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31 May 2016

इंसास एलेमजी को खोलना जोड़ना और उसके पार्ट्स का नाम

पिछले पोस्ट में हम इंसास एलेमजी के विशेषताए और उसके कुछ अहम टेक्नीकल  स्पेसिफिकेशन(INSAS LMG ke important technical specification) के बारे में बाट किए ! इस पोस्ट में हम इंसास एलेमजी को खोलना जोड़ना (LMG ko Kholna aur Jodna )और उसके हिस्से पुरजो के नाम  बारे में बात(Insas LMG ke Parts ka naam) करेंगे !




                         जरुर पढ़े : ओब्जेक्टी प्रस्नोतर एलेमजी के बारे में 

एलेमजी के खोने जोड़ने का मतलब है की आप को एसएलआर(SLR) , इंसास राइफल(INSAS Rifle), कार्बाइन(9mm Carbine), तहत पिस्तौल(9mm Pistol) को खोलना जोड़ना आता होगा!  अगर नहीं आता है तो उसके बारे में भी पोस्ट है उसे आप पढ़ सकते है और जानकरी हासिल कर सकते है !

जैसे की हम जानते है कीकिसी भी हथियार को खोलना जोड़ना एक तरतीब से होता है उसी तरह से इंसास एलेमजी को भी खोलने जोड़ने का तरतीब है ! जैसे :
  • सबसे पहले मग्जिन  उतारें
  • कॉक करे
  • कवर असेंबली को खोलें
  • पिस्टन एक्सटेंशन असेंबली को निकले
  • रोटेटिंग बोल्ट को अलग करे
  • गैस ट्यूब को खोलें
  • फायरिंग पिन, एक्सट्रैक्टर , मगज़ीन के प्लेट फॉर्म को भी खोले सकते है 
INSAS LMG
INSAS LMG
इंसास एलेमजी के हिस्से पुर्जे का नाम और काम : इंसास एलएमजी में कुल 13 असेंबली होती है जो निम्न है !
  • बैरेल असेंबली(INSAS LMG ke barrel Assymbly aur uske partska name) :
  1. फ़्लैश एलिमिनाटर(flash eliminator) : पैदा होने वाले सोले की तीव्रता को कम करता है और ग्रेनेड प्रोजेक्टर का भी काम करता है !
  2. बैरेल(Barrel) : गोली को सही दिशा में जाने में मदद करता है ! इसके ग्रूव और लैंड गोली को स्थिरता देती है 
  3. गैस ब्लाक और गैस प्लग(Gas Block and Gas plug) : गैस वेंट के ऊपर लगी पूरी एक्सेसरीज को ब्लाक गैस कहते है जिससे गैस सिलिंडर में दाखिल होती है !
  4.  गैस रेगुलेटर ,गैस एस्केप होल(Gas regulator and gas escape hole) : गैस रेगुलेटर गैस की मात्र को कण्ट्रोल करता है लो और हाई पोजीशन द्वारा !
  5. लूप फ्रंट स्लिंग(Lug for front sling) :  फ्रंट स्लिंग लगाने का काम आता है !
  • हैण्ड गार्ड असेंबली (Hand Guard Assembly)
  • कोक्किंग हैंडल असेंबली(Cocking handle Assysmbly) : ये राइफल को कॉक करने में मदद देता है ! स्लाइड के पीछे हिस्से में लगा होता है ! इसके पुर्जे का नाम इस प्रकार है :
  1. कोक्किंग हैंडल (Cocking handle)
  2. स्लाइड (Slide)
  3. प्लंजर (Plunger)
  4. पीन(Pin)
  • बॉडी हाउसिंग असेंबली(Body Housing Assymbly) : ये 1.8 mm  सिट मेटल का बना होता है और इसके पुरजो का नाम :
  1. लेफ्ट चैनल (Left Chanel)
  2. राईट चैनल (Right Channel)
  3. सेफ्टी सियर (Safety Sear)
  4. एजेक्टोर (Ejector)
  5. स्पेसर (Spacer)
  6. रियर ब्लाक(Rear Block) 
  • कवर असेंबली (Cover assybmly)
  1. हिन्जेस(Hinges) 
  2. मेल डोवेटेल(Mail Devoetail)
  3. रियर साईट हाउसिंग(Rear sight Housing) 
  • ट्रिगर मैकेनिज्म असेंबली (Trigger Mechanism Assembly)
  1. चेंज लीवर (Change lever)
  2. TRB
  3. हैमर (Hammer)
  4. ट्रिगर सियर (trigger  sear)
  5. औक्सिल्लारी सियर (Auxillary Sear)
  • पिस्तौल ग्रिप असेंबली (Pistol Assymbly)
  • बट असेंबली (But Assymbly)
  1. बट प्लेट (But Plate)
  2. बट ट्रैप (But Trap)
  3. रियर स्लिंग लग (Rear sling lug
  4. शोल्डर पिवोट (Shoulder pivot)
                      जरुर पढ़े :  इंसास राइफल के चाल
  • पिस्टन एक्सटेंशन असेंबली (Piston extension Assembly)
  1. पिस्टन (Piston)
  2. काम वे (Cam way
  3. स्टेम (stem)
  4. रेकोइल स्प्रिंग हाउसिंग(Recoil Spring Housing) 
  5. राईट लग (Right Lug)
  6. बॉटम सरफेस (Bottom surface)
  • रोटेटिंग बोल्ट असेंबली (Rotating bolt assembly)
  1. काम (Cam)
  2. फायरिंग पीन (firing pin)
  3. लॉकिंग लग (Lockin lug)
  4. फीड पीएस (Feed piece)
  5. एक्सट्रैक्टर (Extractor)

  • रेकोइल स्प्रिंग असेंबली(Recoil spring assembly) 
  1. स्टॉपर(Stopper)
  2. गाइड(Guide)
  3. स्प्रिंग(Spring)
  • मगजिन असेंबली (Magzin Assembly)
  1. लिप्स(Lips)
  2. प्लेटफार्म (Platform)
  3. बॉटम प्लेट(Bottom plate) 
  4. डिंपल (Dimpal)
  5. रिटेनर (Retainer)
  6. स्प्रिंग (Spring)
  • बिपोड़ असेंबली (Bipod assembly)
  1. शूज(Sheos)
  2. कैच (Catch)
  3. लेग्स (legs)
इस प्रकार इंसास एलएमजी को कुल 13 असेंबली में विभाजित किया गया है और उसके अस्सेब्ली के अनुसार पुर्जो का नाम है !

5.56 mm इंसास एलेमजी को जोड़ना : इंसास राइफल की तरह ही इसका भी जो पार्ट्स आखिर में खुलता है उसे सबसे पहले जोड़ा जाता है और आखिर में कॉक कर के चेक कर लिया जाता है की कॉक सही से हो रहा है की नहीं और सभी पार्ट्स सही से जुड़ गये है की नहीं !



