Search

12 जुलाई 2025

BNSS 2023 के तहत FIR दर्ज करने की नई प्रक्रिया | पुलिसकर्मी और आम नागरिक के लिए गाइड

BNSS 2023 के तहत FIR दर्ज करने की नई प्रक्रिया
BNSS 2023 के तहत FIR दर्ज करने की नई प्रक्रिया 
भूमिका (Introduction)

जब कोई अपराध होता है, तो पीड़ित की पहली उम्मीद होती है — न्याय। और न्याय की दिशा में पहला कदम है FIR दर्ज कराना। FIR यानी प्रथम सूचना रिपोर्ट, किसी भी अपराध की कानूनी शुरुआत होती है। यह न केवल जांच की प्रक्रिया को शुरू करता है, बल्कि न्याय प्रणाली को गति भी देता है।

हाल ही में भारत में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS 2023) को लागू किया गया है। इस कानून के आने के बाद FIR दर्ज करने की प्रक्रिया में कई अहम बदलाव किए गए हैं। यह बदलाव कानून को ज्यादा पारदर्शी, जिम्मेदार और पीड़ित-मित्र बनाने के लिए किए गए हैं। BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया अब पहले से ज्यादा स्पष्ट, डिजिटल और जन-सुलभ हो गई है।

इसे भी पढ़े: 7.62 mm SLR राइफल का तकनीकी डाटा आसन शब्दों में

इस विषय पर गहराई से जानकारी देने के लिए BPRD (Bureau of Police Research & Development) ने एक SOP (Standard Operating Procedure) भी जारी किया है। यह SOP पुलिस अधिकारियों को यह समझाने में मदद करता है कि किस स्थिति में FIR दर्ज करनी है, किस प्रकार Preliminary Enquiry की जानी है और Zero FIR या e-FIR को कैसे संभालना है। यह दस्तावेज़ फील्ड अनुभवों और कानूनी सलाह के आधार पर तैयार किया गया है।

इस ब्लॉग में हम यही समझने जा रहे हैं कि BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया क्या है, इसके प्रमुख नियम क्या हैं, और आम नागरिक को इससे क्या जानकारी होनी चाहिए। हम एक-एक करके e-FIR, Zero FIR, Preliminary Enquiry और महिलाओं के विशेष अधिकारों पर चर्चा करेंगे।

FIR क्या होती है? (What is an FIR?)

FIR यानी प्रथम सूचना रिपोर्ट, उस घटना की पहली जानकारी होती है जो किसी अपराध से जुड़ी हो। यह वह रिपोर्ट होती है जिससे पुलिस जांच की प्रक्रिया शुरू करती है। कोई भी व्यक्ति जिसने अपराध होते देखा हो, अपराध का शिकार हुआ हो या जिससे कोई जानकारी मिली हो, वह FIR दर्ज करा सकता है।

BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया को साफ-सुथरे और समझने योग्य तरीके से परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को किसी संज्ञेय अपराध की जानकारी है, तो वह जानकारी पुलिस को मौखिक रूप से, लिखित रूप से या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (जैसे ईमेल या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म) के ज़रिए दे सकता है। यदि मौखिक रूप से दी गई जानकारी है, तो पुलिस उसे लिखित रूप में बदलकर पढ़कर सुनाएगी और फिर शिकायतकर्ता से उस पर हस्ताक्षर कराएगी।

BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया के तहत, महिलाओं और विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए भी अलग और संवेदनशील प्रावधान रखे गए हैं। BPRD SOP के अनुसार, यदि महिला से जुड़े किसी अपराध की FIR दर्ज की जा रही है, तो उसे महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज करना अनिवार्य है। साथ ही वीडियो रिकॉर्डिंग और मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान लेना भी ज़रूरी है।

FIR दर्ज करने के बाद पुलिस को उसकी एक प्रति मुफ्त में शिकायतकर्ता को देनी होती है। यह शिकायतकर्ता का कानूनी अधिकार है और इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। 

इसे भी पढ़े: 5 बड़ी गलतियाँ जो डेली ड्यूटी के दौरान पुलिसकर्मी ...

