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06 नवंबर 2020

बरेटा लेथल M107 स्नाइपर राइफल की बेसिक जानकारी

 हमने वेपन के ब्लॉग पोस्ट सीरीज के तहत पिछले ब्लॉग पोस्ट में AGS -17  आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर के बारे में जानकरी प्राप्त की और उसी सीरीज को आगे बढ़ाते हुए मॉडर्न वेपन के तहत बर्रेट M107 के बेसिक डिटेल(The lethal Barrett M107 anti-personal /anti-material rifle) के बारे में जानकरी प्राप्त करेंगे !

Lethal Barrett M107  एंटी पर्सनल/एंटी मटेरियल राइफल को अमेरिकन आर्मी ने 2008 में अपनाया जो की अमेरिकन मरीन कोर के बर्रेट M82A1  . 50  कैलिबर स्नाइपर सिस्टम के सामान ही था ! बर्रेट M107(Lethal Barrett M107 )ने अमेरिकन आर्मी को इतना कपबले बनाया दिया की इसके स्नाइपर अकुरेटली  1500  2000  मीटर दूर मैटेरियल्स टारगेटस को एक्सट्रीम सरकमस्टांस में भी एंगेज कर सकते थे !

जरुर  पढ़े :SSG-69 राइफल के टेलीस्कोपिक साईट की बेसिक जानकारी

इस हथियार की बनावट ऐसा है के यह बहुत कारगर तरीके से  मटेरियल टारगेट जो की पार्क किया हुवा एयरक्राफ्ट , कम्युनिकेशन्स टार्गेट्स, कम्प्यूटर्स,इंटेलिजेंस साइट्स , अम्मुनिसन डिपो , आयल स्टोर या अर्मोरेंड व्हीकल्स को पूरी तरह से बर्बाद  कर सकते है !

काउंटर स्नाइपर रोल में  बर्रेट (Lethal Barrett M107 )सिस्टम  लॉन्ग रेंज स्टेनडॉफ और स्नाइपर को छोटे रेंज वाले दुश्मन के स्नाइपर से बचाव करता है !

 Lethal Barrett M107  की पूरा सिस्टम  के साथ निम्नलिखित इतेमा होते है :

  • राइफल
  •  डिटैचबल टेन राउंड बॉक्स मागज़ीन
  • पावर डे ऑप्टिकल साइट
  •  एक हैंड ट्रांसपोर्ट केस,
  • एक टैक्टिकल सॉफ्ट केस ,
  • क्लीनिंग और मेंटेनेंस इक्विपमेंट,
  • एक डिटैचबल  स्लिंग ,
  • एक अडजस्टेबले ट्रिपॉड 
  • ऑपरेटर/मेंटेनेंस मैन्युअल 

बाद में आर्मी के डिमांड पर इसमें एडिशनल फ़्लैश , नॉइज़ और ब्लास्ट सिग्नेचर स्प्रेसर लगाया गया जिससे की स्नाइपर का लोकेशन पता न चले फायरिंग के दौरान !

Basic Details of Lethal Barrett M107 

M107 .50 Caliber Long Range Sniper Rifle (LRSR)

  • साल अमेरिकन आर्मी में शामिल हुवा :- 2002  ,
  • कंपनी जो इसे बनती है :Barrett Firearms Company - USA
  • किस रोल में इस्तेमाल :Anti-Tank / Anti-Material / Breaching, long range precision
  • कुल लम्बाई :1450 mm (57 . 09  इंच )
  • बैरल की लम्बाई:508 mm या 20 इंच 
  • कुल वजन :29. 98 lbs ya  13 . 06 kgs 
  • साईट : Adjustable rear, fixed front; MIL-STD-1913 Accessories rail
  • प्रिंसिपल :Recoil Operated rotating bolt , semi automatic,
  • मजल वेलोसिटी :2799 feet per second(853 meter per second)
  • इफेक्टिव रेंज :1850 feet (564 meter, 617 yard)

इस प्रकार सेर यहाँ बर्रेट M107  की बेसिक जानकारी से सम्बंधित पोस्ट समाप्त हुवा !उम्मीद है की यह छोटा पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग  को सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !

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  3. 7.62 mm MMG के माउंट ट्राई पोड की करवाई के समय ध्...
  4. 7.62 mm MMG के फायर आर्डर का क्रम और वक्फा के दौरा
  5. 7.62 mm MMG के टारगेट का नाम और MMG में पडनेवाले र...
  6. 7.62 mm MMG को फायर के लिए तैयार करते समय ध्यान मे...
  7. 6 महत्वपूर्ण बाते 84 mm मोर्टार के बारे में
  8. 5 जरुर जाननेवाली बाते 81 mm मोर्टार के बारे में ?...
  9. 81 mm मोर्टार के 10 छोटी छोटी बेसिक बाते
  10. 5 मुख्य बाते 81 mm मोर्टार के फायर कण्ट्रोल से सम

01 नवंबर 2020

AGS -17 आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर की बेसिक जानकारी

 पिछले  पोस्ट में हमने AGS -30  के बारे जानकारी प्राप्त की और अब इस नई ब्लॉग पोस्ट में हम ASG-17 आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर के बारे में जानकारी (AGS-17 automatic Grenade launcher ka basic jankari )प्राप्त करेंगे ! AGS -30   के आने से पहले AGS -17  का ही इस्तेमाल किया जाता था !

 जैसे की हम जानते है की AGS -17  और AGS -30 दोनों रूस की बानी हुई ग्रेनेड  लांचर है और इस लांचर का तुलना अमेरिकन Mk 19 40mm ग्रेनेड लांचर से किया जाता है !  AGS -17  का पूरा नाम  AGS -17 (Plamya) है !यह रूसियन आर्मी में सं 1970 में शामिल किया गया और इसका प्रोडक्शन आज भी होता है ! इसका इस्तेमाल बहुत से लड़ाइओ के दौरान किया  की सोवियत - अफगान वॉर , चेचेन वॉर , सीरियन  यदि ! इस हथियार को एशिया की बहुत से देश की आर्मी इस्तेमाल करती है जैसे की अफगानिस्तान , चीन , भारत, इराक,यदि ! 

जरुर  पढ़े :SSG-69 राइफल के टेलीस्कोपिक साईट की बेसिक जानकारी

इस हथियार को विशेषकर अमेरिकन Mk 19 सीरीज के  ग्रेनेड लांचर थे उनको काउंटर करने के लिए डेवेलॉप किया गया था जो की छोटे एरिया में इकठा दुश्मन के खिलाफ काफी कारगर हथियार साबित हुवा था ! AGS -17  भी अमेरिकन लांचर का भी फंक्शन और प्रिंसिपल पे काम करता है और आर्टिलरी के सामान सपोर्ट /सप्रेशन फायर पावर मध्यम से लांग रेंज में प्रदान करता है !

AGS -17 का बनावट एक रेक्टेंगुलर काफी मजबूत  लास्टिंग रिसीवर  का है का है ! इसका जीतन भी चाल वाले पुर्जे और मैकेनिक है सब पीछे है इसका फीड  बिच में स्थित है ! बेल्टेड ग्रेनेड को रिसीवर के  राइट साइड से फीड किया जाता है फायर केस इजेक्ट होता है लेफ्ट साइड से  !

जरुर  पढ़े :SSG-69 राइफल का इस्तेमाल और रख रखाव

बैरल इसका  जिसके अंदर ग्रूव्ज़ बने होते है ! इसका ट्रिपॉड अडजस्टेबले,हैवी ड्यूटी बना होता है और जिसके मदद से डायरेक्ट और इन डायरेक्ट फायर किया जा सकता है ! फायरर इस हथियार को हॉरिजेंटल गृप के द्वारा इधर उधर के मूवमेंट को रोकता है वही यह वेपन बलोबैक ऑपरेशन के सिद्धांत पर काम करता  है और एक मिनट में 400  ग्रेनेड फायर करता है !

इसका इफेक्टिव रेंज  1700  मीटर होता है और ज्यादा एक्यूरेट फायर डालने के लिए इसके साथ अडजस्टेबल ऑप्टिकल आयरन साइट  आता है जो की  पिछले हिस्से में फिट किया जाता है ! इस हथियार का वजन 31 किलोग्राम होता है !

AGS -17 में 30 x 29 mm  स्टील काट्रिज ग्रेनेड का इस्तेमाल किया जाता है जो की 30  राउंड बेल्ट के द्वारा फीड किया जाता है जिसके लिए स्नैल टाइप कंटेनर रिसीवर के राइट साइड में लगा रहता है जिसके द्वारा ग्रेनेड फीड किया जाता है !