अगर ये पोस्ट कैसा लगा इसे कमेंट में  जरुर लिखे और कोई सजेसन हो उसे भी कमेंट बॉक्स में लिख सकते है जिसे इस ब्लोग्को और उत्तम बनाने में मदद मिलेगी ! 



29 May 2016

7 बुनियादी विशेषताए 5.56 mm इंसास एलेमजी के

पिछले पोस्ट में हमने 5.56 mm इंसास एल एम् जी  के बेसिक डिटेल्स को प्रश्नोतर के रूप  में शेयर किया था इस पोस्ट में 5.56 mm इंसास एल एम् जी की विशेषताए क्या है उसके बारे में जानकारी शेयर करेंगे !




जैसे की इंसास राइफल ,पुलिस और आर्म्ड फ़ोर्स में  एसएलआर राइफल  का जगह लिया है उसी तरह से इंसास एलएमजी में 7.62 mm   एलएमजी है उसको रिप्लेस कर रहा है ! तो इस 5.56 mm इंसास एलएमजीमें क्या खुबिया है की ये जो पहले की 7.62 mm एलएमजी थी उसको रिप्लेस करने के लिए चुना गया है !

ऐसे तो  पुराने जो फौजी  है जिन्होंने 7.62 mm  एलएमजी इस्तेमाल किया है उन से पूछने पे तो ओ बोलोगे की इंसास एलएमजी से अच्छी 7.62 mm वाली एलएमजी थी क्यों की उसको इस्तेमाल करते करते ओ लोग अभ्यस्त हो गए है जब की इंसास की एलएमजी को अभी हैंडल करते हुए उतना दिन नहीं हुआ !

     जरुर पढ़े : इंसास राइफल के  डे लाइट टेलीस्कोपिक और पैसिव साईट के बारे में जानकारी

लेकिंन ये देखा गया है की नया हथियार जो भी आता है ओ पुराने हथियारों  के अन्दर की कुछ कमियो को दूर करने के बाद ही  आता है! इसलिए इस हथियार यानि इंसास एलएमजी की में कुछ    विशेषताए है जो निम्न है :

स्केच ऑफ़ 5.56 mm एलेमजी
स्केच ऑफ़ 5.56 mm एलेमजी 
  1. हल्का हथियार है - 7.62 mm एलएमजी से 30 % हल्का है 
  2. रेकोइल कम है - 7.62 mm एलएमजी से 70% कम रेकोइल है जिसके कारन एक्यूरेसी अच्छी है ! फायर करते समय ये उतनी झटका नहीं देती है !   
  3. लम्बा रेंग है  : मजल वेलोसिटी ज्यादा है जिसके कारन इस हथियार का कारगर रेंज ज्यादा है वानस्पत 7.62 mm एलएमजी से !
  4. ज्यादा मजल वेलोसिटी है : त्रजेक्टोरी चपटी बनती है जिसके करन  टारगेट पर हिट करने की सम्भावनाये  कभी ज्यादा रहता है और छोटे से छोटे टारगेट को हिट कर सकने की काबिलियत है !
  5. आटोमेटिक फायर - ये हथियार ऑटो मोड पर भी भरी तदाद में फायर कर सकता है 
  6. एक्यूरेट : अच्छा  बलिस्टिकस, कम रेकोइल , और साईट  सिस्टम होने के कारन काफी एक्यूरेट फायर है इस हथियार का !
  7. लेथालिटी : अच्छी बलिस्टिक होने के कारन बुलेट को अच्छी स्टेबिलिटी मिलती है जिससे इस हथियार की लेथालिटी काफी अच्छी है !
                                         जरुर पढ़े :  इंसास राइफल के चाल

कुछ बेसिक डाटा 
  • वजन मग्जिन के बिना -     6.23 kg 
  • खाली मग्जिन का वजन - 0.11 kg 
  • भरी मग्जिन का वजन - .50 kg 
  • बिपोड़ का वजन - 0.75 kg 
  • भरी एलेमजी का वजन -6.73 kg 
  • फिक्स्ड बुत एलेमजी का लम्बाई - 1050 mm
  • बैरेल  की  लम्बाई -535 mm 
  • साईट रेडियस 475 mm 
  • चौड़ाई बिपोड़ एक्सटेंडेड लो पोजीशन - 241 mm
  • चौड़ाई बिपोड़ एक्सटेंडेड (हाई पोजीशन )-318 mm
  • ग्रूवेस -04 (राईट हैण्ड )
  • मजल वेलोसिटी -925 मी/से
  • पेनेट्रसन-03 mm 700 मीटर की दुरी पे 
  • रेट ऑफ़ फायर सिंगल शॉट -60 राउंड्स/मिनट 
  • रेट ऑफ़ फायर आटोमेटिक -150 राउंड्स /मिनट 
  • साइक्लिक रेट ऑफ़ फायर 600-650 राउंड्स /मिनट 
  • फायर होने वाले अमुनिसन - बल , ट्रेस , ब्लांक 
  • रंजे - 700 मीटर
ये रही कुछ इंसास एलेमजी की विशेषताए और जनरल डाटा ! ऑब्जेक्टिव टाइप्स प्रस्नोतर पहले पोस्ट में है जिसे आप वह विजिट कर के देख सकते है !


28 May 2016

एक मिनट ड्रिल : वर्ड ऑफ़ कमांड और मार्चिंग दस्ते पे कण्ट्रोल का त्वरित अभ्यास

इस एक मिनट  ड्रिल में हम जानकारी हासिल करेंगे वर्ड ऑफ़ कमांड और मार्चिंग कॉलम के ऊपर कण्ट्रोल को कैसे फुर्ती के साथ चेक करे !


यह ड्रिल एक प्लाटून  स्ट्रेंथ के ऊपर किया जाना चाहिए!
word of command Practice in quick time
word of command Practice in quick time
                                   जरुर पढ़े : क्लासिफिकेशन ऑफ़ एक मिनट ड्रिल 

ड्रिल : प्रॉपर ड्रिल ड्रेस में सभी ट्रेनिंग ड्रिल के लिए तैयार हो! 60 सेकंड के अन्दर पुरे स्क्वाड से भिन्न भिन्न   प्रकार की ड्रिल त्वरित करवाया जय . जैसे तीन लाइन से दिशा बदली की करवाई , फिर  स्क्वाड बना , फिर दाहिने घूम ,बाएं घूम , थम , तेज चल , मार्च 4 या 5 कदम थम! इस पूरी करवाई को 20 मीटर  x 20 मीटर के एरिया में  3 – 4 बार करवाना चाहिए ज्यादा अनुभव होने के बाद इसे 15 मीटर  x 15 मीटर के एरिया में भी कराया जा सकता है !




इस ड्रिल के फायेद : इस ड्रिल से कमांड एंड कण्ट्रोल मार्चिंग स्क्वाड के ऊपर बढ़ता है जिसे दिशा और फार्मेशन के बदली करनी हो ! इस ड्रिल से जवानों के अन्दर एकाग्रता बढती है और ड्रिल में दिए हुए कमांड को  त्वरित गति से अमल में लाने सिख मिलती है !  

