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27 February 2022

पुलिस स्टेशन और पुलिस स्टेशन के कार्य प्रणाली

पिछले ब्लॉक पोस्ट में हमने एच एच एम डी के बारे में जानकारी प्राप्त की थी और इस पोस्ट में हम थाना और थाना की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। 

इस पोस्ट को पढ़ने के बाद हम यह जानेंगे कि कानूनन पुलिस स्टेशन क्या होता है और पुलिस स्टेशन की कार्यप्रणाली सुचारू रूप से चलाने के लिए कौन-कौन से अधिकारी होते हैं। 

1.थाना  क्या होता है(What is police station)? दंड प्रक्रिया संहिता के  धारा 2(घ) के अनुसार पुलिस स्टेशन से अभिप्राय कोई भी चौकी या स्थान से है जिसे राज्य सरकार तथा साधारणतया विशेषता पुलिस थाना घोषित किया गया है। इसके अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा निमित विनिर्दिस्ट  कोई स्थानीय क्षेत्र भी है। 

थाना की कार्यप्रणाली सुचारू रूप से चलाने के लिए निम्न अधिकारी या कर्मचारी कार्य करते हैं ऐसे तो एक पुलिस स्टेशन में बहुत से अधिकारी कार्य करते हैं लेकिन इस ब्लॉग पोस्ट में हम निम्न  पुलिस अधिकारिओ  के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे और  कानूनी रूप क्या है और उनकी प्रमुख ड्यूटिय क्या होती है। 

पुलिस स्टेशन इंचार्ज या एस एच ओ (Police Station in charge/SHO):

Police Station SHO
Police Station SHO

अपराध  दंड प्रक्रिया संहिता के धारा (ण) के अनुसार जो पुलिस का थाना प्रमुख अधिकारी थाना से बीमार या  अन्य कारण से अपने कर्तव्य का पालन करने में असमर्थ हो तथा थाना में उपस्थित ऐसे पुलिस अधिकारी जो थाना प्रमुख से नीचे के पद पर हो और सिपाही से ऊपर के पद पर हो तो राज्य सरकार ऐसा निर्देश दें तब उपस्थित पुलिस अधिकारी थाना प्रमुख होगा। 

थाना प्रमुख की ड्यूटी की क्या होती है(Duty of Police Station incharge) ?: पुलिस स्टेशन इंचार्ज की प्रमुख ड्यूटी है:

  •  कानून व शांति व्यवस्था बनाए रखना। 
  • थाना के कर्मचारियों के अनुशासन बनाए रखना। 
  • अपराधों की रोकथाम। 
  • थाना के तमाम रजिस्टर और कागज पत्र   का ठीक तरह से रखरखाव करना 
  • अपने अधीनस्थ रजिस्टर अधिकारियों या कर्मचारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देना तथा वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पारित आदेशों का पालन करना। 
  • थाना क्षेत्र का महत्व पूर्ण ज्ञान रखना। 
  • जन सहयोग प्राप्त करने के लिए उचित तालमेल रखना। 
  • अधीनस्थ एवं वरिष्ठ अधिकारियों के बीच कड़ी का काम करना। 
  • थाना क्षेत्र के अपराधियों व शरारती तत्वों पर कड़ी नजर रखना। 
  • पड़ोसी थानों से तालमेल रखना व सूचना का आदान प्रदान करना। 
  • हालात के अनुसार प्रत्येक मामले की अन्वेषण पर व्यक्तिगत जानकारी रखना। 
  • थाना के सामान्य कार्य पर व्यक्तिगत नजर रखना 
  • थाना के अन्वेषण को समय पर पूरा करवा कर न्यायालय में भेजना। 
  • थाना कि अन्य एवं लेखा जोखा। 

नोट:थाना पर एक अतिरिक्त थाना प्रमुख की जा रही है जो सभी प्रकार के प्रशासनिक एवं अन्य कार्यों को पूरा करता है! थाना प्रमुख की अनुपस्थिति में मे थाना की पूरी  जिम्मेवारी अतिरिक्त थाना अधिकारी की होती है !