जरुर  पढ़े :SSG-69 राइफल की रख रखाव और सफाई का तरीका

इस्तेमाल की बहुत ही काम समय में इस वेपन ने अपना उच्च उपयोगिता साबित कर दिया ! यह एक प्रभावी सप्रेसिव वेपन के तौर पे जिसका इस्तेमाल दुश्मन के जवान हिली एरिया में छुपे हुवे हो उन्हें मरने और भागने में काफी उपयोगी साबित होने लगा ! कुछ समय के अंदर स्पेशल व्हीकल माउंट्स को भी भी डेवेलोप किया गया जिसके सहायता से व्हीकल के अंदर के अंदर बैठ कर के भी ग्रेनेड फायर किया जा सकता है !

बेसिक डाटा(Basic Data) 

  • इस्तेमाल में  साल : 1995 
  •  बनानेवाली फैक्ट्री : KBP Instrument Design Bureau - Soviet Union / Russia; Arsenal AD - Bulgaria; NORINCO - China
  • लम्बाई : 840 mm (33.07 in)
  • वजन :68.34 lb (31.00 kg)
  • साइट :Adjustable Iron Sights; Optional Optics
  • प्रिंसिपल : Blowback; Automatic Fire
  • मजल वेलोसिटी :606 feet-per-second (185 meters-per-second)
  • रेट ऑफ़ फायर :400 rounds-per-minute
  •  इफेक्टिव रेंज :5,741 ft (1,750 m; 1,914 yd)

इस प्रकार से यहाँ AGS -17 आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर  की बेसिक जानकारी से सम्बंधित पोस्ट समाप्त हुवा !उम्मीद है की यह छोटा पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग  को सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !


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AGS-30 आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर की बेसिक जानकारी

 आज मै वेपन से सम्बंधित पोस्ट बहुत दिनों के बाद लिख रहा हु तो आज मै अपने इस पोस्ट में AGL-30 आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर के बारे में बात करेगए और उसकी बेसिक जानकारी यहाँ पे शेयर करेंगे !

जरुर  पढ़े :SSG-69 राइफल के टेलीस्कोपिक साईट की बेसिक जानकारी

AGS-30 आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर  सीरीज डेवलप्ड किया गया AGS -17 आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर के रिप्लेसमेंट के लिए !AGS-30 आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर  रूस का बना हुवा 30 mm  का आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर है  शीत युद्ध कालीन AGS -17  के रिप्लेसमेंट के रूप में आर्मी में अपनाया गया ! AGS-17 अपने समय का एक बहुत ही इफेक्टिव ग्रांडे प्रोजेक्टर था !यह 1970 ईरा का हथियार था जो की ओपन-फील्ड वारफेयर को ध्यान में रख कर बनाया गया लेकिन 1990s  आते आते वारफेयर का स्वरुप बदल गया और वॉर ओपन फील्ड से कॉन्टैनेड यानि की बिल्डप एरिया या शहरी क्षेत्रो में लाडे जाने लगा !

जरुर  पढ़े :SSG-69 राइफल का इस्तेमाल और रख रखाव

सोवियत यूनियन के बिखराव के बाद रूस कोई बड़ा मिलिट्री या पोलिटिकल पावर पहले जैसा नहीं रहा इस सब को ध्यान में रखते हुवे अपने बर्चस्व को फिर से आर्म्स डेवलपमेंट में कायम करने के लिए रूस ने इस आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर को AGS-30 को डेवलप्ड किया और रूसियन आर्मी में शामिल किया !इसका प्रभाव देखकर बाद में अर्मेनिआ, अज़रबैजान , बांग्लादेश और भारत ने भी अपने अपने आर्मी में शामिल किया !

 भारत में यह आर्डिनेंस फैक्टरी तिरूचिराप्पल्ली में बनाई जाती है ! AGS-30 आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर  अभी भी सोवियत ईरा के 30 x  29 mm ग्रेनेड का इस्तेमाल करता है और यह ॉंचर भी बलोबैक सिस्टम के ऊपर ऑपरेट कर है लेकिन यह वजन में अपने पहले लांचर के अपेक्षा कॉम्पैक्ट है और हल्का है ! इसकी तुलना अमेरिकन मेड Mk - 19  सीरीज के लांचर से किया जाता है !