BNSS 2023 के तहत FIR दर्ज करने की प्रक्रिया

BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी और आम जनता के अनुकूल बनाया गया है। FIR दर्ज करने के तीन प्रमुख तरीके हैं — मौखिक, लिखित और इलेक्ट्रॉनिक (e-FIR)। BPRD द्वारा जारी SOP के अनुसार, इन सभी तरीकों में कुछ आवश्यक नियम और सावधानियां शामिल की गई हैं।

अगर कोई व्यक्ति पुलिस स्टेशन में आकर मौखिक रूप से शिकायत करता है, तो SHO या ड्यूटी अधिकारी उस जानकारी को लिखित रूप में दर्ज करता है। फिर वह शिकायतकर्ता को पढ़कर सुनाता है और उस पर हस्ताक्षर कराता है। इसके बाद FIR की जानकारी एक रजिस्टर या सरकारी सिस्टम में दर्ज की जाती है। यह BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया का पहला चरण है।

अगर FIR इलेक्ट्रॉनिक माध्यम जैसे ईमेल, वेबसाइट या ऐप के ज़रिए दर्ज की जाती है, तो पुलिस सबसे पहले उसे General Diary में दर्ज करती है। फिर शिकायतकर्ता को इस बात की पुष्टि भेजी जाती है कि उसे तीन दिन के अंदर जाकर उस पर हस्ताक्षर करना होगा। अगर कोई विशेष परिस्थिति हो, जैसे कि महिला या विकलांग शिकायतकर्ता, तो पुलिस को खुद आगे आकर उसके हस्ताक्षर लेने की कोशिश करनी चाहिए।

BPRD SOP के अनुसार, महिलाओं, बच्चों और विकलांग व्यक्तियों की शिकायतें महिला अधिकारी द्वारा ली जानी चाहिए और उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग आवश्यक है। FIR दर्ज होने के बाद उसकी एक प्रति शिकायतकर्ता को तुरंत और निःशुल्क दी जानी चाहिए।

BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया में यह भी कहा गया है कि अगर अपराध किसी अन्य थाना क्षेत्र का है, तब भी FIR दर्ज की जा सकती है, जिसे आगे हम अगले सेक्शन में Zero FIR के रूप में विस्तार से समझेंगे।

महिलाओं और विकलांग व्यक्तियों के लिए विशेष प्रावधान

BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया सिर्फ कानूनी सुधार नहीं है, बल्कि यह एक मानवीय सोच के साथ बनाई गई व्यवस्था है। इसमें खासतौर पर महिलाओं और मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों की सुरक्षा और गरिमा का ध्यान रखा गया है। यही बात BPRD द्वारा जारी SOP में भी स्पष्ट रूप से कही गई है।

जब कोई महिला अपने साथ हुए अपराध की रिपोर्ट दर्ज कराने जाती है, तो कानून कहता है कि उसकी FIR केवल महिला पुलिस अधिकारी या किसी महिला अधिकारी द्वारा ही दर्ज की जाएगी। यह प्रावधान इसलिए बनाया गया है ताकि पीड़िता को सुरक्षित और सहज वातावरण मिल सके। साथ ही FIR दर्ज करते समय उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी अनिवार्य है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।

इसे भी पढ़े: BNS-2023 की 10 ज़रूरी धाराएँ जिन्हें हर भारतीय पुल

BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया के अनुसार यदि पीड़िता मानसिक या शारीरिक रूप से असमर्थ है, तो FIR उसके निवास स्थान पर या उसके द्वारा चुनी गई किसी अन्य सुविधाजनक जगह पर दर्ज की जानी चाहिए। इस प्रक्रिया में एक अनुवादक या विशेष शिक्षक की मौजूदगी भी आवश्यक होती है, जिससे सही जानकारी ली जा सके।

इसके अतिरिक्त, पुलिस को यह भी सुनिश्चित करना होता है कि FIR के बाद पीड़िता का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष जल्द से जल्द दर्ज किया जाए। इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य यह है कि पीड़ित को दोबारा कोई मानसिक या सामाजिक आघात न झेलना पड़े।

BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया महिलाओं और विशेष ज़रूरतों वाले व्यक्तियों के लिए न्याय को आसान और सम्मानजनक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

e-FIR क्या है और कैसे दर्ज करें?

आज का युग डिजिटल है। तकनीक ने हमारे जीवन को आसान बनाया है और अब पुलिस व्यवस्था भी इस बदलाव का हिस्सा बन चुकी है। BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया में एक बड़ा सुधार यह है कि अब e-FIR, यानी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से FIR दर्ज कराना संभव हो गया है।

अगर कोई व्यक्ति थाने नहीं जा सकता, तब वह अपनी शिकायत ईमेल, पुलिस पोर्टल, मोबाइल ऐप या किसी भी मान्य डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए भेज सकता है। BPRD SOP के अनुसार जैसे ही e-FIR पुलिस स्टेशन में प्राप्त होती है, SHO उसे जनरल डायरी (GD) में दर्ज करता है और शिकायतकर्ता को एक acknowledgement भेजता है।