                               जरुर पढ़े :सही  तरह से यूनिफार्म पहनना    


इंसास राइफल से सही फायर करने का तरीका

पीछले पोस्ट में हमने जानकारी शेयर की इंसास राइफल का सहीट्रिगर ऑपरेशन और श्सिस्त लेते समय होने वाली गलतीया ! इस पोस्ट में हम जानकारी शेयर करेंगे इंसास राइफल से दुरुस्त फायर कैसे करे ?
INSAS Firing
INSAS Firing
 एक फायरर जो की साईट एलाइनमेंट और साईट पिक्चर की गलती नहीं  करता है और इंसास राइफल का ट्रिगर ऑपरेशन उसे सही तरीके से आता है तो ओ जवान इस हथियार से एक गोली और एक दुश्मन का टारगेट हासिल कर सकता है !



अलग अलग हालातो में निकलने वाले टारगेट पर कारगर फायर डालने के काबिलियत के हिसाब से इंसास राइफल को बनाया गया है ! इस राइफल से दो तरह का फायर किया जाता है !
  1. सिंगल शॉट
  2. थ्री राउंड्स ब्रस्ट
सिंगल शॉट फायर करने का तरीका :
  • सही पोजीशन अख्तियार कर. कुदरती सीधी को चेक करे . राइफल को भर , रेडी और सही साईट अलिंग्मेंट और साईट पिक्चर हासिल करे !
  • दिमागी तौर पर शारीर के उन अंगो को चेक करे जो राइफल को होल्ड करने में मदद करते है जैसे बाया हाथ, दाहिना हाथ, सर !
  • आब साँस को नार्मल हालत में चलने दे .
  • बैक साईट अप्रेचर के मध्य में फ़ॉर साईट टिप को रखते हुए पॉइंट ऑफ़ एम पर मिलाये ! फ़ॉर साईट टिप 6 बजे और 12 बजे की लाइन में हरकत करनी चाहिए !
  • ट्रिगर के पहले खिचाव को हासिल करने के बाद कुछ समय के लिए साँस को रोके और ट्रिगर के दुसरे खिचाव को भी हासिल करें !
  • गोली फायर होने के बा उसी प्रकार पोजीशन और शिस्त को कायम रखते हुए फ़ॉर साईट टिप की मूवमेंट को चेक करे !
  • फ़ॉर साईट टिप जहाँ पॉइंट कर रही होगी गली तक़रीबन उसी जगह पर लगी होगी ! अब साँस को छोड़ दे !
  • इसी तरह से आप को जितनी राउंड फायर करनी हो  और जितना टारगेट को इंगेज करनी हो इस तरतीब के साथ आप करे !
अगर आप ये तरतीब अमल में लाते है तो कोई शक नहीं है की आप का फायर किया हुए गोली टारगेट को हिट ना करे !


इस गोली की हिट को पुकारने की करवाई को हम फॉलो थोरू कहते है जो किहम हर एक गोली फायर करने के बाद साईट एलाइनमेंट चेक करते है और अगर फायर के बाद एलाइनमेंट सही जहा पे है तो “हिट’ और अलिंग्मेंट सही जगह पे नहीं है तो “नॉट हिट “ पुकारते है इस पुकार को हम फॉलो थ्रू कहते है  सिग्नल शॉट में एक मिनट में 60 राउंड्स के हिसाब से फायर किया जाता है !

फायर के दौरान कोई जानदार बस्तु आगई तो हुकुम मिलता है स्टॉप !
स्टॉप की हुकुम पे करवाई ऐसे करे :
  • कलमे वाली ऊँगली को ट्रिगर से बहार निकले!
  • राइफल को कंधे से निचे उतारे  और चेंज लीवर को”S” पर करें !
  • इंसास की मैजिन पर्दाशी है इस लिए इसे यकीं करने की जरुरत नहीं पड़ती !  अगर मग्जिन खाली होने वाला है तो मग्जिन की बदली करे और अगले हुकुम का इंतज़ार करे !




जैसे ही  जानदार वास्तु इलाके से हट गई और फिर फायर जरी करनी है तो हुक्म मिलेगा “go on” इस हुकुम पे  चेंज लीवर को वापिस पहले वाली पोजीशन में करे और राइफल को फायर में सामिल करे

थ्री राउंड ब्रस्ट : कण्ट्रोल ब्रस्ट फायर में एक बार में ट्रिगर दबाने से तीन राउंड्स फायर होते है और अगला ब्रस्ट फायर करने के लिए ट्रिगर को रिलीज़ करना पड़ता है ! स्टॉप और go on की करवाई सिगले शॉट की ही तरह से होती है ! इसमें हर एक राउंड का फॉलो थ्रू नहीं किया जा सकता है ! कण्ट्रोल ब्रस्ट फायर में एक मिनट में 90 राउंड्स के हिसाब से फायर कर सकते है !


इन तरीको को आपना कर फायर किया जाय तो फायर बहुत ही स्टिक और टारगेट को हिट करने वाला ही होगा और फायर कूपर उम्दा कण्ट्रोल रखने के लिए जरुरी है की प्रैक्टिस फायर सह तरीके से और समय समय पे किया जाय !


   

27 May 2016

इंसास राइफल की दुरुस्त ट्रिगर ऑपरेशन

जैसे की हमने अपने पिछले पोस्ट में जाने की  दुरुस्त शिस्त लेते समय एक फायरर द्वारा दो प्रकार की गलतिया होती है एक है साईट एलाइनमेंट(Sight Alignment) का और दूसरा साईट पिक्चर(Sight Picture) तो इस पोस्ट में हम जानकारी शेयर करेगे की साईट एलाइनमेंट और साईट पिक्चर की गलती को कैसे दूर करेगे और दुरुस्त ट्रिगर ऑपरेशन(Perfect trigger operation) कैसे करे !





            जरुर पढ़े :इंसास राइफल के फायरिंग पोजीशन और मज़बूत पकड़ बनाने के तरीके 

साईट एलाइनमेंट और साईट पिक्चर की गलती एक फायरर द्वारा की जाने वाली गलती है इस गलती को दूर करने या कम से कम करने के लिए निम्न एक्सरसाइज कराया जाता है जिससे फायरर की गलती में सुधार हो !