यह लांचर में साइटिंग डिवाइस PAG-17  अडजस्टेबले टाइप का रहता है ! इसमें ग्रेनेड के फीडिंग 29- ग्रेनेड हाउस कैसेट ड्रम जो के दाहिने साइड में फिटेड है! यह लांचर का इफेक्टिव रेंज 2300 मीटर्स और एक मिनट में 400 ग्रांडे फायर करता है !ग्रेनेड फायर केस लार्ज ऑर्ट जो की लांचर के बाये  होता बाहर  निकलता है ! इस लांचर के बैरल  में भी ग्रूज बने होते है जिससे की फायरिंग के दौरान  एक्यूरेसी मिलती है ! वजन में हल्का होने के कारन इसे एक जवान भी एक जगह से दूसरे जगह आसानी से ले जासकता है !

इस लांचर का फायरिंग इसके साथ आये हरे ट्रिपॉड मॉउंटिंग या व्हीकल के ऊपर फिक्स्ड कर के किया जा सकता है ! इससे डायरेक्ट या इंदिरेक्ट सिचुएशन के अनुसार फायर डाल  सकते है !आधिकारिक तौर पे AGS-30 आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर १९९५ में रुसी फोर्सेज के द्वारा इस्तेमाल में लाया गया !इसका सफल उपयोग  चेचेन वॉर (1999 -2000 ) में भी देखा गया ! 

कुछ बेसिक डाटा :

AGS30 Grenade Launcher

  • साल -1995 
  • मनुफक्चरर : KBP Instrument Design Bureau - Russia / Ordnance Factory Tiruchirappalli - India
  • खाली वजन : 35.27 lb (16.00 kg)
  • साइट : Adjustable Iron Sights; Optional Optics
  • ऑपरेटिंग प्रिंसिपल : Blowback; Automatic Fire
  • मजल वेलोसिटी : 600 feet-per-second (183 meters-per-second)
  • इफेक्टिव रेंज: 7,544 ft (2,299 m; 2,515 yd)
  • रेट ऑफ़ फायर :400 rounds-per-minute

इस प्रकार से यहाँ AGS-30 आटोमेटिक ग्रेनेड लांचर सेसम्बंधित एक छोटा सा पोस्ट समाप्त हुवा !उम्मीद है की यह छोटा पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग  को सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !


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20 अक्टूबर 2018

SSG-69 स्नाइपर राइफल के जीरो करने का तरीका

पिछले पोस्ट में हमने SSG-69 राइफल के टेलेस्कोप साईट की विशेषता के बारे जानकारी प्राप्त किये और अब इस पोस्ट में हम SSG-69 राइफल को जीरो करने के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे !

जरुर  पढ़े :स्निपिंग राइफल SSG -69 का एक संक्षिप्त परिचय

जैसे की हम जानते है की किसी भी हथियार को बिना जीरो किये फायर करने से गोली सही जगह यानि पॉइंट ऑफ़ एम पर  नहीं लगती है बल्कि ऊपर निचा या दाये बाये जा कर लगती है और इसी त्रुटी को दूर करने के लिए जीरो करना पड़ता है !


इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानेगे SSG-69 राइफल के जीरो करने से सम्बंधित निम्न विषयों के बारे में जानेगे :

1. SSG-69 स्नाइपर राइफल के जीरो करने का जरुँरत क्यों पड़ता है ?(SSG-69 niper rifle ke zero karne ki jarurat)
2. SSG-69 राइफल को जीरो कब कब किया जाता है ?(SSG-69 rifle ko zero kab kiya jata hai)
3.SSG-69 राइफल को जीरो करने से पहले ध्यान में रखने वाली बाते !(SSG-69 rifle ke zero karne se pahle dhyan me rakhnewali bate)
4.SSG-69 राइफल को जीरो करते समय ध्यान में रखने वाली बाते(SSG-69 rifle ko zero karte samay dhyan rakhne wali bate)
5.SSG-69 राइफल के एलिवेशन की गलती को दूर करने का तरीका (SSG-69 rifle ke elevation ki galti ko dur karne ka tarika)
6.SSG-69 राइफल के दाये -बाये  की गलती को दूर करने का तरीका (SSG-69 rifle ke left-right ki galti dur karne ka tarika)

जरुर  पढ़े :SSG-69 स्नाइपर राइफल का बेसिक टेक्निकल डाटा

1. SSG-69 स्नाइपर राइफल के जीरो करने का जरुँत क्यों पड़ता है ?(SSG-69 niper rifle ke zero karne ki jarurat)

किसी हथियार को बगैर जीरो किये फायर करने से फायर सही जगह पे नहीं लगता है ! SSG-69 स्निपिंग राइफल को जीरो या साईटिंग  इन करने का मतलब रेंज के लिहाज से गोली की  एम्.पी.आई(MPI)  को ऐमिंग पॉइंट के नजदीक लेना !