इसे भी पढ़े:  5.56 mm INSAS Rifle राइफल खुबिया सरल शब्दों में

यह सूचना शिकायतकर्ता को उसी माध्यम से दी जाती है, जिससे जानकारी भेजी गई थी। इसके साथ ही यह बताया जाता है कि तीन दिनों के भीतर हस्ताक्षर करना आवश्यक है, ताकि FIR कानूनी रूप से मान्य हो सके।

BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया यह भी कहती है कि अगर कोई महिला, बच्चा, या विकलांग व्यक्ति e-FIR भेजता है और थाने नहीं पहुंच सकता, तो पुलिस को खुद पहल करनी चाहिए और जाकर हस्ताक्षर लेने चाहिए। यह प्रक्रिया संवेदनशीलता और सुविधा को प्राथमिकता देती है।

e-FIR के ज़रिए लोग अब अपनी शिकायतें जल्दी और आसानी से दर्ज करा सकते हैं, खासकर उन हालातों में जब तुरंत पहुंचना मुश्किल हो। यह प्रक्रिया पारदर्शी भी है और समय की बचत भी करती है।

अब अगले सेक्शन में हम जानेंगे Zero FIR क्या होती है और इसे कैसे दर्ज किया जाता है, जिससे जुड़ा है क्षेत्राधिकार का मुद्दा।

Zero FIR क्या है और कैसे दर्ज करें?

अक्सर देखा गया है कि जब कोई व्यक्ति किसी अपराध की शिकायत लेकर पुलिस स्टेशन जाता है तो उसे यह कहकर लौटा दिया जाता है कि अपराध उस थाना क्षेत्र का नहीं है। लेकिन अब BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया के तहत ऐसा करना गलत माना गया है। इसी के समाधान के रूप में Zero FIR की व्यवस्था की गई है।

Zero FIR का मतलब होता है ऐसी प्राथमिकी जो किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज की जा सकती है, भले ही अपराध उस क्षेत्र का न हो। BPRD SOP में स्पष्ट कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी भी थाने में अपराध की सूचना देता है तो SHO को उस जानकारी को जनरल डायरी में दर्ज करना चाहिए और तुरंत FIR लिखनी चाहिए।

इस तरह दर्ज की गई FIR को Zero FIR कहा जाता है क्योंकि इसमें पहले स्थायी नंबर नहीं दिया जाता। बाद में इसे उस थाना क्षेत्र में ट्रांसफर कर दिया जाता है जहां वास्तव में अपराध हुआ है। BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया यह भी कहती है कि शिकायतकर्ता को इस ट्रांसफर की पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।

इसे भी पढ़े:  7 पॉजिटिव आदतें जो एक बेहतरीन पुलिसकर्मी बनाती हैं

CCTNS प्रणाली में Zero FIR के लिए विशेष मॉड्यूल बनाए गए हैं, जिससे इसका रिकॉर्ड सुरक्षित और ट्रैक करने योग्य बना रहता है। यह प्रक्रिया खासतौर पर उन मामलों में उपयोगी होती है जहां मेडिकल सहायता या तुरंत हस्तक्षेप की जरूरत होती है, जैसे बलात्कार, दुर्घटना या गंभीर हमला।

Zero FIR, न्याय तक पहुंच को आसान और तेज़ बनाती है। यह पुलिस और जनता के बीच विश्वास बढ़ाने का एक सकारात्मक कदम है।

अब अगले सेक्शन में हम जानेंगे कि अगर पुलिस FIR दर्ज करने से मना कर दे तो क्या किया जा सकता है

FIR दर्ज करने से मना हो तो क्या करें?

बहुत बार ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति शिकायत लेकर थाने जाता है, लेकिन पुलिस FIR दर्ज करने से मना कर देती है। इसके कई कारण दिए जाते हैं — जैसे मामला उनके क्षेत्राधिकार का नहीं है, सबूत नहीं है या मामला गंभीर नहीं है। लेकिन BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया के अनुसार, यदि अपराध संज्ञेय है यानी गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है, तो FIR दर्ज करना अनिवार्य है।

BPRD SOP में साफ तौर पर निर्देश है कि FIR दर्ज करने से मना करना कानून का उल्लंघन माना जाएगा। अगर SHO FIR लेने से इनकार करता है, तो शिकायतकर्ता के पास दूसरा रास्ता है। वह व्यक्ति धारा 173(4) BNSS के तहत, अपनी शिकायत को लिखित रूप में जिला के पुलिस अधीक्षक (SP) को भेज सकता है।