Aiming box Exercise
Aiming box Exercise
ऐमिंग बॉक्स एक्सरसाइज (Aiming box Exercise): साईट आलिन्ग्मेंट की गलती करने वाले फायरर को ऐमिंग बॉक्स एक्सरसाइज कराया जाता है ! इस एक्सरसाइज में फायरर शोर्ट ऐमिंग रेस्ट के पीछे पोजीशन लेता है! मजल एंड से 10 मीटर की दुरी पर ऐमिंग बॉक्स रखा जाता है . बॉक्स पे 6” x 6” का सफ़ेद कागज़ लगा रहता है जिस पर फायरर शिस्त लेता है और कोच ऐमिंग डिस्क को  पेपर पर रखता है . फायरर  के इशारे के मुताबिक कोच ऐमिंग डिस्क को हरकत देता है ! ज्यो ही फायरर की दुरुस्त शिस्त मिल जाती है वह   कोच को इशारा करता है कोच पेंसिल से निशान लगा देता है ! ये कारवाही तीन बार की जाती है ! ऐसा करने पर अगर फायरर का ग्रुप 6 cm कबंता है तो उसकी साईट अलिंग्मेंट की कारवाही सही है ! 
इस एक्सरसाइज का प्रैक्टिस बार बार करने से साईट अलिंग्मेंट की गलती को दूर किया जाता है !  

 जरुर पढ़े : इंसास राइफल के  डे लाइट टेलीस्कोपिक और पैसिव साईट के बारे में जानकारी 

ऐमिंग करेक्शन एक्सरसाइज(Aiming correction Exercise) : साईट पिक्चर की गलती करने वाले फायरर को ऐमिंग करेक्टर एक्सरसाइज कराइ जताई है ! इस एक्सरसाइज में राइफल के बैक साईट पे पीछे अमिंग करेक्टर लगाया जाता है और फायरर की शिस्त को चेक किया जाता है ! जरुरत शुदा करेक्शन दे कर उसे ठीक कराया जाता है !

गलतियो  को दूर करने के बाद भी अगर ट्रिगर ऑपरेशन ठीक से नहीं क्या जाये तो गोली ठीक जगह पे नहीं लगेगी , इस लिए ट्रिगर  ऑपरेशन में भी महारत हासिल करना चाहिए और ट्रिगर ऑपरेशन को ठीक से ऑपरेट कर के हम इंसास राइफल से एक गोली एक दुश्मन का टारगेट प्राप्त  कर सकते है!

ट्रिगर ऑपरेशन (INSAS Rifle’s Trigger operation) : यह राइफल एसएलआर के बनिस्पत छोटा और  हल्का है . इस लिए इसका ट्रिगर दबाते समय ज्यादा कण्ट्रोल की जरुरात पड़ती है ! इस राइफल से तीन  राउंड्स कण्ट्रोल ब्रस्ट फायर किया जाता है ! ट्रिगर दबाने का कम कलमे वाली अंगुली का है ! अंगुली का पहला और दूसरा जोरक बीच की जगह को ट्रिगर के ऊपर रखता है ! ट्रिगर के दो खिचाव है , हल्का और सख्त खिचाव. पहला खिचाव हासिल करने के बाद दूसरा खिचाव खिचाव हासिल करे ! ट्रिगर दबाते समय barrel हरकत नहीं करनी चाहिए . इस प्रकार ट्रिगर पर 2.1 kg का दबाव आने पर त्र्ग्गेर प्रेस हो जाता है . 


               जरुर पढ़े :इंसास राइफल में पड़नेवाली रोके और उनको दूर करने का तरीका 


जिस प्रकार से ट्रिगर क दबाया गया है उसी प्रकार आराम से ट्रिगर को रिलीज़ किया जाय, इस करवाई को शोर्ट रिलीज़ की करवाई कहते है !गलत ट्रिगर ऑपरेशन करने वाले को टिन डिस्क एक्सरसाइज दी जाती है!


टिन एक्सरसाइज(Tin disc  Exercise) : इस एक्सरसाइज में फायरर लाइंग पोजीशन अख्तियार करने के बाद भर और रेडी की करवाई करता है !  कोच बैरल के ऊपर टिन डिस्क रखता हा और फायरर से ट्रिगर प्रेस करने को कहता है ! फायरर द्वारा ट्रिगर प्रेस करने पर अगर टिन डिस्क नहीं गिरता है तो फायरर के ट्रिगर ऑपरेशन  की करवाई सही मानी जाती है ! यह करवाई भी तीन बार कराइ जाती है ! अगर दो  बार टिन डिस्क नहीं गिरता है तो ट्रिगर ऑपरेशन की करवाई सही मानी जाएगी ! 


 जरुर पढ़े :  इंसास राइफल के चाल 


इस प्रकार से साईट एलाइनमेंट, साईट पिक्चर और ट्रिगर ऑपरेशन किया जाता है और ट्रिगर ऑपरेशन में होने वाली गलती को दूर किया जाता है! 


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26 May 2016

इंसास राइफल से दुरुस्त शिस्त लेने का तरीका और शिस्त लेते समय होने वाले कुछ कॉमन गलतिया

मै अपने पिछले पोस्टो में इंसास राइफल की चाल, खोलना जोड़ना , फायर करना इत्यादि  बहुत से बातो पे जानकारी शेयर किया हु! अब इस पोस्ट में जानकारी शेयर करेंगे ओ है इंसास राइफल से दुरुस्त शिस्त(INSAS Rifle ka durust shist) लेना और शिस्त लेते समय होने वाली गलतिया (Shist lete samay hone wali Galtia)!


जैसे की हम जानते है की अचूक निशाने बाजी का दूसरा बुनियादी उशुल है दुरुस्त शिस्त लेना !अगर एक फायरर दुरुस्त पोजीशन , पकड़ और  शिस्त के साथ साथ दुरुस्त ट्रिगर ऑपरेशन की कारवाही भी ठीक करता है तो एक गोली एक दुश्मन का मुद्दा  हासिल कर सकता है ! इस लिए सभी जवानों को शिस्त लेने के साथ साथ दुरुस्त ट्रिगर ऑपरेशन भी  आनी चाहिए !
Aiming practice at firing range
Aiming practice
दुरुस्त शिस्त लेने का तरीका(Drust shist lene ka tarika)

कोई एक फायरिंग पोजीशन को अपनाये , राइफल को सीधा और मज़बूत पकडे , टारगेट का खाका अपने दिमाग में बैठाएं!  कोई एक आँख बंद करें रियर साईट  अप्रेचर के बीचो बीच फोरे साईट टिप की नोक को पॉइंट ऑफ़ एम (POA) पर मिलें और दुरुस्त साईट  पिक्चर हासिल करें! ट्रिगर प्रेस करने से पहले नज़र फॉर साईट की टिप पर लायें. इस प्रकार जब एक फायर दुरुस्त शिस्त लेने की कारवाही करता है तो वह दो बातो  को अमल में लाता है !
  1. साईट एलाइनमेंट(Sight alignment : जब एक फायरर बैक साईट अप्रेचर के मध्य में फोरे साईट टिप को मिलाता है यानि की फायरर की आँख , बैक साईट अप्रेचर का मध्य और फोरे साईट टिप को एक लाइन में मिलाने की कारवाही को साईट एलाइनमेंट कहते है !
  2. साईट पिक्चर(Sight picture) : दुरुस्त अलाइन की गई साईट को पॉइंट ऑफ़ एम पर मिलाने के कारवाही को साईट पिक्चर कहते है, यानि की फायरर की आँख , बैक साईट अप्रेचर का मध्य फोरे साईट टिप और पॉइंट ऑफ़ एम तक जो फर्जी लाइन बनती है उसे साईट पिक्चर कहते है  


शिस्त लेते समय होने वाली गलतिया(Shist lete samay hone wali galtia)

जब एक फायरर मजबूत पकड़ , दुरुस्त शिस्त और सही ट्रिगर ऑपरेशन की करवाई करके फायर करता है तो भी उसकी गोलिया कभी कभी पॉइंट ऑफ़ एम से हट कर लगती है !

