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17 September 2016

राइफल का ग्रुपिंग क्या होता है और उसका सिधांत

पिछले पोस्ट में हमने AGL के बेसिक टेक्निकल डाटा तथा पार्ट्स के नाम के बारे में जानकारी हासिल किये इस पोस्ट में हम इंसास राइफल की ग्रुपिंग क्या होता ई तथा इसका सिधांत(INSAS Rifle ki Grouping fire kya hoa hai aur grouping fire ka sidhant) !



फायरिंग किसी जवान विशेष कर  आर्म्ड के जवान के पर्सनालिटी को दर्शाता भी और पर्सनालिटी का विकाश भी करताहै ! फायरिंग एक ऐसी कला है जिसको सिखा भी जा सकता है और सघन अभ्यास से इसे अच्छा से अच्छा  भी किया जा सकता है!
Main Point of Impact
Main Point of Impact
 इसलिए अगर बेसिक ट्रेनिंग(Police Basic Training) के दौरान अगर किसी जवान की फायरिंग के टेस्ट(Firing test) में कम नंबर आता है तो उसे ये नहीं समझना चाहिए की ओ फायरिंग कर ही नहीं सकता है !बल्कि उसे ये ध्यान में रखना चाहिए की फायरिंग एक ऐसी चीज़ है जिसे अभ्यास से सिखा जा सकता है और उसे अच्छा से अच्छा बनाया भी जा सकता है !

जरुर पढ़े : 5.56 mm INSAS राइफल के मग्जिन को भरना खाली करना और रेंज लगाना

खराब फायरिंग के लिए ये जरुरी नहीं है की इसमें केवल फायरर का ही दोष है बल्कि अच्छी फायरिंग में फायरर के साथ साथ हथियार का भी बहुत ही अहम् रोल रहता है ! अगर हथियार की टुनिंग उप और जीरिंग(Tuning up and zeroing) अच्छी तरह से नहीं किया गया हो तो फायरर कितना भी कोशिश करले फायर टारगेट के पॉइंट ऑफ़ एम(Point of aim) पर नहीं लगेगी अगर कभी लग भी गई तो ये फायरर के कारन नहीं बल्कि और बहुत से कारक होते है उसके कारन लग गई होगी !

एक आर्म्ड फाॅर्स के जवान इंडोर ट्रेनिंग में कितना भी महारत हासिल कर लिया हो लेकिंग उसका फायरिंग स्किल अगर अच्छी नहीं है तो उसे ऑपरेशन के दौरान उसके अन्दर  हमेश कॉन्फिडेंस की कमी रहेगी  क्यों की ऑपरेशन के दौरान एक जवान के अंदर इतना काबिलियत होना चाहिए की ओ शूट तो कील(Shoot to kill or ek goli ek dushman) या एक गोली एक दुश्मन का उदेश्य  हासिल कर सके !

जरुर पढ़े : इंसास राइफल को भरना, खाली करना, रेडी और मेक सफे कैसे करते है

इसीलिए ये सभी फायरर की कोशिश होना चाहिए की अपनी ग्रुपिंग फायर को काफी सीरियस ले क्यों की एक अच्छा फायरबन्ने के लिए आपकी ग्रुप फायर अच्छी होनी चाहिए !

हथियार का ग्रुपिंग क्या होता है(Rifle ka grouping fire kya hota hai hai) : अगर एक फायरर अपने राइफल से तीन राउंड्स या उससे ज्यादा फायर दिए हुए उसी एक रेंज(one range), उसी एक पोजीशन(Same position) और उसी पकड़ को कायम(Same hold of weapon) रखते करता है फायर की हुई राउंड टारगेट के ऊपर जो सकल बनती है उसे ग्रुप कहते है !

