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24 July 2022

5.56 mm राइफल के भिन्न भिन्न फायरिंग पोजीशन की IWT सरल भाषा में जानेगे

पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने इंसास राइफल के मैगज़ीन का भरना ,खाली करना मेक सेफ, साईट लगाना आदि के बारे जानकारी प्राप्त की  और अब इस इंटीग्रेटेड वेपन ट्रेनिंग के थर्ड   लेसन में हम 5. 56 राइफल के भिन्न भिन्न फायरिंग पोजीशन की IWT सरल भाषा    में जानेगे(5.56 mm INSAS Rifle ke firing position ka Integrated Weapon Training Module saral bhasha me  IWT) ! इस पोस्ट को आसान बनानके लिए हमने इसे कांस्टेबल के बेसिक ट्रेनिंग में जिस क्रमबद्ध तरीके से सिखाया जाता है उसी क्रम में लिखेगे !

56 राइफल के भिन्न भिन्न फायरिंग पोजीशन
56 राइफल के भिन्न भिन्न फायरिंग पोजीशन

1. शुरू-शुरू का काम :-

  • (क) क्लास की गिनती और गुपों में बाँट
  • (ख) हथियार और सामान का निरीक्षण
  • (ग) बंदोबस्ती की कार्यवाही
2 दोहराई :- दोहराई पिछले पाठ से (राइफल को भरना-खाली करना. रेडी और मेकसेफ से लिया जाय)

3. पहुँच :- राइफल को कई पोजीशनों से फायर किया जाता है लेकिन पोजीशन ऐसा हो कि आसानी से किया जा अख्तियार किया जा सके और हथियार पर मजबूत पकड़ हासिल कर सके । जरूरत पड़ने पर कौन सा पोजीशन अख्तियार किया जाय, यह आड़ पर निर्भर करता है।

4. उद्देश्य:-भिन्न-भिन्न पोजीशनों से 5.56 मि०मी० इन्सास राइफल की दुरस्त पकड हासिल करने का

तरीका सिखाना है (उद्देश्य को दोहराया जाये)।

5. सामान :- राइफल, मैगजीन, ड्रील काट्रिज, सभी प्रकार के आड़, टारगेट और ग्राउण्डशीट। 6. भागों में बाँट -

  • भाग 1- लाइन और निलिंग पोजीशन ।
  • भाग 2- सीटिंग और स्टैडिंग पोजीशन । 
 भाग -1
लाईन और निलिंग पोजीशन

लाईन और निलिंग पोजीशन :-किसी भी फायरिंग पोजीशन के तीन बुनियादी उसूल हैं

  • (क) हड़ियों का सपोर्ट
  • (ख) मांसपेशियों में अरामदेह
  • (ग) कुदरती सिधाई।

लाईन पोजीशन:- लाईन पोजीशन सभी पोजीशनों का एक बुनियादी पोजीशन है । इसमे बदन का खाका छोटा बनता है । साथ ही अपने हथियार से दुश्मन के ऊपर कारगर फायर डाला जा सकता है।

पोजीशन लेने का तरीका :- टारगेट की सीध में खड़े हों और चलती हालात में बायें पैर को आगे और बाएँ करें। साथ ही राइफल को इस प्रकार उछालें कि बायें हाथ की पकड़ फोरहेण्ड-गार्ड पर हो और दायें हाथ की मदद से हथेली से जमीन का सहारा लेते हुए लेट जायें | इस पोजीशन में देखने वाली बातें इस प्रकार है :-

  • (क) फ्लैश एलिमिनेटर जमीन से ऊपर हो
  • (ख) बदन टारगेट से तिरछा हो और पैर कद के मुताबिक खुला हो तथा हो सके तो दोनो पैर की एड़ियाँ जमीन से सटी हों
  • (ग) बदन के नीचे कोई चुभने वाली चीज न हो और छाती उठा हुआ हो ।