इस काम के लिए SSG-69 स्निपिंग राइफल में लगी हुई टेलीस्कोपिक साईट को एडजस्ट करके ऊपर निचे और दाये -बाए की गलती को दूर किया जाता है !इसके अलावा SSG-69 राइफल में लगी हुई आयरन साईट (इमरजेंसी साईट ) को भी एडजस्ट किया जा सकता है !

जीरोइंग करते समय निम्न दो बातो पर ध्यान रखना चाहिए :
  • अक्सिक्स ऑफ़ बैरल (Axix of barrel)
  • पॉइंटर या रेक्टिकल का पोजीशन (Pointer ya Rectical ka position)
अगर एक फायरर फायरिंग के मार्कमैनशीप ट्रेनिंग के उसूल को ध्यान में रखते हुए फायर करता और गोली दुरुस्त जगह पर नहीं लगती है तो इसका मतलब हथियार में कुछ कमी है  क्यों की  पॉइंटर दुरुस्त पॉइंट ऑफ़ एम पर है  लेकिंग बैरल का अक्सिक्स पॉइंटर के सीध में न होकर दाए -बाए या उपर- निचे है जिससे गोली सही जगह पर नहीं लग रही है ! और जेरोइंग की जरुरत इन कमीयो को दूर करने के लिए पड़ता है और ज़ेरोइंग के द्वारा राइफल के ऊपर -निचे तथा दाए -बाए की गलती को दूर किया जाता है !

जरुर  पढ़े :SSG-69 राइफल की विशेषताए और सुरक्षित इस्तेमाल

2. SSG-69 राइफल को जीरो कब कब किया जाता है ?(SSG-69 rifle ko zero kab kiya jata hai)

SSG-69 राइफल को निम्न चंद  मौके पर ज़ेरोइंग किया जाता है :
  • नई राइफल आने पर 
  • हथियार में मेजर रिपेयरिंग के बाद 
  • स्नाइपर को अपने हथियार के मार पर शक होने पर 
  • किसी ऑपरेशन में जाने से पहले 
  • कम्पटीशन या क्लासिफिकेशन फायर से पहले 

3.SSG-69 राइफल को जीरो करने से पहले ध्यान में रखने वाली बाते !(SSG-69 rifle ke zero karne se pahle dhyan me rakhnewali bate)

ज़ेरोइंग करने से पहले कुछ बाते ध्यान में रखना चाहिए जैसे :
  • राइफल और टेलेस्कोप  का नम्बर एक हो 
  • टेलेस्कोप के लेंस साफ़ हो 
  • फायरर अपने कद के मुताबिक स्पेसर को हटा के राइफल की लम्बाई को एडजस्ट कर लेना चाहिए 
  • अमुनिसन साफ़ और एक ही लॉट का होना चाहिए और उसको धुप से बचाना  चाहिए 
  • मौसम साफ़ और ज्यादा हवा न हो 
  • चाहे किसी भी पोजीशन से फायर कर रहे हो पोजीशन दुरुस्त होनी चाहिए 
  • SSG-69 राइफल को 400 मीटर के रेंज से जीरो किया जाता है अगर 400 मीटर का रेंज न मिले तो 200 मीटर के रेंज से भी जीरो किया जा सकता है !
  • अगर नई SSG-69 राइफल को जीरो किया जा रहा हो तो उस हालत में पहले 10 राउंड फायर करना चाहिए  और बाद में 5 राउंड का ग्रुप फायर करके ज़ेरोइंग की करवाई करनी चाहिए !
  • फायरिंग के समय ज्यादा देर तक शिस्त नही ले कर रखना चाहिए , और अगर थकन महसूस हो तो आँखों को रेस्ट देना चाहिए !