 ड्यूटी ऑफिसर(Police Station Duty Officer): प्रत्येक थाना में एक शिक्षित प्रधान सिपाही या उसे अन्य पद का अधिकारी कर्तव्य अधिकारी की ड्यूटी का निर्वाह करता है जिसका प्रमुख कार्य थाना में प्राप्त होने वाले प्रत्येक संज्ञे और असंज्ञे मामले की सूचना को  लिखना आवश्यकता अनुसार थाना प्रमुख को जानकारी देना होता है। 

ड्यूटी अधिकारी की ड्यूटीया(Police Station Duty Officer):निम्नलिखित कुछ ड्यूटीया है :

  • रोजनामचा लिखना। 
  • ड्यूटी शुरू करने से पहले पूर्व ड्यूटी अधिकारी से सभी आवश्यक बातों और हालातों की जानकारी प्राप्त करना जैसे
    •  एसएचओ व इमरजेंसी अधिकारी का पोजीशन का पता लगाना 
    • हवालात में बंद मुलजिम  के बारे में जानकारी लेना। 
    • कोई विशेष संदेश संदेश पर की जाने वाली कार्रवाई की जानकारी लेना आदि आदि। 
  • थाना में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति व शिकायतकर्ता आदि से नम्रता पूर्वक व्यवहार करना। 
  • संज्ञे अपराध को तुरंत रजिस्टर करना और प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रतिलिपि संबंधित अधिकारियों को भेजना तथा एक प्रति शिकायतकर्ता को निशुल्क देना। 
  • संज्ञे मामलों में शिकायतकर्ता से सदा व्यवहार करना और उसकी लिखी सूचना को लेकर रसीद देना या मौखिक सूचना को  रोजनामचा में लेकर उसकी प्रति देना तथा न्यायालय में जाने की सलाह देना। 
  • यदि मामला है तुरंत  पुलिस का हस्तछेप अनिवार्यता ऐसे स्थान पर पुलिस को मौके पर भेजना।
  • पेसबंदी व रिपोर्ट को लिखकर किसी अनवेषण अधिकारी को देना , तथा उसका निरंतर प्रोग्रेस की जानकारी रखना। 
  • रजिस्टर एमएलसी, मिसिंग पर्सन, विजिटर व शिकायत एनसीआर आदि का पूरा करना वह प्रतिदिन आवश्यक प्रविष्टियां करना तथा समीक्षा हेतु एसएचओ को भेजना। 
  • कानून व्यवस्था धार्मिक राजनैतिक शांति व्यवस्था संबंधी पुलिस प्रबंधन के लिए थाना का पुलिस बल  प्रबंध करना व करवाना तथा समय पर इंतजाम को भेजना। 
  • थाना में आने वाले मैसेज को पढ़ना और समय पर सभी को बताना 
  • एसएचओ की अनुपस्थिति में आने वाले सभी डाक समय पर आवश्यक कानूनी कार्रवाई करना तथा एसएचओ को भी बताना। 
  • थाना की हवालात में कितने अपराधी किस अपराध में किस अधिकारी द्वारा बंद किए गए हैं की जानकारी रखना 
  • अपराधियों की उचित समय पर न्यायालय में पेश करने हेतु आवश्यक दस्तावेज सहित भेजना। 
  • थाना संत्केरी को चेक करना। 
  • थाना के सुरक्षा हेतु लगाए गए संत्री को चेक करना।
  •  रात्रि गश्त नाइट पेट्रोलिंग पार्टी को उचित असला  सहित गश्त गश्त पर  भेजना। 
  • शिकायतकर्ता या अन्य कोई घायल है तो तुरंत अस्पताल भिजवा ना।
इस प्रकार से  पुलिस स्टेशन SHO और पुलिस स्कटेशन के ड्रयूटी ऑफिसर के ड्नेयूटी  से  सम्बंधित  यह ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुवा !उम्मीद है की यह  पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग  सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !

इन्हें भी  पढ़े :

  1. पुलिस ड्यूटी
  2. फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट में होनेवाली कुछ कॉमन गलतिया
  3. 6 कॉमन गलतिया अक्सर एक आई ओ सीन ऑफ़ क्राइम पे करता है
  4. क्राइम सीन पे सबसे पहले करनेवाले काम एक पुलिस ऑफिसर के द्वारा
  5. बीट और बीट पेट्रोलिंग क्या होता है ?एक बीट पट्रोलर का ड्यूटी
  6. पुलिस नाकाबंदी या रेड् क्या होता है ?नाकाबंदी और रेड के समय ध्यान में रखनेवाली बाते 
  7. निगरानी और शाडोविंग क्या होता है ? किसी के ऊपर निगरानी कब रखी जाती है ?
  8. अपराधिक सूचना कलेक्ट करने का स्त्रोत और सूचना कलेक्ट करने का तरीका
  9. चुनाव के दौरान पुलिस का कर्तव्य
  10. थाना इंचार्ज के चुनाव ड्यूटी सम्बंधित चेक लिस्ट


24 February 2022

हथियार फायरिंग के समय मार्क्स मैन के बेसिक उसूल तथा फायरिंग पोजीशन में ध्यान देनेवाली बाते

पिछले ब्लॉक पोस्ट में हमने फायरिंग रेंज के सुरक्षित फायरिंग करने के उसूल के बारे में जानकारी प्राप्त की और इस नए ब्लॉग पोस्ट में हम मार्क्समैन   बेसिक उसूल के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे

जब कभी भी हम किसी से प्यार करते हैं तो फायर करने से पहले हमें अपनी पोजीशन को दुरुस्त बनानी चाहिए जिससे कि हम टारगेट को अच्छे से इंगेज कर सके और बर्बाद कर सकते हैं ज्यादातर अवस्था में हम जिस पोजीशन  से फायर  करते हैं वह  हालात के अनुसार बनाया गया पोजीशन होता है। फिर भी अगर हम एक अच्छे फायर के बुनियादी उसूलों के बारे में जानकारी ज्ञात और अभ्यास  करें तो हम किसी भी परिस्थिति में एक अच्छे फायर साबित हो सकते हैं। 

अच्छे  फायरर  का सिद्धांत : एक अच्छे फायरर बन्ने के कुछ बुनियादी उसूल एस प्रकार से है :

  •  पोजीशन और राइफल पर पकड़ अच्छी होनी चाहिए जिसे के वेपों को अच्छा सपोर्ट  दे सके 
  • वेपोन कुदरती टारगेट की तरफ पॉइंटेड होना चाहिए बिना किसी फिजिकल ऍफ़र्ट्स
  • साईट एलाइनमेंट और साईट पिक्चर दुरुस्त होना चाहिए 
  • पोजीशन को बिना डिस्टर्ब किये हुए फायर किया गया शॉट को फॉलो करना चाहिए 
मुख्य बाते मार्क्समैन  बनाने के सिद्धांत का :मार्क्स मैन(Marksman)या एक अच्छे फायरर बन्ने के सिद्धांत को अमल में लेन के लिए निम्नलिखत 9 मुख्य बाते है जिसे फायरिंग के दौरान अमल में लेन से एक अच्छे फायरर बन सकते है :
  • पैर  का पोजीशन 
  • बट पोजीशन 
  • लेफ्ट हैण्ड पोजीशन 
  • बायीं केहुनी का पोजीशन 
  • दाहिना हाथ का ग्रिप 
  • दाहिना केहुनी पोजीशन 
  • सर का पोजीशन 
  • आराम पोजीशन
  • साँस  लेने की पोजीशन 

1. पैर का पोजीशन(Firing ke samay Leg position) :पैर का दो पोजीशन होता है जिसे हम फायरिंग के दौरान अख्तियार कर सकते है और इन पोसितिओंस का अपना बेनेफिट्स और इन पोजीशन को हम अलग अलग हालत में ख्तियर कर सकते है !

