएगा अगर यह पोस्ट पसंद आए तो हमारे पोस्ट को लाइक शेयर और सब्सक्राइब करें!और कोई सुझाव होतो निचे के कमेंट कर के जरूर बताये !इस ब्लॉग को सब्सक्राइब और फेसबुक पर लाइक करें और हम लोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करें।

इन्हें  भी  पढ़े :
  1. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  2. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
  3. कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका
  4. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  5. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
  6. सर्विस प्रोटेक्टर का उपयोग और सर्विस प्रोटेक्टर से बेक बेअरिंग पढने का तरीका
  7. 13 तरीके मैप सेट करने का !
  8. 5 तरीका मैप पे ऊपर खुद का पोजीशन को पता करने का
  9. 5 तरीको से मैप टू ग्राउंड और ग्राउंड टू माप जाने
  10. मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा मैप रीडिंग के महत्व

26 दिसंबर 2020

कॉनिकल हिल से क्या समझते हैं और उसे मैप पर कैसे दर्शाया जाता है? what is Hill, Mountain,conical hill ,

 पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने मैप रीडिंग के मैप इनलारजमेंट के बारे में जानकारी प्राप्त की थी और अब हम इस नए पोस्ट में मैप रीडिंग की एक और 20 है के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। हम जानेंगे की टोपोग्राफिकल फॉर्म्स में हील और माउंटेन क्या होते हैं।

इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने के बाद आप टोपोग्राफिकल फॉर्म के निम्नलिखित शब्दों के बारे में अच्छी से जानकारी प्राप्त कर पाएंगे:
1. हिल या पहाड़ी क्या होता है? 
2. पहाड़ या माउंटेन किसे कहते हैं?
3. क्रॉनिकल हिल से क्या समझते हैं और उसे मैप पर कैसे दर्शाया जाता है?
4. चोटी से क्या समझते हैं और उसे मैप पर कैसे दर्शाया जाता है?


जैसे कि हम जानते हैं कीटो ग्राफिकल फॉर्म के सहायता से मैप रीडिंग की सिखलाई में वह चीजें टोपोग्राफिकल फॉर्म कहलाती है जिनसे उनकी जमीनी बनावट का सहज अनुमान हो जाता है।

1.हील या पहाड़ी क्या होता है:-जमीन के उस उठे  हुए भाग को पहाड़ी कहते हैं जिसकी ऊंचाई समुंदर तल से 3000 हजार फिट से कम होती है।

2. पर्वत या माउंटेन किसे कहते हैं:-जमीन का वह ऊंचा उठा हुआ भाग जिसकी ऊंचाई समुंद्र तल से 3000 फीट से अधिक हो उसे परबतिया माउंटेन कहते हैं।

3. कॉनिकल हिल से क्या समझते हैं और उसे मैप पर कैसे दर्शाया जाता है:-वह पहाड़ी जिसकी सभी ओर की ढलान एक जैसी हो, उसकी शक्ल नीचे से गोल कार होती है! इस को दिखाने वाली कंटूर लाइन मैप पर भी गोलाकार होती है !और आखिर में सबसे ऊंचे स्थान पर बिंदु की शक्ल में बदल जाती है। कॉनिकल हिल आमतौर पर ज्वालामुखी वाले देशों में पाई जाती है। मैप के ऊपर इसे भूरे रंग के कानपुर लाइन से इस प्रकार से दिखाया जाता है।

4. चोटिया पिक क्या होता है इसको मैथ के ऊपर कैसे दर्शाया जाता है:-किसी पहाड़ि या पर्वत की सबसे ऊंची जगह को चोटी कहते हैं। मैप पर चोटी की ऊंचाई स्थानिक ऊंचाई या त्रिभुजाकार ऊंचाई से दिखाई जाती है। मैप के ऊपर इसे भूरे रंग के कंटूर लाइन से इस प्रकार से दिखाया जाता है।