कुदरती सिचाई:- पोजीशन लेने के बाद राइफल को दाहिने खे और बायें हाथ की कोहनी को। तबतक हरकत दें. जबतक कि टारगेट की सीध में न आ जाएँ। दाहिनी कोहनी को दाहिने कंधे के नीचे और थोड़ा बाहर की तरफ रखते हुए दोनो हाथों की हथेली को एकसाथ मिलायें और ठुड्डी के नीचे लगाकर आँखें बंद करें और बदन के तनाव को महसूस करें। अगर बदन में तनाव है तो बदन को दाहिने-बार का हरकत देकर तनाव को दूर करें लेकिन ध्यान रहे कोहनी अपनी जगह से हिलने न पाये। कोहनी की जगह को मार्क कर दिया जाय ।

दुरुस्त पकड़ -

  • राइफल पर दुरुस्त पकड़ हासिल करने के लिए कंधे में ले जाये।
  • बायें हाथ की पकड़ हैण्डगार्ड पर, दाहिने हाथ की पकड़ पिस्टन ग्रिप पर चार अंगुलियों बाहर से और अंगूठा अंदर से, कलमे वाली अंगुली ट्रिगर गार्ड पर ।
  • बट कंधे की मुलायम जगह पर मजबूती से जमा हुआ हो ।
  • सिर बट के ऊपर इस प्रकार रखा जाय कि गाल बट के साथ लगा हो ।
  • फायरर इस बात पर ध्यान दे कि सिर का पोजीशन बट पर एक जैसा हो ।
  • आँख बैकसाइट अपरचर से एक बराबर दूरी पर होनी चाहिए ।
  • बट को हड्डी पर न रखा जाय।

बायाँ हाथ:-बायाँ हाथ राइफल को नीचे जाने से रोकता है और हैण्डगार्ड के नीचे सपोर्ट का काम करता है।

दायों हाथ :- दायाँ हाथ राइफल को पीछे खींचकर रखता है और समानान्तर बनाये रखता है। कंधा - कंधा बट को टिकाने के लिए जगह देता है. साथ ही राइफल को पीछे जाने से रोकता है।

दाहिनी कोहनी:-दाहिनी कोहनी बदन से दाहिने और आगे हो ताकि दोनो कंधे तकरीबन बराबरी पर हों और फायर के पोजीशन में बैलेंश बनाये रखे।

सॉस :-अगर हम फायरिंग के दौरान आम तरीके से साँस लेते रहे तो छाती के ऊपर-नीचे होने से राइफल में कम्पन होता है । इसलिए फायर करने से पहले एक लम्बी साँस लें. थोड़ी साँस छोड़ें और फिर सॉस को रोक दें। इसके बाद शिस्त लें और फायर करें। ध्यान रहे कि सॉस 10 या 12 सेकेण्ड से ज्यादा नरोकी जाय।

निलिंग पोजीशन :-

  • निलिंग पोजीशन तैयार करने के लिए टारगेट की तरफ फेस करें बायें पाँव को टारगेट की सीध में करें ।
  • साथ ही राइफल को आगे उछालते हुए बायें हाथ से पकड़ें ।
  • मजल आगे और ऊपर की तरफ हो और दाहिने घुटने को दाहिने रखते हुए बैठ जाएँ ।
  • अगर संभव हो तो बदन का बोझ दाहिनी एडी पर हो ।
  • बायीं कोहनी को बायें घुटने पर इस प्रकार स्खें कि कोहनी की हड्डी घुटने की हड्डी से अलग हो ।
  • दाहिने हाथ से पिस्टन ग्रिप को पकड़ें और बट को दाहिने कंधे की गैप में जमाएँ और दाहिनी
  • कोहनी को ऊपर और जमीन के समानान्तर रखें ।
  • आवश्यकता पड़ने पर अनसपोर्टेड फायर भी किया जाता