पैर का पोजीशन-1 

Marksman Leg position-1
Leg position-1

इस पोजीशन में शारीर टारगेट के रफली टारगेट के सीध में रहती है जिसमे पैर कंधे के चौड़ाई में खुली रहती है और अंगूठा बहार पॉइंट किया हुवा ! दाहिना पैर भी रफ्ली राइफल के साथ इन लाइन जो की राइफल के रेकोइल को रोकता है और बॉडी पोजीशन को स्इथिर बनाने में मदद करेगी !लेग पोजीशन के ऊपर यह निर्भर करता है की चेस्ट  पोजीशन छोटा बनेंगा !  




पैर का पोजीशन-2

Marksman Leg position-2
Leg position-2

यह एक क्लासिक पोजीशन है इसमें बॉडी अलिग्नेमेंट थोडा लेफ्ट रहता है फायरिंग लाइन से और दाहिना घुटना बेंत रहता ! इस पोजीशन में चेस्ट ग्राउंड से ऊपर रहता है जिससे प्रेस रिलीज़ हो जाता है चेस्ट से और साँस लेने में आसानी होती है !इस पोजीशन से हाई और अच्छी सपोर्ट फायरिंग पोजीशन बनती है !


 

2. बट पोजीशन(Firing ke samay  rifle butt position) :

राइफल बट की पोजीशन कंधे पे इस प्रकार होना चाहिए की  फायरिंग पोजीशन में स्थिरता के साथ साथ रेकोइल को कम करे फायरिंग के दौरान और बट को कंधे से स्लिप होने से रोके . इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की बूट कालर बोने के ऊपर नहीं रखा जाये और हब्बर शके के स्ट्राइप या किसी हार्ड ऑब्जेक्ट के ऊपर न रखा जाय !. बट कंधे के निचे या ज्यादा ऊपर नहीं होना चाहिए बल्कि कंधे के अन्दर मांस वाले हिन्स्से पे रेस्ट करना चाहिए और इस प्रकार से होना चाहिए जिससे के सर को सीधा और ऊपर रख सके !

3. बाए हाथ की ग्रिप(Firing ke samay left hand grip) :

Rifle Left hand Grip
Left hand Grip

बाया हाथ राइफल के लिए रेस्ट है और राइफल के ऊपर पकड़ अकाद के साथ नहीं होना चाहिए बल्कि साधारण जैसे की आभुशरण को पकड़ते है . पकड़ को ज्यादा सख्त नहीं बनाना चाहिए और राइफल को पीछे की तरफ नहीं खीचना चाहिए !




4. बाए केहुनी का पोजीशन(Firing ke samay left elbow position)  : बाए हाथ केहुनी की पोजीशन इस पराक्र से होना चाहिए की हाथ की हड्डिय राइफल को सपोर्ट करे . प्रोन उन सपोर्टेड पोजीशन में बाए हाथ की केहुनी राइफल के सेण्टर लाइन के नजदीक होना चाहिए जिससे की फोरे आर्म की हड्डिय राइफल को सपोर्ट करने में आरामदाय पोजीशन बनाये !

5. दाहिने हाथ की पकड़(Firing ke samay right hand grip) :

दाहिना हाथ कंट्रोलिंग हाथ होता है  लेकिन इसका भी ग्रिप ज्यादा सख्त नहीं होना चाहिए ! दाहिना हाथ का पकड़ इसप्रकार से होना चाहिए जैसे की पानी का ग्लास को पकड़ के रखे हो और इतना सख्त हो की ग्लास हाथ से फिसल न सके ! पकड़ इसना सख्त होना चाहिए जिससे की अंगुलियो पर स्ट्रें . अंगुलियो की पकड़ इस प्रकार से होना चाहिए की अंगूठा और फोरे फिन्गुरे पिस्टल ग्रिप के ऊपर से हो और इंडेक्स फिंगर आउटसाइड ट्रिगर हो जब आप फायर नहीं कर रहे हो तब  बाकी अंगुलिया ट्रिगर के चारो ओर .!