इस प्रकार से यहां टोपोग्राफिकल का एक ब्लॉग पोस्ट जिसमें कि हमने हील माउंटेन कोनिकल हील और चोटी से संबंधित जानकारी प्राप्त की। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको पसंद आएगा। अगर कोई कमेंट हो तो नीचे के कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। इस ब्लॉग को सब्सक्राइब और फेसबुक पर लाइक करें और हम लोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करें।
इन्हें  भी  पढ़े :
  1. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  2. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
  3. कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका
  4. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  5. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
  6. सर्विस प्रोटेक्टर का उपयोग और सर्विस प्रोटेक्टर से बेक बेअरिंग पढने का तरीका
  7. 13 तरीके मैप सेट करने का !
  8. 5 तरीका मैप पे ऊपर खुद का पोजीशन को पता करने का
  9. 5 तरीको से मैप टू ग्राउंड और ग्राउंड टू माप जाने
  10. मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा मैप रीडिंग के महत्व

02 अगस्त 2018

मैप इन्लार्जमेंट से क्या समझते है ?

पिछले पोस्ट में हमने सिल्वा कंपास के बारे में जानकारी प्राप्त की इस पोस्ट में हम मैप के प्रक्षेपण यानि इन्लार्जमेंट (Map Enlargement ki jankari hindi me) के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे !


यदि कोई जवान मैप रीडिंग में निपुणता  प्राप्त करना चाहता है तो उसे  आवश्यक है की वह मैप की हर डिटेल को बारीकी से समझे और इसके लिए जरुरी है की उसे मैप के उसे हिस्से को कागज के ऊपर बनाकर एक बड़े साइज़ में देखा जा सकता है और उसे आसानी से समझा सकता है ! और उस एरिया के बारे में जो भी शक या सुभा हो   उसे अच्छी तरह से समझा जा सकता है !


इस ब्लॉग पोस्ट को आगे पढने से पहले मै अपने पाठको से यह अनुरोध करूँगा की अगर आप ने मेरा ब्लॉग सब्सक्राइब और फॉलो नहीं किये हो तो उसे सब्सक्राइब औरफॉलो करले वह बहुत ही आसान है और मेरे इस पोस्ट को लाइक और शेयर करे ! आपके इतना करने से हमे और अच्छा करने की प्रेरणा मिलती है !


इस पोस्ट में हम मैप इन्लार्जमेंट के से सम्बंधित निम्न विषयों के बारेमे जानकारी प्राप्त करेंगे :
Map Enlargment
Map Enlargment
1. इन्लार्जमेंट का क्या मतलब होता है ?(Enlargement ka kya arth hota hai?)
2. इन्लार्जमेंट का परिभाषा क्या होता है ?(Enlargement  ka pribhasha kya hota hai ?)
3.इन्लार्जमेंट की जरुरत क्यों पड़ती है ?(Enlargement  ki jarurat kyo padti hai)


1. इन्लार्जमेंट का क्या मतलब होता है ?(Enlargement ka kya arth hota hai?): इन्लार्जमेंट का शाब्दिक अर्थ होता है किसी बस्तु को उसके साइज़  से बड़ा कर के  दिखाना !यदि किसी मैप पे दिखाए गए जमीनी इलाके को अगर किसी कागज के ऊपर या ड्राइंग शीट के ऊपर मैप के स्केल से बड़ा करके दिखाया जाये तो उसे एनलार्जमेंट कहा जायेगा !सीधी भाषा में कहे तो किसी चीज को ज़ूम करना इन्लार्जेमेंट है !

अब प्रश्न यह उठता है की क्या 1/25000 की स्केल का मैप 1/250000 की स्केल का दस गुना एनलार्जमेंट है क्या तो उसका जवाब है नहीं  kyo की अलग अलग स्केल के मैप एक दुसरे के एन्लार्जेमेंट नहीं कहे जायेंगे क्यों की उसमे फर्क दिखाए गए जमीनी एरिया का इलाका भिन्न भिन्न होता है !जब की इन्लार्जमेंट के लिए जरुरी है की यह किसी मैप के केवल एक या कुछ ही वर्गों का चित्रण किसी विशेष उद्देश्य के लिए किया गया होता है !