4.SSG-69 राइफल को जीरो करते समय ध्यान में रखने वाली बाते(SSG-69 rifle ko zero karte samay dhyan rakhne wali bate)

अगर ज़ेरोइंग करते समय निम्न बातो को अमल में लाये :
जीरो करने का तरतीब
जीरो करने का तरतीब 
  • सबसे पहले 5 राउंड का एक ग्रुप फायर कराया 
  • एम् पी आई(main point of impact) मालूम करे 
  • अगर एम् पी आई(MPI) सही जगह पे बनी हो तो दूसरा चेक ग्रुप फायर कराया 
  • अगर चेक ग्रुप की एम् पी आई(MPI) सही जगह पे बनी हो तो ज़ेरोइंग ठीक है 
  • यदि चेक ग्रुप का एम् पी आई(MPI) सही जगह पे नहीं बनी हो तो टेलेस्कोप साईट को एडजस्ट  करे 
  • टेलेस्कोप साईट ठीक करने के बाद फायर एक चेक ग्रुप फायर करे और चेक ग्रुप फायर में एम् पी आई सही जगह पे बन गया तो जीरो ठीक है नहीं तो फायर से टेलेस्कोप को एडजस्ट करे और फिर पूरी प्रक्रिया अपनाये !
  • अगर शुरू में ही एम् पी आई सही जगह में नहीं बना तो चेक ग्रुप फायर नहीं करेंगे बल्कि टेलेस्कोप को एडजस्ट करेंगे उसके बाद चेक ग्रुप फायर करेंगे और चेक ग्रुप में एम् पी आई सही जगह पर बन  गई तो जीरो दुरुस्त नहीं तो फायर टेलेस्कोप को एडजस्ट करे और बाकी की प्रिक्रिया पूरी फिर से अपनाया जायेगा !

5.SSG-69 राइफल के एलिवेशन की गलती को दूर करने का तरीका (SSG-69 rifle ke elevation ki galti ko dur karne ka tarika)

(a) ऊँचा ग्रुप (SSG-69 High Group)

एलिवेशन व्हील को 4 पर और विन्डेज व्हील को 0 पर रख के 400 मीटर से 5 राउंड का एक ग्रुप फायर करे ! गोली शिस्त के जगह से ऊपर लगी यानि उचा ग्रुप बना !अभी रेंज को कम कर के फायर दूसरा ग्रुप फायर करे अगर ग्रुप सही जगह पर बन  रहा है इसका मतलब है की टेलेस्कोप को एडजस्ट करना पड़ेगा !

अगर ग्रुप सही जगह पर नहीं बनता है तो रेंज को और कम  कर के  एक ग्रुप फायर करे यह करवाई तब तक करे जब तक की ग्रुप सही न बन जाए !

(b)निचा  ग्रुप (SSG-69 down Group)

एलिवेशन व्हील को 4 पर और विन्डेज व्हील को 0 पर रख के 400 मीटर से 5 राउंड का एक ग्रुप फायर करे ! गोली शिस्त के जगह से निचे  लगी यानि निचा ग्रुप बना !अभी रेंज को कम कर के फायर दूसरा ग्रुप फायर करे अगर ग्रुप सही जगह पर बन  रहा है इसका मतलब है की टेलेस्कोप को एडजस्ट करना पड़ेगा !

अगर ग्रुप सही जगह पर नहीं बनता है तो रेंज को और कम  कर के  एक ग्रुप फायर करे यह करवाई तब तक करे जब तक की ग्रुप सही न बन जाए ! 

6.SSG-69 राइफल के दाये -बाये  की गलती को दूर करने का तरीका (SSG-69 rifle ke left-right ki galti dur karne ka tarika)

जैसे की हम जानते है की विन्डेज व्हील के मदद से दाये बाये की गलती को दूर किया जाता है ! विन्डेज व्हील या डिफ्लेकसन ड्रम में 0 से  बाये 16 और दाये 18 क्लिक डीटेंट का करेक्शन किया जा सकता है !

एक क्लिक या डीटेंट  100 मीटर पर 1 सेंटीमीटर का फर्क डालता है और यह फर्क अलग अलग रेंजो पर रेंज के अनुसार घटता बढ़ता जायेगा !

SSG-69 राइफल के डिफ्लेकसन
SSG-69 राइफल के डिफ्लेकसन 
चित्र से समझ सकते है की 0.1 मिल कोण जो की एक क्लिक घुमाने से बनता वो अलग अलग रेंज पर 1 सेमी का गुणक से बढ़ता है !अगर एम् पी आई को बाए ले जाना है तो लेफ्ट का करेक्शन देना चाहिए ! ऐसा करने से पॉइंटर दाए तरफ  हरकत करेगा और पॉइंटर को जब वापिस पॉइंट ऑफ़ एम पर मिलायेंगे तो बैरल बाए हरकत करेगा और एम् पी आई बाए बनेगा !