अगर SP को लगता है कि अपराध हुआ है और FIR बननी चाहिए, तो वह खुद जांच शुरू कर सकते हैं या किसी अधीनस्थ अधिकारी को केस सौंप सकते हैं। अगर फिर भी कार्रवाई नहीं होती, तो पीड़ित व्यक्ति मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन देकर न्याय की मांग कर सकता है।

BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया पीड़ितों के लिए कई सुरक्षा कवच प्रदान करती है। FIR दर्ज करना उनका कानूनी अधिकार है। किसी भी पुलिसकर्मी को इसे अनदेखा करने का अधिकार नहीं है।

इसलिए अगर कोई पुलिस अधिकारी FIR नहीं दर्ज करता, तो डरने या चुप रहने की जरूरत नहीं है। कानून आपके साथ है और SOP भी यही कहती है — निष्पक्षता और जवाबदेही सबसे पहले।

अब अगले सेक्शन में हम बात करेंगे Preliminary Enquiry (PE) की — यह क्या होती है और कब जरूरी मानी जाती है।

Preliminary Enquiry (PE) क्या है और कब जरूरी होती है?

हर अपराध की जांच की प्रक्रिया एक जैसी नहीं होती। कुछ मामलों में सीधे FIR दर्ज करके जांच शुरू की जाती है, जबकि कुछ मामलों में पहले Preliminary Enquiry (PE) यानी प्रारंभिक जांच की जाती है। BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया में इस बात को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

धारा 173(3) के अनुसार, अगर अपराध की सज़ा तीन साल से अधिक लेकिन सात साल से कम है, तो SHO को यह अधिकार है कि वह जांच शुरू करने से पहले PE करे। हालांकि इसके लिए उसे अपने वरिष्ठ अधिकारी जैसे कि DSP से अनुमति लेनी जरूरी है। बिना अनुमति के PE शुरू नहीं की जा सकती।

BPRD SOP में बताया गया है कि PE सिर्फ उन्हीं मामलों में होनी चाहिए जहां मामला संदेहास्पद हो या जानबूझकर झूठी जानकारी दी गई हो। जैसे — पारिवारिक विवाद, मेडिकल लापरवाही, भ्रष्टाचार या अत्यधिक देरी से दर्ज की गई शिकायतें। सुप्रीम कोर्ट के चर्चित Lalita Kumari बनाम उत्तर प्रदेश केस में भी यह बताया गया है कि PE कब की जा सकती है और कब नहीं।

BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया के अनुसार PE की अवधि अधिकतम 14 दिन की होती है। इस दौरान SHO को यह तय करना होता है कि केस में प्राथमिक दृष्टि से कुछ ऐसा है या नहीं, जिससे जांच आगे बढ़ाई जा सके।

अगर PE में पाया जाए कि केस सही है, तो FIR दर्ज कर जांच शुरू होती है। अगर कोई आधार नहीं मिलता, तो SHO को लिखित रूप से इसका कारण बताकर वरिष्ठ अधिकारी और शिकायतकर्ता को सूचित करना होता है।

अब जब हमने जांच की पूर्व प्रक्रिया समझ ली है, तो अगले और अंतिम सेक्शन में हम जानेंगे इस पूरे विषय का सारांश और एक प्रेरणादायक निष्कर्ष।

इसे भी पढ़े:  Women in BSF Role recruitment and uniform

निष्कर्ष (Conclusion)

FIR दर्ज कराना भारत के हर नागरिक का संवैधानिक और कानूनी अधिकार है। लेकिन इस अधिकार को सही ढंग से समझना और उसका प्रयोग करना तभी संभव है जब हमें पूरी प्रक्रिया की जानकारी हो। BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया को इसी सोच के साथ नया रूप दिया गया है — ताकि हर व्यक्ति, चाहे वह आम नागरिक हो या पुलिसकर्मी, कानून की प्रक्रिया को सरलता से समझ सके और उसका पालन कर सके।

इस लेख में हमने विस्तार से जाना कि FIR क्या होती है, इसे कैसे और कहां दर्ज किया जा सकता है। हमने समझा कि BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया के अंतर्गत अब e-FIR, Zero FIR जैसी डिजिटल और क्षेत्रीय बाधाओं से मुक्त विधियाँ उपलब्ध हैं। महिलाओं और विकलांग व्यक्तियों के लिए विशेष प्रावधानों ने इस प्रक्रिया को और अधिक संवेदनशील और न्यायसंगत बना दिया है।