इसका कारन अन्य तकनिकी कारणों के साथ साथ मानव आँख की कमिया  भी है! हर इन्सान के आँख की यह कमजोरिया  है की आँख एक ही समय पर दो अलग अलग  फासले पर लगे निशानों को एक साथ फोकस नहीं कर सकती!

इसको  एक उदाहरण के द्वारा महसूस  किया जा सकता है करने के लिए अपने बाएं हाथ के अंगूठे को खड़ा करें और किसी एक निशान को चुने! जब आप अपनी निगाह किसी निशान पर करते है तो आपको अपना अंगूठा धुधला दिखाई देता है और अगर अंगूठा पर नजर जमाते है तो निशान धुंधला दिखाई देता है !


ठीक इसी प्रकार अगर  फायरर पॉइंट ऑफ़ एम को देखने पर ज्यादा जोर देता है तो उसे फॉर साईट टिप धुंधली दिखाई देती है और वह  फ़ॉर साईट टिप  को अप्रेचर के मध्य में रख पाने की गलती कर जाता है जिसे साईट एलाइनमेंट की गलती कहते है !

जब फायरर फॉर साईट टिप को देखने में ज्यादा जोर देता हा तो पॉइंट ऑफ़ एम धुंधला दिखाई देती है जिससे वह  सही पॉइंट ऑफ़ एम न चुनने की गलती करता है जिसे साईट पिक्चर की गलती कहते है !

ऑपरेशन के दौरान अगर एक जवान साईट पिक्चर की गलती करता है तो गोली टारगेट को हिट करती है क्योकि यह गलती हर एक रेंज पर एक जैसी है , लेकिंग साईट एलाइनमेंट की गलती करने पर बढ़ते हुए रेंज के साथ साथ गोली टारगेट को भी छोड़ सकती है क्यों की यह गलती बढ़ते हुए रेंज के साथ बढती है ! इसी लिए साईट एलाइनमेंट की अहमियत साईट पिक्चर से ज्यादा है !


इस गलतियो को सुधारने के लिए कुछ एक्सरसाइज कराया जाता है जिसे अगले पोस्ट में जानकारी हासिल करेंगे !
यह रहा  इंसास राइफल से दुरुस्त शिस्त लेने का तरीका और फायरर द्वारा की जानेवाली 
गलतिया !

  ईनोट्स  इंसास राइफल से दुरुस्त शिस्त लेने का तरीका  केवल 10/रु में 
 .

जनरल टेक्निकल डिटेल्स 5.56 mm इंसास राइफल के कार्ट्रिज के बारे में

मुझसे बहुत से मेरे रीडर्स ने मेल के  द्वारा इंसास राइफल के राउंड का टेक्निकल डिटेल्स जानना चाहा था  ! उसके बाद मै बहुत से साइट्स और बुक को रेफेर किया उसी को मै यहाँ शेयर करने जा रहा हु  टेक्निकल जानकारी इंसास राइफल के कार्ट्रिज /राउंड्स (General  technical details of INSAS Rifle Ammunition or Round ) के बारे में !




जैसे की हम जानते है है की इंसास राइफल से निम्नलिखित कार तरह के कार्ट्रिज फायर किये जाते है :
  1. बाल राउंड(Ball Round) 
  2. ट्रेसर राउंड (Tracer Round)
  3. ब्लैक राउंड (Blank Round)
  4. एच डी राउंड (HD Round)
5.56 x 45 mm amunition bullet and case
5.56 x 45 mm amunition bullet and case 
और इंसास राइफल के अमुनिसन का पूरा नाम है  5.56 mm  x 45 mm SS Special या  5.56 mm  x 45 mm INSAS MK-1 !


जो मैं इंसास के दो कार्ट्रिज  है उनका टेक्निकल डिटेल यहाँ पे आप के  लिए  शेयर करेगे जिसे  अन्य स्रोतों से इकठा किया हु


अ.       बाल अमुनिसन (Ball Ammunition)

कार्ट्रिज /राउंड्स 


  1.  कैलिबर   - 5.56  x 45 mm 
  2. लम्बाई    - 60 mm
  3. वजन - 12.85 gm 
  4. केस टाइप - रिम लेस बोटल नैक
  5. केस लम्बाई - 45 mm 
  6. बुलेट टाइप - बोट टेल्ड
  7. बुलेट वजन - 4.16 gm 
  8. बुलेट लम्बाई - 24.50 mm
  9. बुलेट आउटर कवर - गुइल्डिंग मेटल (कॉपर+निकाल)
  10. बुलेट कोर : लैड  स्टील टिप के साथ 
  11. कैप  टाइप - बॉक्सर 
  12. कैप कम्पोजीशन - लैड स्तिफ्नेट 
  13. प्रोपोलेट टाइप - निट्रोसेल्युलोज  और निट्रो गिलिसरिन 
  14. प्रोपोलेंट वजन - 1.61 gm 
  15. मूल वेलोसिटी - 925 m/s
  16. अधिकतम कारगर  रेंज - 1000 मीटर 
  17. अधिकतम रेंज - 3300  मीटर 
  18. मीन  प्रेशर - 330 मेगा पास्कल 

ब.       ब्लेंक अमुनिसन (Blank Ammunition)

कार्ट्रिज /राउंड्स 


  1. वजन -8.1 gm 
  2. लम्बाई - 57.5 mm 
  3. केस वजन - 7.53 gm 
  4. केस का लम्बाई - 57.7 mm
  5. प्रोपेल्लेंट टाइप - एस पि ए -II
  6. वजन - 48 gm 
  7. प्राइमर टाइप  - बॉक्सर 
  8. कम्पोजीशन - लैड स्तिफ्नेट 
  9.  आवाज का स्तर - 95 डेसिबेल
  10. सुरक्षित दुरी - 3 मीटर  




फील्ड फोर्टीफिकेसान ,उसके प्रकार और ध्यान में रखनेवाली मुख्या बाते

इस पोस्ट में हम फील्ड इंजीनियरिंग के एक सब्जेक्ट के उपर  जानकारी शेयर करेंगे वह है फील्ड फोर्टी फिकेसन (Field fortification)मोर्चा और तरह तरह के रुकवाते बनाना ये सब फील्ड इंजीनियरिंग के तहत आता है इस पोस्ट में हम मोर्चा यानि फील्ड फोर्टी फिकेसन  का प्रकार और उनके परिभाषाये और .फील्ड फोर्टी फिकेसन  के लिए जरुरी बाते (important point for field fortification), के बारे में जानेगे  !