(a) बाए का ग्रुप (Left group)

एलिवेशन व्हील को 4 पर और विन्डेज व्हील को 0 पर अख के 400 मीटर से एक ग्रुप फायर करने पर अगर एम् पी आई 16 सेमी बाए  बनी तो उसे दाए ले जाने के लिए विन्डेज व्हील पर 4 क्लिक दाए की विन्डेज लगाये और दूसरा चेक ग्रुप फायर करे !एम् पी आई को चेक करे अगर एम् पी आई सही जगह पर बने तो टेलीस्कोपिक साईट को  तीनो स्क्रू लूज  करके एडजस्ट करे ! 

(a) दाये  का ग्रुप (Right group)

एलिवेशन व्हील को 4 पर और विन्डेज व्हील को 0 पर अख के 400 मीटर से एक ग्रुप फायर करने पर अगर एम् पी आई 16 सेमी दाये   बनी तो उसे बाए  ले जाने के लिए विन्डेज व्हील पर 4 क्लिक दाए की विन्डेज लगाये और दूसरा चेक ग्रुप फायर करे !एम् पी आई को चेक करे अगर एम् पी आई सही जगह पर बने तो टेलीस्कोपिक साईट को  तीनो स्क्रू लूज  करके एडजस्ट करे !

एडजस्ट में के बाद एक चेक ग्रुप फायर करना चाहिए ! विन्डेज की गलती को दूर करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए की जिधर एम्.पी.आई ले जानी है उधर की करेक्शन लगाना चाहिए !

इस प्रकार से यहाँ SSG-69 स्नाइपर राइफल के जीरो से सम्बंधित पोस्ट समाप्त हुई !उम्मीद है की यह छोटा पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग  को सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !
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18 अक्टूबर 2018

SSG-69 राइफल के टेलेस्कोप के विशेषताए और मिल (MIL)का उपयोग

पिछले पोस्ट में हमने SSG-69 राइफल के फायरिंग पोजीशन के चुनाव के बारे में जानकारी प्राप्त  की और अब इस पोस्ट में हम SSG-69 के टेलिस्कोप साईट  की विशेषताए और टेलेस्कोप में मील का प्रयोग के बारे में जानेगे !
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ऑस्ट्रिया की स्वरोवाक्सी कंपनी द्वारा बनाये गए टेलिस्कोप को अगर हम फासला नापने का एक यंत्र कहे तो यह कोई अनुचित नहीं होगा ! TS No. 32 इस्तेमाल के दौरान हमने देखा की इसका प्रयोग सिर्फ शिस्त लेने तक ही सिमित था लेकिन  SSG-69 स्निपिंग राइफल में इस्तेमाल की जाने वाली टेलिस्कोप साईट न केवल शिस्त लेने में ही काम आता है बल्कि दुरी का अंदाज लगाने में भी मदद देता है :

जरुर  पढ़े :स्नाइपर राइफल के अन्दर क्या क्या खूबिया होनी

इस पोस्ट में हम SSG के के टेलेस्कोप साईट से सम्बंधित निम्न बातो के बारे में जानेगे :
1.मिल (MIL) का क्या है ?(MIL kya hai)
2. मिल (MIL) और डिग्री में सम्बन्ध( MIL to degree me convert karne ka tarika ) 
3.टेलिस्कोप साईट का विशेषताए(Teliscope ka visheshtaye) 

1.मिल (MIL) का क्या है ?(MIL kya hai) 



मिल को हम ऐसे परिभाषित कर सकते है " अगर हम एक बिंदु से एक हजार इकाई के बराबर एक रेखा खींचे और उस रेखा के दुसरे सिरे पर उसी की एक इकाई की लाइन खिचे तो लम्बाई के ऊपर वाले सिरे को जब पहले वाले बिंदु से मिलाये तो पहले वाले बिंदु पर जो कोण बनता है वह एक मिल का कोण होता है !

Mil ka kon
मिल का कोण 
उदहारण के तौर पर ऊपर के पिक्चर में एक रेखा AB 1000 मीटर लम्बी है ! बिंदु B पर एक मीटर लम्बी एक लाइन खिचो अभी A बिंदु और C को मिला दो इस प्रकार A बिंदु पर जो कोण बनती है वह एक मिल की कोण होगी !