हमने यह भी जाना कि अगर किसी थाना प्रभारी (SHO) द्वारा FIR दर्ज करने से मना किया जाए तो SP और मजिस्ट्रेट तक पहुँचने के रास्ते कानून ने तय किए हैं। साथ ही, Preliminary Enquiry की व्यवस्था उन मामलों के लिए है जहाँ जांच से पहले तथ्यों की पुष्टि जरूरी है।

BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया केवल एक कानूनी सुधार नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा प्रयास है जो पुलिसिंग को पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवीय संवेदनाओं से जोड़ता है। यह SOP न केवल पुलिस के लिए एक मार्गदर्शन है, बल्कि जनता के लिए भी एक भरोसे की दस्तावेज़ है।

अब समय है जागरूक होने का। कानून को जानें, अपने अधिकारों को पहचानें और न्याय की राह को सरल बनाएं।

FAQs: BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया से जुड़े सामान्य प्रश्न

Q1: BNSS 2023 क्या है और यह FIR से कैसे जुड़ा है?

उत्तर: BNSS 2023 यानी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 एक नया कानून है, जो पुरानी CrPC की जगह लाया गया है। इसमें FIR दर्ज करने की प्रक्रिया को पारदर्शी, डिजिटल और पीड़ित-मित्र बनाया गया है।

Q2: क्या अब कोई भी FIR ऑनलाइन दर्ज कर सकता है?

उत्तर: हाँ, BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया के तहत अब e-FIR की सुविधा दी गई है। व्यक्ति ईमेल, पुलिस पोर्टल या मोबाइल ऐप के माध्यम से FIR दर्ज कर सकता है। तीन दिन में हस्ताक्षर देना आवश्यक होता है।

Q3: Zero FIR क्या होती है और कैसे काम करती है?

 उत्तर: Zero FIR ऐसी FIR होती है जो किसी भी थाना क्षेत्र में दर्ज की जा सकती है, भले ही अपराध उस जगह का न हो। बाद में इसे संबंधित थाना क्षेत्र में ट्रांसफर कर दिया जाता है। यह BNSS 2023 में FIR प्रक्रिया का अहम हिस्सा है।

Q4: FIR दर्ज करने से पुलिस मना कर दे तो क्या करें?

उत्तर: अगर SHO FIR दर्ज नहीं करता, तो व्यक्ति SP को लिखित रूप में शिकायत दे सकता है। SP जांच करवाने का आदेश दे सकते हैं। फिर भी कार्रवाई न हो तो मजिस्ट्रेट से संपर्क किया जा सकता है।

Q5: Preliminary Enquiry किस केस में की जाती है?

उत्तर: Preliminary Enquiry उन मामलों में होती है जिनमें सजा 3 साल से ज्यादा और 7 साल से कम हो। SHO को DSP से अनुमति लेकर 14 दिन में जांच पूरी करनी होती है।

Summary: BNSS 2023 mein FIR Process – Ek Simple Guide

BNSS 2023 mein FIR process ko naye tareeke se define kiya gaya hai jisse FIR darj karna ab aur bhi aasaan, digital aur citizen-friendly ban gaya hai.

Blog ke Section 1 mein humne bataya ki FIR kya hai aur BNSS 2023 ke aane se kaise naye rules aaye hain.

Section 2 mein FIR ka meaning, uska legal importance aur kaun file kar sakta hai yeh explain kiya gaya.

Section 3 covers step-by-step FIR darj karne ka process under BNSS 2023 — oral, written aur electronic (e-FIR) modes ke saath.

Section 4 mein mahila aur specially-abled vyaktiyon ke liye special provisions jaise lady officer, video recording aur magistrate ke samne bayan dena bataya gaya.

Section 5 e-FIR par focused hai — jisme complaint online bheji ja sakti hai aur 3 din mein sign lena zaroori hota hai.

Section 6 explains Zero FIR — jise kisi bhi police station mein darj kiya ja sakta hai, chahe jurisdiction alag ho.

Section 7 mein agar FIR darj na ho toh SP aur magistrate ke paas jaane ka process diya gaya hai.

Section 8 talks about Preliminary Enquiry — kuch cases mein FIR se pehle short enquiry ki ja sakti hai.

Section 9 mein conclusion diya gaya hai jisme FIR ko lekar awareness, accountability aur citizen empowerment par focus kiya gaya hai.

BNSS 2023 mein FIR process har citizen aur police officer ke liye samajhna zaroori hai — yeh blog un sabhi ke liye ek practical guide hai.



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Add