लड़ाई के दौरान हमारा उद्देश्य शत्रु व विरोधियो को बर्बाद करना होता है इसके साथ हमे अपने लिए भी हिफाजती कारवाही की जरुरत होती है जिसके लिए मोर्चा और तरह तरह के रूकावटे इस्तेमाल कर के हासिल करते है !

डिफेन्स तभी अच्छा साबित होगा जब कमांडर अपने जवानों से उनके हथियारों से कारगर फायर डलवाने सके और इसके लिए जरुरी है की फील्ड फोर्टी फिकेसन  अच्छी तरह से की जाय यानि मोर्चे की खुदाई हथियार को ध्यान में रख कर बने गई हो जहा एक जवान अपनी बचाव करते हुए अपने हथियारों से प्रभावी फायर डाल सके !

फील्ड फोर्टीफीकासन तैयार  करते समय इन बातो को ध्यान में रखना चाहिए
  •  हथियार का इस्तेमाल (Use of weapon) : मोर्चे का डिजाईन ऐसा हो की हथियार से कारगर फायर किया जा सके!
  • फील्ड ऑफ़ फायर(Field of fire) : हथियार्के कारगर रेंज तक साफ हो
  • मोर्चा(Morcha) : मोर्चा ऐसा हो जहा से जवान दुश्मन के फायर और गोलाबारी से बचाव हासिल कर सके ! इसके लिए ओवर हेड कवर और शेल्टर ट्रेंच बनाये ! 
Command Post
Command Post
 बचाव(Safety from weapon fire) : मोर्चे की दीवाल और शेल्टर की मोटाई और  हथियार के मार से बचाव इस प्रकार है :
  • स्माल आर्म्स फायर       -     63 इंच
  • सेल एस्पिलिनटर         -     18 इंच
  • फील्ड गन              -     48 इंच
  • मेडियम गन            -     72 इंच

 छुपाव(Concealment):ज़मीन और हवाई रैकी से छुपाव हो इसके लिए निचे दी हुई बातो का ख्याल रखना चाहिए !
  • ज़मीन की कुदरती बनावट : ज़मीन की कुदरती बनावट को तोडना नहीं चाहिए ! दरख्तों की लाइन और बंधो का पूरा पूरा फ़ायदा उठाना चाहिए !
  • ट्रैक्स  और टेलीफोन : पुराने रस्ते का इस्तेमाल करे नए रस्ते कम से कम बनाये ! नये रस्ते छुपे हुए पुराने रस्ते की तरह  ही हो !
  • स्थानीय सामान : सब सामान झ्डियो और घासों में छुपा देना चाहिए ताकि डिफेन्स के साथ मिलजाए !
  • खोदी हुई मिटटी : खोदी हुई मिटटी को साथ वाली ज़मीन से मिला दिया जाय या दबी ज़मीन में दबाकर कामोफ्लाज कर दिया जाय !
  • कामोफ्लाज नेट : कामोफ्लाज नेट का दुरुस्त उपयोग किया जाय की जिससे फायर और हरकत में रुकावट न पड़े !

Fire Trench
Fire Trench
 फील्ड फोर्टीफिकासन निम्न प्रकार के होते है :
  • फायर ट्रेंच(Fire Trench) : ज़मीन की सतह से नीचे खोदा गया वह मोर्चा जहा से एक या एक से अधिक जवान  अपने हथियार का कारगर फायर कर सके !
  • वेपन पिट (Weapon Pit): ज़मीन की सतह से निचे खोदा गया वह मोर्चा जहा से  हाई trajectory के हथियारों से फायर किया जा सकता है !
  • शेल्टर (Shelter): ऐसा खोदा गया मोर्चा जहा से जवान स्वयं को एयर ब्रस्ट स्पलिन्टर गोली या विरोधिओं व दुश्मन से नज़रि बचाओ कर सके और जवान इसमें कुछ दे आराम कर सके ! यह मोर्चों के पास और पीछे होता है !
  • बंकर/कमांड पोस्ट (Command Post): ज़मीन में खोदा गया वह बड़ा  मोर्चा जिसको over हेड प्रोटेक्शन दिया हो साथ में लूप होल फायर के लिए बनाया गया हो!
  • स्लिट ट्रेंच(Slit Trench):  ज़मीन की सतह से निचे खोदा हुआ वह मोर्चा जो थोड़ी देर के लिए दुश्मन के हवाई हमले से बचाए, जबकि फायर ट्रेंच की जरुरत न हो, जैसे की हार्बर या छोटे हालत के समय
  • फिक्स्ड डिफेन्स(Fixed defence) : ऐसा डिफेन्स जिसमे तमाम ट्रेंच सीमेंट या कंक्रीट के बने हो !
  • ब्रेस्ट वर्क(Brust work) : ऐसा इलाका जहा पर ट्रेंच न खोदा  जा सकेजैसे पथरीली और रेतीले इलाके वह जमीन के ऊपर ही सैंड बैग या पत्थर की मदद से बनाए जाते है उसे ब्रेस्ट वर्क कहते है !
  • डिफेंडेड बिल्डिंग(Defended building) : ऐसा माकन जिसको डिफेन्स के लिए इस्तेमाल किया जाय!
  •  ड्रेनेज (Drainage): डिफेन्स को ऐसी जगह पे बनाया जाय जहा पे पानी जमा नहीं होता हो !ऐसी जगह पे पानी जमा होने पर पानी को बहार निकलने के लिए ड्रेनज बनाया जाय ! जिससे की ड्रेनज के आदर इकठा पानी बहार निकल जाय !