जरुर  पढ़े :SSG-69 स्नाइपर राइफल का बेसिक टेक्निकल डाटा

2. मिल (MIL) और डिग्री में सम्बन्ध( MIL to degree me convert karne ka tarika ) 

मिल और डिग्री का सम्बन्ध को हम इस प्रकार से जाहिर कर सकते है ! अगर  आप किसी स्थान पर खड़े हो कर चारो तरफ घूमते है तो आपने 360 डिग्री का चक्कर  लगाया है ! अगर मिल के भाषा में बोले तो आपने एक चाकर में 6400 मिल घूम चुके  है !

इस प्रकार  से हम कह सकते है कि:

360 डिग्री = 6400 मिल 

इसलिए 1 डिग्री = 6400/360 = 17.78 मिल 

इस प्रकार  हम डिग्री को मिल में बदल सकते है ! मिशाल के तौर पर हाथ से 3 डिग्री नाप को मिल में हम 3 x 17.78 मिल यानि 53.4 मिल भी कह सकते है !

3.टेलिस्कोप साईट का विशेषताए(Teliscope ka visheshtaye)

SSG-69 स्नाइपर राइफल के टेलिस्कोप की विशेषता को हम निम्न तरह से व्याख्या कर सकते है :

(a) शिस्त लेना आसन है : जब हम नार्मल साईट  से शिस्त लेते है तो फायर की आँख के सेंटर तथा फोरे साईट की नोक को जब एक सीध में करते है तो दुरुस्त एलाईमेंट  मिलती है ! फिर दुरुस्त साईट एलाईमेंट को पॉइंट ऑफ़ एम पर मिलते है तो दुरुस्त साईट पिक्चर हासिल होता है !
SAR se shist lene par
SAR se shist lene par
फायरर आम तौर पर साईट एलाईमेंट में ज्यादा गलती करता है क्यों की ओपेराचेर  का सही सेंटर  फर्जी तौर पे बना पड़ता है ! इस गलती से गोली लम्बे रेंज पर टारगेट मिस कर सकती है !  
Telescope Sight ka use
Telescope Sight ka use
लेकिन टेलीस्कोपिक साईट में पॉइंटर और होरिजेंटल लाइन सेंटर को ऐमिंग पॉइंट से मिलाने से ही दुरुस्त शिस्त हासिल हो जाता है इसमें गलती बहुत ही कम होने की चांस होती है !


(b) टारगेट बड़ा दिखाई देता है :इस टेलिस्कोप में लेन्से के दो सेट होते है  
  • ऑब्जेक्टिव लेन्स(Objective lence) : इसका काम टारगेट से आने वाली लाइट को अपनी फोकस लेन्से पर टारगेट का खाका बनता है !
  • ऑय लेन्स(Eye lence): इसका काम बने हुए खाके को बड़ा करके आँख के परदे पर लाना 
इस टेलिस्कोप का मैग्नीफिकेसन पॉवर 6 गुना है ! इस प्रकार से टारगेट बड़ा और साफ नजर आता है जिससे शिस्त लेना आसन हो जाता है !

(c) ब्राइटनेस इफ़ेक्ट(Bright Effect) :यह टेलेस्कोप ऐसा बना होता है की कम  रौशनी या  धुंध  में भी टारगेट एक दम साफ दिखाई देता है ! लेकिन एक दम अँधेरा में यह काम नहीं करता है !


(d)फील्ड ऑफ़ व्यू(Field of view) : इस का फील्ड व्यू काफी स्टिक है  यानी इसका दिखाई देना का इलाका टेलेस्कोप नम्बर 32 से आधा है ! इसका फील्ड ऑफ़ व्यू केवल 72 मिल यानि 4 डिग्री है जिसके कारण फायरर का ध्यान इधर उधर नहीं भटकता है !

(e) डिग्री का छोटा इकाई माप सकते है : अगर कोई निशान 1 डिग्री से कम चौड़ा हो तो उसको नापने के लिए मिल मदद दे सकता है क्यों की मिल डिग्री से छोटी इकाई है !


इस प्रकार से हम यहाँ हम टेलिस्कोप की विशेषता और मिल का उपयोग से सम्बंधित पोस्ट संपत हुवा !उम्मीद है की यह छोटा पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग  को सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !

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