6. दाहिने हाथ की केहुनी की पोजीशन(Firing ke samay right elbow position) :

दाहिना हाथ को पिस्टल ग्रिप पे पकडे हुए केहुनी को ग्राउंड पे लगाये और नेचुरल फीलिंग को महसूस करे !केहुनी को जमीन पे लगाने के बाद राइफल के ऊपर पीछे के तरफ कंधे में  दबा के रखे ! ज्यादा जोर से न दबाये बल्कि पीछे की तरफ एक फर्म दबाव बना के रखे 

7. सर का पोजीशन (Firing ke samay head position) :

राइफल के बट को कंधे के ऊपर वाले भाग में रखते हुवे सर को राइफल के ऊपर रेस्ट करे जिसमे गाल राइफल के चिक पीेछे के ऊपर हो !सर सीधा ऊपर की तरफ और सही साईट एलाइनमेंट के साथ सर के बैक साईट से 25 mm दूर रखे !अगर सर ज्यादा दूर या नजदीक हो तो उसका एडजस्टमेंट करे .

8.आरामदायक पोजीशन (Firing ke samay relaxation position)

अगर आप का पोजीशन आरामदायक नहीं है तो आप राइफल को पकड़ने में विशेष बल का प्रोयोग करेंगे जो की आप के फायरिंग के ऊपर प्रभाव डालेगी इसलिए जहा तक हो सके पोजीशन आरामदायक होने चाहए अगर केहुनी के निचे कोई कंकड़ या पत्थर हो उसे साफ कर दे !ऊपर बताये गए सभी पॉइंट को बरी बरी से अभ्यास करे !

9.साँस लेने की तकनीक (Firing ke samay Breathing control)

Breathing control
Breathing control
फायरिंग के समय साँस के ऊपर विशेष कण्ट्रोल रखनी चाहिए विशेषकर ट्रिगर ऑपरेशन के समय ! फायरिंग के समय जब हम साँस लेते है तो देखते है की राइफल की बारेल भी ऊपर निचे मूवमेंट कर रही है इसलिए यह जरुरी है की साँस के ऊपर कण्ट्रोल रखा जाये और ट्रिगर ऑपरेशन के समय पहले साँस को अपने लंग्स में पूरी तरह से भर ले और ट्रिगर दबाते समय साँस को पूरी तरह से रोक के रखे 

इसके साथ ही फायरिंग रेंज के सुरक्षात्मक करवाई  से सम्बंधित ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुई ! उम्मीद है की आपलोगों के ए पोस्ट पसंद आएगी !इस ब्लॉग को सब्सक्राइब या फेसबुक पेज को लाइक करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे!

इसे भी  पढ़े :
  1. भारतीय पुलिस ड्रिल ट्रेनिंग में इस्तेमाल होने वाले परेड कमांड का हिंदी -इंग्लिश रूपांतरण
  2. ड्रिल में अच्छी पॉवर ऑफ़ कमांड कैसे दे सकते है
  3. ड्रिल का इतिहास और सावधान पोजीशन में देखनेवाली बाते
  4. VIP गार्ड ऑफ़ ऑनर के नफरी और बनावट
  5. विश्राम और आराम से इसमें देखने वाली बाते !
  6. सावधान पोजीशन से दाहिने, बाएं और पीछे मुड की करवाई
  7. आधा दाहिने मुड , आधा बाएं मुड की करवाई और उसमे देखने वाली बाते !
  8. 4 स्टेप्स में तेज चल और थम की करवाई
  9. फूट ड्रिल -धीरे चल और थम
  10. खुली लाइन और निकट लाइन चल