  • रिवेत्मेंट(Revetment) : मोंचे के कंधो को वरिश और धमाके से बचने के लिए उसे रिवेत्मेंट किया जाता है वह दो प्रकार का होता है :

  1. स्किन रिवेत्मेंट(Skin revetment) :मोर्चे के कंधो को रोकने के लिए लकड़ी के प्लांक लोहे के चादर लगा दी जाती है और इसको पिस्त और तार से बांध दी जाती है !
  2. दिवार रिवेत्मेंट(Wall revetment) : सैंड बैग या दिवार बनाकर मोर्चे के दिवार को गिरने से रोका जाता है

  • ओवर हेड कवर(Overhead cover) : हवाई जहाज से छुपाने के लिए दरख्तों के निचे बनाना चाहिए !
  • ओवर हेड प्रोटेक्शन(Overhead protection) : शेल्टर या मोर्चा के ऊपर मिटटी या सीमेंट डाल कर बनायीं जाती है जिसमे की जवान अपनी बचाव स्पलिन्टर और  ब्रस्ट इत्यादि से कर सके ! डायरेक्ट हिट से बचाव मुश्किल है


 .फील्ड फोर्टीफिकेस्न के लिए जरुरी बाते (Important point for field fortification) :
  • फायर से कवर हो
  • दुश्मन को ज्यादा समय तक रोक सके
  • दुश्मन को धोखा देने के लिए छुपाव और कैमोफ्लाज में मदद दे सके
  • दुश्मन को रिक्की से रोकने के लिए लैंड माइंस और बूबी ट्रैप्स लगा हुवा हो 
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25 May 2016

ड्रिल : 222 इंग्लिश - हिंदी परेड कमांड का संकलन -I

ऐसे तो हम ड्रिल सब्जेक्ट के ऊपर बहुत से पोस्ट लिखे है जिसमे इंग्लिश परेड  कमांड का हिंदी अनुवाद भी है लेकिंन इस पोस्ट में हम एक समपूर्ण संकलन इंग्लिश परेड  कमांड और उसका हिंदी अनुवाद  को  रखेगे ! ये जो कलेक्शन है ओ BPR&D के ड्रिल मैन्युअल से लेकर हिंदी में किया गया है !

                      जरुर पढ़े : सावधान पोजीशन से दाहिने बाएं मुड

परेड कमांड जो भी हो ओ चाहे NCC Parade Command, Platoon Parade Command, Squad Parade Command , Police Parade Command या परेड ड्रिल कमांड यानि अलग अलग  नामो से  बोले जाते है पर  ये सब आधारित है  BPR&D के ड्रिल मैन्युअल  के ऊपर , इसमें सभी आर्गेनाईजेशन चाहे ओ  लोकल पुलिस हो  BSF , CRPF  या NCC सबने अपने आर्गेनाईजेशन के आवश्कता के अनुसार  थोडा चेंज के साथ इस्तेमाल करते  है !

                    जरुर पढ़े : ड्रिल तेज चल और थम का तरीका

चेंज  कहने का मतलब  है जैसे आप BSF का परेड देखिये ओ पैर जो 12 इंच से भी ज्यादा  ऊपर उठा कर जोर से स्टम्पिंग करते है जब की CRPF में उससे थोडा कम ऊपर उठती है ! BSF ऊपर पैर उठता  है जब की पुलिस वाले  पीछे से पैर उठा को मारते  है !

लेकिन ये कितना भी अंतर हो जब भी कोई डाउट होता है परेड के बारे में या परेड सेरोमोनी के बारे या प्रोटोकॉल के बारे में सभी BPR&D के ड्रिल मैन्युअल को  ही रेफेर करते है और अपना डाउट दूर करते है !
                    


24 May 2016

36 धरातलीय आकृतिया और उनके परिभाषा

पहले पोस्टो में हम मैप रीडिंग की अहमियत और मैप  रीडिंग के बारे में जानकारी शेयर किये ही इस पोस्ट में हम मैप रीडिंग के सन्दर्भ में कुछ धरातलीय आकृतियों (TOPOGRAPHICAL FORMS) का पारिभाष को जानेगे !


धरातलीय आकृतिया क्या है(TOPOGRAPHICAL FORMS) ? मैप रीडिंग की सिखाई में वह चीज़े धरातलीय आकृतिया कहलाती है जिनसे उनकी जमीनी बनावट का सहज अनुमान हो जाता है जैसे की :
Topographical forms
Topographical forms image source wikipedia  