भाग- 2

सिटिंग और स्टैंडिंग पोजीशन

सिटिंग पोजीशन- जब आर मिलिंग पोजीशन से छोटा हो या जमीन ढलानदार हो तो सिटिंग पोजीशन का इस्तेमाल किया जाता है । दालान पर पोजीशन लेते समय दोनो पैर की एड़ियाँ जमीन पर जमा दी जाती हैं, जिससे बदन को स्थिरता मिलती है।

इस पोजीशन को अख्तियार करने के लिए कार्रवाई इस प्रकार करें-

  • यह पोजीशन तैयार करने के लिए टारगेट की तरफ मुँह करें आधा दाहिने मुड़ें और पाँव को जरूरत के मुताबिक खोलें तथा दोनो पाँव को स्थिर रखते हुए नीचे बैठ जाएँ। बायें हाथ की कोहनी बायें घुटने के अन्दर की तरफ रखें।
  • दाहिने हाथ ग्रिप को पकड़े हुए बट को कंधे में ले जाएँ और दाहिनी कोहनी को दाहिने घुटने के अंदर रखते हुए लॉक

स्टैंडिंग पोजीशन- स्टैंडिंग पोजीशन से हम टारगेट पर उस वक्त फायर करते हैं, जबकि उस टारगेट पर किसी दूसरे पोजीशन से फायर करना मुनासिब न हो या हरकत के दौरान जब अचानक टारगेट सामने आये तब भी स्टैंडिंग पोजीशन से फायर किया जाता है।

स्टैडिंग पोजीशन अख्तियार करने के लिए कार्रवाई इस प्रकार है-

  • टारगेट की तरफ मुंह करो।
  • आधा दाहिने मुडो, साथ ही राइफल को आगे उछालते हुए बायें हाथ में इस प्रकार पकड़ो की मजल ऊपर की तरफ और बट कुल्हे के सामने हो तथा पाँव कद के मुताबिक खुले हों ।
  • दाहिने हाथ से पिस्टन ग्रिप को पकड़े हुए बट को दाहिने कंधे के गैप में टिकाओ ।
  • दाहिनी कोहनी को ऊपर उठाओ. ताकि कंधे में बट के लिए अच्छी जगह बने और राइफल को मजबूती से पकड़ा जा सके ।
  • इस प्रकार राइफल का ज्यादा से ज्यादा वजन दाहिने हाथ में होगा।
  • बायें हाथ से राइफल को बाकी पोजीशनों की अपेक्षा थोड़ा आगे से पकड़ो।
  • ऐसा करने से राइफल को सहारा मिलेगा। पोजीशन को दुरुस्त करने के लिए पॉव को उस वक्त तक हरकत दो जब तक की दुरुस्त तौर पर निशाना ले सको।
  • बदन का बोझ दोनो पाँव पर बराबर होना चाहिए।

अनुदेशक संकेत:- बबल एरिया - शिस्त लेते वक्त राइफल का फोरसाइट टारगेट के मध्य के ऊपर-नीचे या दाय-बायें, जो इलाका कवर होता है उसे बवल एरिया कहते हैं । यह हरकत कुदरती है. जिसको पूरी तरह दूर नहीं किया जा सकता है । जितना ज्यादा राइफल को सहारा मिलेगा उतना ही बदल एरिया कम होगा।

संक्षेप:-विषय के अनुसार क्लास से सवाल-जवाब

इस प्रकार से इंसास राइफल के इंसास राइफल को भिन्सन भिन्मान पोजीशन से फायर करने का तरीका से सम्प्तबन्धी इवत समाप्त हुई !

इसके साथ ही 5.56 mm इंसास राइफल के इंसास राइफल को भिन्सन भिन्मान पोजीशन से फायर करने का तरीका से सम्बंधित IWT का पाठ समाप्त हुवा !उम्मीद है की आपलोगों के ए पोस्ट पसंद आएगी !इस ब्लॉग को सब्सक्राइब या फेसबुक पेज को लाइक करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे!

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