23 February 2022

रेंज कार्ड बनाने का आसान तरीका और रेंज कार्ड के फायदे

पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने एचएचएमडी  के इस्तेमाल के बारे में जानकारी प्राप्त किया और अब इस नए ब्लॉग पोस्ट में हम रेंज कार्ड बनाने(Range Card Banane Ka tarika hindi me) के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। 

डिफेंस पोजीशन में रहते हुए यह बहुत जरूरी है कि डिफेंस पोस्ट के इर्द-गिर्द मशहूर निशानों के फासले हर एक जवान को मालूम हो जिसके आसपास दुश्मन पोजीशन ले सकते या वहां से गुजर कर हमारे ऊपर करवाई कर सकते। इन दुरुस्त फासलों की मदद से हमारी फायर यूनिट का हर एक जवान दुरुस्ती और आसानी से कम से कम वक्त और कम अमिनेशन से दुश्मन को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते। इसलिए रेंज कार्ड के ऊपर लिखा हुआ रेंज और जमीन निशान सही हो ताकि उस डिफेंस पोजीशन में कोई भी नया जवान आने पर रेंज कार्ड की मदद से हथियार का सही इस्तेमाल कर सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप एक सेक्शन कमांडर होने के नाते आप सभी को रेंज कार्ड बनाना आना चाहिए ताकि डिफेंस की लड़ाई को आसानी से जीता जाए। 

1. उद्देश्य: डिफेंस कार्ड बनाने का उद्देश्य डिफेंस में रेंज कार्ड बनाना और उसे इस्तेमाल करने का तरीका सीखना है 

2. भागों में बांट:इस ब्लॉग पोस्ट को अच्छे से समझने के लिए इसको निम्नलिखित भागों में बांटा गया है 

  • परिभाषा 
  • रेंज कार्ड बनाते समय जरूरी बातें और फायदे 
  • रेंज कार्ड बनाने का तरीका 
  • रेंज कार्ड का इस्तेमाल । 
3. परिभाषा:  इस ब्लॉग पोस्ट के दौरान काम आने वाली परिभाषाएं इस प्रकार है :

  • आम रुख(Aam Rukh) : दूर एक मशहूर निशान को जो की जमीन वारी के इलाके को दो हिस्सों में बांट दें बांटे उसे आम रुख कहते हैं। 
  • सेटिंग रे(Setting ray): डिफेंस पोजीशन के आगे और पीछे वह दो मशहूर निशान जो की रेंज कार्ड को सेट करने के काम आते हैं उसे सेटिंग रे कहते हैं। 
  • फिक्स्ड लाइनFixed line): प्राइमरी आर्क में चुनी गई वह फायर की लाइन जिस पर रात या खराब मौसम में LMG को फिक्स किया जाता है। इस लाइन पर दुश्मन के आने का अंदेशा होता है। 
  • आर्क ऑफ फायर(Arc of fire): किसी भी हथियार या फायर यूनिट का इलाका जिसमें आने वाले टारगेट को इंगेज करना उस हथियार या यूनिट की जिम्मेदारी होती है। 
  • प्राइमरी ऑफ फयर(Primary Arc of fire):यह आग हथियार या फायर यूनिट की पहली जिम्मेवारी होती है यहां से दुश्मन आने का ज्यादा अंदेशा होता है हथियार का फिक्स लाइन भी प्राइमरी आर के अंदर होता है। 
  • सेकेंडरी आर्क (Secondary arc of firer) :यह आर्क  हथियार या फायर यूनिट की दूसरी जिम्मेवारी  होती है इस एरिया में तभी फायर किया जाएगा जब हथियार या फायर यूनिट   प्राइमरी आर्क में फायर न कर रहा हो।
  • मदद का निशान9Madd ka nishan): वह निशान जिसकी मदद से टारगेट का बयान किया जाता है उसे मदद का निशान का कहा जाता है। 

4. रेंज कार्ड बनाते समय जरूरी बातें और इसके फायदे:(Range Card Banate samay dhyan me rakhnewali baate)