  1. पहाडी(Hills): ज़मींन के उस ऊँचे उठे हुए भाग को पहाड़ी कहते है ! जिसकी ऊंचाई समुन्दर की सतह से 3000 फीट से कम हो !
  2.  पर्वत (Mountain): ज़मीं का वह ऊँचा उठा हुआ भाग जिसकी ऊंचाई समुन्दर की सतह से 3000 फीट से अधिक हो , उसे पर्वत कहते है !
  3. कोनिकल हिल(Conical Hill) : वह पहाड़ी जिसकी सभी ओर की ढलान एक जैसी हो उसको कोनिकल हिल कहते है आप तौर पे ये ज्वालामुखी वाले देशो में पाई जाती है !
  4. चोटी(peak): किसी पहाड़ी या पर्वत की सबसे ऊंचाई वाला जगह को चोटी कहते है ! मैप पर चोटी की उचाई रेखांकित या त्रिभुजाकार ऊंचाई से दिखाई जाती है !
  5. रिज (Ridge): किसी पहाड़ी की सिकुड़ी हुई लम्बाई और लगभग सामान ऊंचाई वाली भाग हो तो  उसे  पर्वत या पहाड़ी को रिज कहते है !
  6. स्पौर (Spour):- जिस प्रकार हमारे शारीर से बहे निचे की और निकली रहती है उसी प्रकार पहाड़ी इलाकों में पहाड़ का कुछ भाग निचले मैदान की ओर बढ़ता चला जाता है ! पहाड़ों का वह भूभाग जो बाजु की तरह निचली ज़मीन के साथ निकला हुआ चला जाता है उसे स्पौर या पर्वत स्खंड कहते है ! स्पौर की काउंटर "V" अकार की होती है 'V' की नोक मैदान की ओर रहती है !
  7. Re-Entrant" दो पर्वत स्कंध के बिच दबे हुए भाग को रे-एंट्रांत कहते है ! इसका मोड़ पहाड़ी की उचाई की तरफ कम होता चला जाता है ! री-एंटरट से आमतौर पे नाले निकलते है !
  8. बेसिन (Basin): (i) पहाड़ी घिरे हुए उस भाग को बेसिन कहते है जो समतल या लग भाग समतल हो ! (ii)किसी नदी या नदी के बहाव के  द्वारा जिस इलाके की सिचाई होती है उसे नदी का बेसिन कहते है !
  9. दररा या पास : किसी पर्वत की दो चोटियो के बिच जो निचे और तंग जगह होती है उसे पास कहते है ! इस जगह से पहाड़ी के दुसरे ओर जाया जा सकता है !
  10. सैडल या कोल(Saddle): लग भाग दो सामान ऊंचाई वाले दो पहाड़ी के बिच में या एक पर्वत की दो चोटियो के बिच में दबे  हुए थोड़े समतल से भाग को सैडल या कोल कहते है ! ये दूर से दिखयी देता है !
  11. स्प्रिंग या क्रेस्ट : लाबी और दूर तक फैली हुई पर्वत श्रृंखलाओं की चोटियां मिलाने वाले काल्पनिक रेखा  को क्रेस्ट कहते है ! जहा पहाड़ी की खड़ी दालान समाप्त हो कर गोल चोटी बन जाती हो  !
  12. पत्थर : पहाड़ के ऊपर बने समतल भाग को पत्थर कहते ! इस पर खेती बड़ी मुस्किल से की जा सकती है मैप पर इस भाग में कंटूर रेखाए नहीं होती है ! इसके चरों तरफ छोटी छोटी पहदियन हो सकती है !
  13. माउंड(Mound): मैदानी भागो में उभरा हुआ अकेला सा तिला माउंड कहलाता है , जिस पर खड़े हो कर चरों ओर का इलाका दिखलाई देता है ! मैपो पर आमतौर ये अपेक्षित ऊंचाई से दिखाई देता है !
  14. डीयून(Dune): रेतीली इलाको में हवा द्वारा वह मिटटी उड़ने से बनने वाला तिल्ले डीयून(Dune) कहते ई ! यह बनते बिगड़ते रहते है और पहाड़ी के सामान दिखाई देते है ! इसकी स्तिथि स्थाई नहीं होती है !
  15. टेकरी या नोल (Knoli): वह अकेली पहाड़ी नोल कहलाती है जिसका किसी पहाड़ी सिलसिला से कोई सम्बन्ध नहीं होता है ! इसकी कंटूर रेखाए गोल होती है और ऊंचाई कम होने से आमतौर पे एक ही कंटूर रेखाए से दिखाई जाती है !
  16. डीफाइल (Defile): लम्बी और  ऊँचें पर्वत स्पानी की उस ऊंची उठी पीठ को डी फाइल कहते है जहाँ से पानी दो अलग अलग दिशाओ में जाने लगती है !
  17. जल्भी (water shed):  जब किसी पर्वत श्रेणी का उचा भाग जो जल प्रभाओं को अलग कर के उसे जल का भेबेजा कहते है !यह जरुरी नहीं की water shed के लिए पर्वत का सबसे ऊँचा भाग ही हो !
  18. जल प्रभा मार्ग (water Cource): किसी इलाके में सबसे निचे वाला जगह जलप्रभा मार्ग अह्लाता है जिसे होकर उस इलाके का पानी बहता है ! यह सुखा  भी हो सकता और पानी भी भरा हो सकता है !
  19. रेविने (Revine): नदियो द्वारा छोड़े गए उस गहरे और लम्बी भूभाग को रेविने कहते है जो एक लम्बी तंग घाटी के रूप में होता है !
  20.   महा खाड(Gorge): पानी अपने बहाव से जब किसी भाग में संकरा और गहरा रास्ता बना देता है तो उस रस्ते के ऊँचे और कहदे किनारे gorge कहलाते है ! पहाड़ी इलाके में के तंग और टूटी फूटी रेविने भी gorge कहलाती है !
  21. 21 भृगु या चट्टान (CLIFF): जहा कही डिअर की भाती ऊंचाई आ जाती है उसे क्लिफ कहते है क्लिफ में बहुत से कंटूर रेखा एक साथ मिल जाती है !
  22. कगार (Escarpment) जब किसी पहाड़ के एक और एकदम बड़ी लम्बाई और क्रम बंध रूप से ऊंचाई आ जाती है तो उसे एस्कार्प्मेंट कहते है !
  23. घाटी (Valley): दो पर्वत शश्रिखलाओ के बिच का काफी निचे चौड़ा तथा काफी लम्बा निचे भाग घाटी कहलाता है ! घटियो में पहाड़ो की ढलान उताल (Concave) होआ है !
  24. क्रिक या हुमाज गह्वर (Cirque): ग्लेशियर के निकलने के स्थान पर वस् गधा cirque कहलाता है जो चरों  ओर से खड़े किनारों से घिरा रहता है और जिसके किसी और ग्लेशियर के बहने का रास्ता बना होता है , काफी बड़े इलाके में फले सिराक को गिरीताल या turn कहते है ! सरक को दिखने वाली कंटूर रेखा काफी बड़े इलाके को घेरती है और बाद की कंटूर रेखाएं पास पास हो जाती है !
  25. अंतरीप - ज़मीन के उस कम चौड़े और नुकीले भाग को अंतरीप कहते है जो दूर तक समुन्दर के भीतर चला जाता है ! 
  26. जल प्रपात या झरना : जहाँ नदी या नालों का पानी एकदम ऊंचाई से निचे की ओर सीधा गिरता है ऐसे जल प्रपात या झरना कहलाते है ! झरने के स्थान पर कंटूर रेखाएं क्लिफ सामान मिल जाती है !जिस स्थान p नदी का पानी एकदम बड़ी ऊंचाई से ना गिरकर कुछ ढलान में गिरता है उसे दृत्वः कहते है ! दृत्वः को दिखने वाली कंटूर रेखाएं झरने की जेर्खा दुरी पर खिची रहती है !
  27. मेंन फीचर : किसी इलाके वह कुदरती वह बनावटी निशान मेंन फीचर कहलाता है जींस उस इलाके की बनावट का पता लगता है !
  28. अंडर फीचर : पहाड़ों की ढलान पर जो छोटे छोटे सिखर उभर आते है उन्हें अंडर फीचर कहते है ! ये मुख्य पर्वत श्रीन्खला से हटकर होते है !
  29. डेड ग्राउंड (Dead Ground): दोनों ओर उठी ज़मीं के बिच में दावी हुई ज़मीं जो दावी हुई होने के कारन दूर से दिखाई नहीं देती , उसे डेड ग्राउंड कहते है !
  30. उवुलास : चुने वाले इलाके में कुदरती तौर पर बने वः चौड़े और गहरे छेड़ उवुलास है जिनसे होकर उस इलाके का पानी ज़मीन के भीतर चला जाता है !
  31. लापीस : चुने वाले इलाके की लम्बाई , गहरे और टैग घाटिओं को आपिस कहते है ! इनकी कंटूर रेखाएं घटती रहती है !
  32. क्रेटर : ज्वालामुखी द्वारा बने संकू के अकार के गड्डो को क्रेटर कहते है जो की कहीं कहीं इतने चौड़े होते है की  झील का रुप धारण कर लेते है !
  33. नदी का धरातल : ज़मीन के जिस भाग में होकर नदी की धरा या धाराएँ बहती है उसके धरातल और किनारों के बिच के भाग को नदी कद बीएड या धरातल कहते है !
  34. मुहाना(Estuary): जहाँ नदी समुन्दर के साथ मिलती है उस स्तन को नदी का मुहाना कहते है !
  35. ओक्स -बो -लेक : मैदानी या लगभग मैदानी इलाको में जब किसी नदी की  धरा "C" अकार के ऐसे दलदली भाग बना देती है , जो बाद या बरसात के समय झिलका रूप धारण कर लेता है . in भागों को ओक्स-बो-लेक कहते है !
  36. सहायक नदी : उस छोटी नदी को सहायक नदी कहते है जो किसिस बड़ी नदी में आकर मिलती है ! जैसे झेलम चिनव , रबी आदि सिन्धु की सहायक नदिया है ! इनके मिलने के स्थान को संगाम कहते है !

ये रही कुछ धरातलीय आकृतिया जिन्हें हम मैप रीडिंग के दौरान इस्तेमाल करते !


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