2. इन्लार्जमेंट का परिभाषा क्या होता है ?(Enlargement  ka pribhasha kya hota hai ?): जब मैप के एक या एक से अधिक वर्गों के जमीनी इलाके को उस मैप की स्केल से बड़ी स्केल में उसकी पूरी डिटेल्स और मैप की कमियों को पूरा करते हुए किसी कागज के ऊपर स्केच के रूप में बनाया जाता है तो उस स्केच को को एनलार्जमेंट कहते है ! किसी भी चीज को आवशयकता के अनुसार अनुपाती स्केल से बड़ा करके बनाने  को इन्लार्जमेंट कहते है !

3.इन्लार्जमेंट की जरुरत क्यों पड़ती है ?(Enlargement  ki jarurat kyo padti hai):ट्रेनिंग और किसी रेजिमेंटल आवश्यकता को पूरा करने के लिए इलाके का ज्यादा से ज्यादा जानकारी की आवश्यकता पड़ती है जिनको हम उपयोग करना चाहते है लेकीन  उसे साधारण सामान्य मैप के ऊपर नहीं समझा जा सकता है  इस लिए मैप इन्लार्ग्मेंट की जरुरत पड़ती है ! 


मैप इन्लार्जमेंट की जरूरत निम्न कामो में पड़ती है :

(a)जैसे ट्रेनिंग या किसी ऑपरेशन के दौरान उसके प्रयोग का इलाका प्राय 1000 किमी तक हो सकता है  जिसे 1/50000 के सर्वे मैप पर केवल एक वर्ग में ही दिखाया जाता है ! मैप के इस छोटे से वर्ग में समस्त जरुरी डिटेल्स को या जमीनी बनावटो  को नहीं दिखाया जा सकता है इसलिए इन्लार्जेमेंट की जरुरत पड़ती है !

(b) डिफेन्स की हालत में हमे अपनी यूनिट के सभी हथियार , जवानों तथा सपोर्टिंग आर्म्स को लगाने या दूसरी मोर्चाबंदी करने के लिए ऐसे उचित स्थानों की जरुरत पड़ती है जो सर्वे मैप पर दिखाना संभव नहीं हो सकता है !

(c) सभी यूनिट कमांडर्स को अपने जिम्मेवारी के इलाके में फॉरवर्ड पोस्ट(Forward post) और उनकी बनावट की पूरी जानकारी रखने के लिए सभी पिकेट के इन्लार्जमेंट अपने पास रख पड़ता है !


(d) बड़े बड़े कमांडर्स(senior commanders) अपनी योजनाओ को अपने से छोटे कमांडर्स को  समझाने के लिए इन्लार्जमेंट का सहायता लेता है !   

(e) ऑपरेशन की योजना बनने के लिए भी बड़े कमांडर अपने पास आवश्यक इलाके का इन्लार्जमेंट रखते है !

(f)  युद्ध सम्बंधित ट्रेनिंग या टैक्टिक्स को सफल बनने के लिए इन्लार्जेमेंट की जरुरत पड़ती है वर्तमान और उस समय की जमीनी बनावट को समझाने के लिए इन्लार्जमेंट की जरुरत पड़ती है !

(g) मैप की त्रुटी को दूर करने के लिए भी इन्लार्गेमेंट की जरुरत पड़ती है !
(h) सैंड मॉडल(Sand Model) बनाने  से पहले उसमे दिखाए जाने वाले इलाके का इन्लार्जमेंट बनाना आवश्यक है !
(i) ट्रेनिंग के दौरान प्रैक्टिस के लिए भी इन्लार्जमेंट बनवाया जाता है !


इस प्रकार से हम इस पोस्ट के माध्यम से जान पाए की मैप इन्लार्जेमेंट क्या होता है और उसका जरुरत क्यों पड़ता है !उम्मीद है की ये पोस्ट पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे  और इस ब्लॉग को सब्सक्राइब तथा फेसबुक पेज  लाइक करके हमलोगों को और प्रोतोसाहित करे बेहतर लिखने के लिए !
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  1. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  2. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
  3. कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका
  4. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  5. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
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  8. 5 तरीका मैप पे ऊपर खुद का पोजीशन को पता करने का
  9. 5 तरीको से मैप टू ग्राउंड और ग्राउंड टू माप जाने
  10. मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा मैप रीडिंग के महत्व


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