A.जरूरी बातें 

Range Card Banane ka Tarika
Range Card

  • रेंज कार्ड सही जगह से बनाया जाए
  • रेंज सही नापा होना चाहिए 
  • आम रुख और सेटिंग रे को मोटी रेखा से बनाएं 
  • जमीन पर निशान नजर आने चाहिए और अलग-अलग रेंज पर हो 
  • और एक ही नाम से ना हो। 
  • जमीन निशान का कन्वेंशनल साइन बनाओ 
  • फिक्स लाइन को गहरे रंग से लाइन खींचो। 
  • प्राइमरी और सेकेंडरी आर्क ओवरलैप होनी चाहिए। 
  • दाहिनी और बानी बाएं हाथ का दूसरे मोर्चे से सेफ्टी एंगल होना चाहिए।
B.रेंज कार्ड बनाने के फायदे(Range Card banane ke fayde) :

  • रेंज कार्ड से पूरे जिम्मेवारी  के इलाके के बारे में तफसील से जानकारी मिल जाती है। 
  • मदद के निशान से आसपास के निशानों का सही रेंज मिलता है। 
  • टारगेट पर सही और कारगर फायर डाला जा सकता है। 
  • डिटैचमेंट की बदली होने पर यूनिट के अंदर या नई यूनिट पोजीशन टेक ओवर करते  वक्त बहुत मदद देता है। 
  • अगर किसी कारण से हैंडिंग ओवर टेकिंग ओवर ठीक ना हो सके तब भी रेंज कार्ड की मदद से नए डिटैचमेंट को अपने इलाके और उसके बारे में पूरी जानकारी मिल सकती है। 
  • किसी कमांडर या वीआईपी को ब्रीफ  करते समय भी रेंज कार्ड मदद देता है। 
  • रेंज कार्ड की जानकारी होने के बाद में आसानी से दुश्मन को बर्बाद कर सकता है। 

5. रेंज कार्ड बनाने का तरीका(Range Card Banane ka tarika) 

  • डिफेंस में रहते हुए हमें चारों तरफ का बचाव करना पड़ता है इसलिए जरूरी है कि चारों तरफ का बचाव हासिल करने के लिए चारों तरफ के निशानों का रेंज कार्ड बनाया जाए। 
  • रेंज कार्ड बनाते समय तफ्सील से टास्क और जिम्मेवारी  के इलाके का सोच विचार किया जाए। 
  • हर एक मुख्य हथियार के हर एक पोजीशन के लिए रेंज कार्ड बनाया जाए। 
  • सबसे पहले रेंज कार्ड का खाका बनाओ 
  • सामने एक मशहूर चुनो जो कि इस पोजीशन आम रुक होगा। 
  • निशान को रेंज कार्ड में दर्ज करो।
  •  दो सेटिंग रे बनाएं एक आगे और एक पीछे इसके लिए दो मशहूर  चुने। 
  • अपने पोजीशन से निशानो का कंपास से बेअरिंग ले  और इसे रेंज कार्ड में दर्ज करें।
  •  सेटिंग रे  चुनने का यह फायदा है कि इसकी मदद से हम एक रेंज कार्ड को जमीन पर सेट या ओरिएंट कर सकते हैं। 
  • उसके बाद पोजीशन की बाएं और दाहिने हद  चुने और इन्हें रेंज कार्ड में शामिल करो। 
  • अपने इलाके में दो या तीन मदद के निशान बांटो जो कि टारगेट को दिखाने के काम आएंगे। 

6. मदद के निशान चुनते समय ध्यान में रखने वाली बातें(Madd ka nishan chunte samay dhyan me rakhnewali baate)