ग्रुप के लिए जरुरी बाते(Grouping fire ki jaruri baten) :
  • फायरिंग (Firing)
  • तीन या उससे ज्यादा राउंड फायर करना (fire Three or more rounds 
  • अपनी राइफल से (Own weapon)
  • एक रेंज (same range)
  • एक पोजीशनतथा एक पकड़(One position) 

नार्मल ग्रुप क्या होता है(Normal group kya hota hai )  :जब एक फायरर द्वारा 100 गज से किसी भी एक फायरिंग पोजीशन से  कुछ समय के दौरान बहुत से टारगेट पे ग्रुप फायर करने के बाद उन फायर किये गए ग्रुप की औसत साइज़ को उस फायरर का  नार्मल ग्रुप साइज़ कहते है !

ग्रुप का सिधांत(Rifle ka groupig ka sidhant) :
  1. रेंज बढ़ने के साथ साथ ग्रुप की साइज़ भी बढती है!(Range increase , group size increase) 
  2. ग्रुपिंग फायर के आकार के ऊपर हथियार की  कंडीशन, अमुनिसन के कंडीशन तथा फायरर की कौसल का भी असर पड़ता है !(impact of grouping -Condition of weapon, condition of ammunition, and skill of a fire 
  3. ग्रुप टारगेट के ऊपर कही ही बन सकताहै !
  4. ग्रुपिंग फायरिंग करते समय राइफल की पकड़ और दुरुस्त शिस्त की बदली नहीं करनी चाहिए ! एक बार शिस्त ले लिया और पकड़ बना लिया उसी को कायम रखना चाहिए !
  5. ग्रुप का MPI जो बनता है ओ राइफल पर लगे गई रेंज तथा  टारगेट की एक्चुअल रेंज के ऊपर निर्भर करता है !
  6. ग्रुपिंग फायर के समय हवा तथा लाइट का कोई माफ़ी नहीं दिया जाता है !
  7. सही ग्रुपिंग के बाद ग्रुपिंग का MPI को टारगेट के किसी भी हिस्से  में शिफ्ट किया जा सकता है !

टाइप ऑफ़ ग्रुप (Type of group):
  1. पॉइंट ऑफ़ एम के निचे वर्टीकल ग्रुप(Below point of aim in vertical shape) - ऐसा ग्रुप उस समय बनता है जब फायरर हथियार को आगे की तरफ धकेलता है !
  2. पॉइंट ऑफ़ एम के ऊपर वर्टीकल ग्रुप(Above point of aim in vertical shape) - ऐसा ग्रुप उस समय बनता है जब फायरर हथियार को पीछे  की तरफ खिचता  है !
  3. दो अलग अलग ग्रुप बनाना(Distict group) : इस प्रकार का ग्रुप उस समय बनता है जब फायर राइफल को कभी टाइट और कभी लूज पकड़ बनता है !
अच्छी ग्रुपिंग फायर में हथियार और अमिनिसन के साथ साथ फायरर की खुद की काबिलियत भी बहुत अहम् रोल प्ले करता है इसीलिए बार बार और कॉन्फिडेंस के साथ प्रैक्टिस करने से ग्रुपिंग फायर को एक फायरर  बहुत हद तक सुधार सकता है !गोरुपिंग के आकार से ही एक फायरर की फायरिंग की काबिलियत का पता चलता है  जितनी छोटी ग्रुप का साइज़ होगा उतना ही अच्छा मान  जाता है !


अगर  एक फायरर अपना  फायर ग्रुप बहुत छोटा और उसकी हथियार को अच्छी तरह से ज़ेरोइंग कर दी जाय तो कोई शक नहीं है की ओ ऑपरेशन के दौरान  एक गोली एक दुश्मन का अपना मकशाद हसिलना कर सके !

इस प्रकार से यहाँ इंसास की ग्रुप फायर के बारे में जानकारी खत्म हुई और उम्मीद  है की ये पोस्ट पसंद आएगा! अगर की कमेंट होतो निचे कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे !ब्लॉग को  सब्सक्राइब और अपने दोस्तों के बिच भी फेसबुक के ऊपर शेयर  कर हमलोगों को सपोर्ट  करे 

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