  • एक दूसरे से 19 डिग्री से बाहर हो 
  • 1 डिग्री से बड़ा हो  तो किनारा चुना जाए 
  • हर एक को नाम दिया जाए। 
  • एक ही नाम से ना हो। 
  • इतने चुने जाएं कि पूरे जिम्मेवारी के इलाके को कवर  कर सकें (इंडिकेशन ऑफ़ लैंड मार्क) के लिए !
  • अलग-अलग रेंज पर हो। 
  • निशान बाकी निशानों से मशहूर हो। 
  • आपके जिमेवारी के इलाके को प्राइमरी आर्क और सेकेंडरी आर्क में बांटो
  • ध्यान रखें कि इन दोनों के बीच में ओवरलैप हो। 
  • इसके लिए जिम्मेवारी के इलाके के बीच में एक निशान चुनो और इस इलाके को दो भागों में बांट दो।
  • प्राइमरी आर्क के बीच में फिक्स लाइन चुने !
  •  यह एक मशहूर निशान होना चाहिए इस पर फिक्स लाइन लिखो और रेंज भी लिखो। 

7. फिक्स लाइन चुनते समय ध्यान में रखने वाली बातें
(Fixed line chunte samay dhyan me rakhnewali baate)

  • फील्ड ऑफ फायर साफ हो 
  • दुश्मन के मुमकिन आने वाले रास्ते पर चुनी जाए 
  • प्राइमरी आर्कके अंदर हो 
  • रेंज ज्यादा से ज्यादा 700 मीटर तक हो 
  • साइटों के ऊपर सही रेंज लगाए जाएं 
  • दिन के समय लगाई जाए 
  • फायर प्लुन्जिंग ना हो।
8. रेंज कार्आड बनाने के आखिर की करवाई(Range Card banane ke baad ki aakhri karwai) : निम्न करवाई करनी चाहिए :
  • आखिर में रेंज कार्ड बनाने की जगह 
  • रेंज कार्ड बनाने वाला फासला नापने का तरीका 
  • डेट और मौसम लिखो। 
  • दाहिने तरफ अपना नंबर रैंक नेम और यूनिट लिखो।
 रेंज  कार्ड बनाते समय खास बातों का ध्यान रखा जाए तभी आप सही रेंज कार्ड बनाकर अपने डिफेंस पोजीशन का सही इस्तेमाल कर के दुश्मन को बर्बाद कर सकते है ! एक इन्फेंट्री के जवान को अपनी डिफेन्स पोजीशन को मजबूत नानाये रखने के लिए रेंज कार्ड बनाना उस का इस्तेमाल और इस से डिफेन्स के बारे जानकारी हासिल करना आने चाहे ताकि अपने डिफेन्स पोजीशन का सही इस्तेमाल कर के दुश्मन को बर्बाद कर सके ! एक सेक्शन कमांडर को रेंज कार्ड बनाना जरुर आणि चाहिए 

 इस प्रकार से रेंज कार्ड बनाने से सम्बंधित  यह ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुवा !उम्मीद है की यह  पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग  सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !

इन्हें भी  पढ़े :

  1. पुलिस ड्यूटी
  2. फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट में होनेवाली कुछ कॉमन गलतिया
  3. 6 कॉमन गलतिया अक्सर एक आई ओ सीन ऑफ़ क्राइम पे करता है
  4. क्राइम सीन पे सबसे पहले करनेवाले काम एक पुलिस ऑफिसर के द्वारा
  5. बीट और बीट पेट्रोलिंग क्या होता है ?एक बीट पट्रोलर का ड्यूटी
  6. पुलिस नाकाबंदी या रेड् क्या होता है ?नाकाबंदी और रेड के समय ध्यान में रखनेवाली बाते 
  7. निगरानी और शाडोविंग क्या होता है ? किसी के ऊपर निगरानी कब रखी जाती है ?
  8. अपराधिक सूचना कलेक्ट करने का स्त्रोत और सूचना कलेक्ट करने का तरीका
  9. चुनाव के दौरान पुलिस का कर्तव्य
  10. थाना इंचार्ज के चुनाव ड्यूटी सम्बंधित चेक लिस्ट

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